जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में सबसे ज्यादा शिकायतें बिल्डरों के खिलाफ इस बात को लेकर है कि वे ब्रोशर में जैसी योजना दिखाते हैं, वैसी सुविधा लोगों को नहीं मिलती है। इसलिए ऐसे सभी बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। धरमजयगढ़ में रहने वाली शारदा पटेल ने रायपुर में सिवनी अभनपुर में प्रमोटर वात्सल्य बिल्डर्स से प्लॉट खरीदा। मकान खरीदते वक्त प्रमोटर्स ने ब्रोशर में बताया था कि उनके प्रोजेक्ट में सड़क, बिजली वितरण लाइन, अंडरग्राउंड टैंक, गार्डन, चिल्ड्रन प्ले एरिया, मंदिर, बाउंड्रीवाल आदि का काम पूरा कर देने का वादा किया गया था। बिल्डर प्रफुल्ल पुरुषोत्तम राव ने 2011 से 2015 तक कई लोगों को प्लॉट की बिक्री की। लेकिन तय सुविधाएं अभी तक नहीं दी। इसलिए रेरा ने अध्यक्ष विवेक ढांढ ने फैसला दिया कि रायपुर कलेक्टर दो महीने में सभी काम करवाए।
हाउसिंग बोर्ड को त्रुटियां सुधारने के निर्देश : निजी बिल्डरों के साथ ही लोगों को सुविधाएं देने में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड भी पीछे हैं। डॉ. मोनिका पाठक की शिकायत पर हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर, सीईओ और संपदा अधिकारी के खिलाफ फैसला सुनाया गया है। रेरा के आदेश में कहा गया है कि एक साल के भीतर पीपल-1 बोरियाकला में सभी तरह की त्रुटियों को सुधार कर उन्हें मकान सौंपा जाए। इसी तरह शंकरनगर में रहने वाले मनीष शर्मा की शिकायत पर भी आयुक्त समेत सभी अफसरों को तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है।
प्लाट बेचकर नहीं बनाई सड़क-नाली
नरदहा में अबीर बिल्डकॉन ने सिटी ऑफ वेलेन्सिया प्रोजेक्ट शुरू किया। 2010-11 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद 41 करोड़ से ज्यादा के प्लॉट लोगों को बेचे गए। इस प्रोजेक्ट में आज भी सड़क, नाली, पेयजल, सीवरेज, बिजली, लैंडस्केपिंग, डिवाइडर, कम्यूनिटी सेंटर, बाउंड्रीवाल, मेन गेट, गार्ड रूम कुछ भी नहीं बनाया गया है। प्लॉट खरीदने वाले लोगों से बड़ी धोखाधड़ी की गई है। अबीर बिल्डकॉन के डायरेक्टर आफताब सिद्दीकी अभी एक जमीन मामले में फर्जीवाड़ा करने की वजह से जेल में है। इस बिल्डर पर कई जमीनों के दस्तावेजों के साथ जालसाजी करने का भी आरोप है। रेरा ने इस प्रोजेक्ट में भी लोगों को 2 माह के भीतर सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। इसकी जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी।
लाकडाउन में मिला अतिरिक्त समय, फिर भी आरडीए का काम अधूरा
रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की ओर से रायपुरा इंद्रप्रस्थ फेज टू में बनाए जा रहे मकान के निर्माण में देरी से लाभार्थी परेशान हैं। यहां एलआइजी टू बीचएचके के 944, ईडब्ल्यूएस के 1244 मकानों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मकान पूरे नहीं बन पाए हैं। किस्त का भुगतान करने के बाद भी मकान नहीं मिल पाने से हितग्राही परेशान हैं। दूसरी ओर कमल विहार सेक्टर आठ- बी और सेक्टर आठ ए में स्वतंत्र ईडब्ल्यूएस मकान बनाने का काम भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है, जबकि ज्यादातर हितग्राही कोरोना काल में भी समय पर किस्त पटा रहे हैं। लोग बैंक से लोन लेकर किस्त पटा रहे हैं और समय पर भवन नहीं मिल पाने की चिंता सता रही है। कई परिवार किस्त भी जमा कर रहे हैं और किराए के मकान में रहने के कारण कर्ज से लदे हुए हैं। आरडीए के अफसरों का कहना है कि मकान बनाने में अभी कुछ माह और लगेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि छह महीने की देरी हो सकती है। आरडीए चार साल से रायपुरा में इंद्रप्रस्थ फेस टू में एलआइजी टू बीएचके के 944 व ईडब्ल्यूएस के 1244 मकानों का निर्माण करा रहा है। वर्ष 2015 में विज्ञापन जारी कर इन मकानों का लाटरी पद्धति से आवंटन किया गया। मकान दिसंबर 2019 में पूर्ण कराकर लाभार्थियों को सौंपा जाना था, लेकिन अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। लिहाजा 2100 परिवारों अभी और आशियाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। यही हाल आरडीए की कमल विहार योजना समेत कई और जगहों पर हो रहे मकान निर्माण कार्य का भी है। हितग्राहियों का अपना आशियाना पाने का सपना अधूरा रह गया है। इसके कारण हितग्राहियों में भारी आक्रोश हैं, हालांकि एलआइजी टूबीएचके मकानों के लिए लिफ्ट लगनी शुरू हो गई है। हितग्राहियों का कहना है कि किराए के मकान में रहकर वे हजारों रुपये हर महीने दे रहे हैं। इन पैसों को बचाने के लिए ही पैसे जमा कर मकान खरीदने का सपना संजोया, जो निर्माण में देरी के कारण अधूरा रह गया है।