छत्तीसगढ़
बच्चों के साथ लैंगिक अपराध के प्रकरणों में उनकी पहचान उजागर करना दण्डनीय अपराध
Shantanu Roy
28 Nov 2022 10:47 AM GMT

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छग
रायपुर। बच्चों के साथ लैंगिक अपराध होने के प्रकरणों में उनकी पहचान उजागर करना लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) की धारा 23 का उल्लंघन और दण्डनीय अपराध है। इसका उल्लंघन होने पर 06 माह से 01 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अनेक समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब न्यूज पोर्टल के द्वारा ऐसे मामलों में बच्चों की पहचान उजागर करने पर पुलिस अधीक्षकों को समुचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। आयोग ने ऐसे प्रकरणों में तत्काल संज्ञान लेकर प्रकाशित, प्रसारित समाचार में बच्चे की पहचान उजागर हो जाने की दशा में अविलंब प्रकरण दर्ज कर दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई कर आयोग को अवगत कराने कहा है। आयोग ने जनसंपर्क विभाग को पत्र लिखकर मीडिया का ध्यान इस ओर आकर्षित करने और ऐसे मामलों में नियमानुसार कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।
आयोग द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 23 (2) में प्रावधान है कि किसी मीडिया से कोई रिपोर्ट, बालक की पहचान जिसके अंतर्गत उसका नाम, पता, फोटो चित्र, परिवार के ब्यौरे, विद्यालय, पड़ोस या अन्य किन्हीं विशिष्टियों को प्रकट नहीं करेगी, जिससे बालकों के पहचान का प्रकटन अग्रसारित होता हो। ऐसा नहीं करने पर धारा 23 (4) किसी भी प्रकार के कारावास से, जो 6 मास से अन्यून नहीं होगा, किंतु जो 01 वर्ष तक हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से, दण्डनीय होगा। छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों के साथ लैंगिक अपराध होने की दशा में किसी भी प्रकार से पहचान प्रकट नहीं की जा सकती है। समाचार पत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेबपोर्टल या अन्य मीडिया के द्वारा संस्थाओं का नाम, फोटो आदि प्रकाशित किये जाने की घटनाएं घट रही हैं। आयोग द्वारा उक्त घटनाओं को रोकने तथा बच्चों को सुरक्षित व अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने की दृष्टि से बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के तहत अनुशंसा की है।
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