एम्स रायपुर में धांधली, सर्जिकल दस्ताने की खरीदी का मामला
सर्जिकल दस्ताने की खरीदी का मामला
एम्स प्रबंधन पर एक एजेंसी को लाभ पहुंचाने का आरोप
रायपुर (जसेरि)। टाटीबंध स्थित अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान एम्स में सर्जिकल दस्तानों की खरीद में निविदा शर्तों को पूरा नहीं करने वाली एंजेसी को उपकृत करते हुए ठेका देने का आरोप लग रहा है। शिकायतकर्ता ने दस्तावेजों के साथ प्रबंधन पर नियमों का उल्लंघन कर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर कर कम टर्नओवर वाली एजेंसी को लाभ देने की बात कही है। सर्जिकल दस्तानों की खरीद के लिए श्री जय एजेंसी को 32,867,400.00 रुपये की बोली दी गई है। शिकायतकर्ता ने बोली में शामिल 18 बोलीदाताओं को अयोग्य घोषित कर सिर्फ एक बोलीदाता की बोली खोलने को लेकर सवाल उठाया है।
शिकायतकर्ता ने प्रक्रिया पर उठाए सवाल
1. कस्टम बिडिंग के माध्यम से अनियमित खरीद करके जैम पर फिलहाल सर्जिकल ग्लव्स की कैटेगरी बनी हुई
2. उच्च मूल्य की ईएमडी 1010400.00 रुपये बोली लगाने वालों से की मांग की गई है। लेकिन कस्टम बिड पर स्टोर्स ऑफिसर (हॉस्पिटल) ने बोली लगाई है। जेम के सीईओ के निर्देशानुसार इसे रद्द होना चाहिए था।
उच्च मूल्य ईएमडी मांगे जाने पर कई बोलीदाताओं ने भाग नहीं लिया। जिससे अप्रत्यक्ष लाभ श्री जय एजेंसियों को दिया।
3. एमएसई को अनुभव और टर्नओवर पर छूट है लेकिन भारत सरकार के नियमों स्टार्टअप्स को अनुभव और स्टार्टअप को छूट नही दिया गया। 4. स्थानीय उत्पादक के खिलाफ प्रतिबंधात्मक और 7 भेदभावपूर्ण स्थिति। 7 टर्नओवर पर छूट देने का प्रावधान है लेकिन इस बोली में नहीं दिया गया है। 7 दस्ताने के विनिर्देशों पर यूएसएफडीए, आईएसओ और सीई प्रमाणित कच्चे माल की मांग की गई थी। जिसके कारण स्थानीय उत्पादक के खिलाफ प्रतिबंधात्मक और भेदभावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। जबकि मेक इन इंडिया को आगे ले जाने का प्रयत्न करना चाहिए।
5. श्री जय एजेंसियों को अनुचित लाभ पहुँचाना।
6. बोली खोलने की तिथि 31-05-22 (बोली वैधता 60 दिन) है और खरीद आदेश 28-02-23 को जारी किया गया था।
7. बोली में कुल 19 बोलीदाताओं ने भाग लिया। ( 1. 19 बोलीदाताओं में से 18 बोलीदाताओं (बोलीदाताओं की सूची संलग्न) को दस्ताने के तकनीकी पैरामीटर से मेल नहीं खाने के कारण बोली से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। यानी सिर्फ एक ब्रांड के खास स्पेसिफिकेशन की मांग की गई थी।, 2. अधिकांश उद्धृत ब्रांड पहले से ही अन्य एम्स और सरकारी संस्थान द्वारा उपभोग किए जाते हैं। लेकिन सभी को बोली से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। (प्रतिलिपि संलग्न), 3. क्रेता द्वारा शामिल कोई भी खंड जैसे कि निविदा नमूना मांगना, एमएसएमई नीति के खिलाफ किसी भी खंड को शामिल करना और भारत में नीति बनाने की प्राथमिकता, किसी भी ब्रांड नाम या विदेशी प्रमाणन को अनिवार्य करना शून्य और शून्य होगा और इसे बोली का हिस्सा नहीं माना जाएगा। यह पहले से ही अस्वीकरण पर वर्णित है। 4. सरकार एमएसई के लिए कई प्रोत्साहन कार्यक्रम चला रही है लेकिन इस बोली पर सभी एनएसई बोली लगाने वालों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। बोलीदाताओं के खिलाफ एक प्रतिबंधात्मक और 7 भेदभावपूर्ण स्थिति बनाई गई है। 19 बोलीदाताओं में से 18 बोलीदाताओं को अयोग्य घोषित कर दिया गया। केवल एक बोलीदाता की बोली खोली गई। आरए की अनुपस्थिति में बोली पूरी नहीं हुई। लेकिन फिर भी खरीद आदेश जारी कर दिया गया। )
8. बिड टू आरए बोली का एक शर्त था। ( 1. औसत वार्षिक टर्नओवर 168 लाख रुपये बोली पर ( पिछले 3 साल) की मांग की गई थी। लेकिन श्री जय एजेंसियों का औसत वार्षिक टर्नओवर 168 लाख रुपये से कम है। लेकिन उन्हें बोली में योग्य बनाया गया। 2. जबकि श्री जय एजेंसियां भी जेम पोर्टल पर एमएसई के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। जिससे उनको छुट मिले। 1. एम्स के अधिकारियों ने जानबूझकर बोली प्रक्रिया में देरी की. जिसके कारण कई बोलीदाता बोली प्रस्ताव की वैधता बढ़ाने में सक्षम नहीं थे। 2. बोली की वैधता के विस्तार के लिए का वैध कारण भी नहीं बताया गया है। जिससे अप्रत्यक्ष लाभ श्री जय एजेंसियों को दिया।
इन आरोपों पर एम्स के पीआरओ शिवशंकर शर्मा ने कहा कि प्रबंधन ने इस पर जांच कराया है और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई है। वैसे भी आपको जो छापना है छाप लिजिए, आखिर आपके अखबार को पढ़ता कौन है। इसका मतलब ये निकलता है कि हम तो गड़बड़ करेंगे। हम पर किसी का दबाव और डर नहीं।