छत्तीसगढ़

नामचीन बिल्डर्स को अवैध प्लाटिंग की छूट!

Nilmani Pal
17 Jun 2022 5:53 AM GMT
नामचीन बिल्डर्स को अवैध प्लाटिंग की छूट!
x
  1. राजधानी के आउटर में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई नहीं
  2. गांवों में अवैध प्लाटिंग कर बेची जा रही खेती की जमीन
  3. जिला प्रशासन और निगम की अनदेखी शहर में छोटे-छोटे अवैध अतिक्रमण पर ही कार्रवाई

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी के आउटर व नवा रायपुर के गांवों में जमीनों की अवैध प्लाटिंग व खरीद फरोख्त जमकर हो रही है। कई कालोनाइजर और बिल्डर कई एकड़ जमीन पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लांच कर रहे हैं। इन प्रोजेक्ट के लिए जरूरी प्रक्रियाओं को भी पूरा नहीं किया गया और लोगों को प्लाट बेचे जा रहे हैं। दतरेंगा में ही एक नामचीन बिल्डर द्वारा 45 एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। इसकी शिकायत भी जिला प्रशासन को मिली है लेकिन आज तक इस पर संज्ञान नहीं लिया गया है। नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने इन मामलों की शिकायत मिलने पर अवैध प्लाटिंग करने वालों तथा खरीदारों के लिए चेतावनी जारी की थी इसके बावजूद अवैध प्लाटिंग पर रोक नहीं लगी है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में डायवर्सन की प्रक्रिया का सरलीकरण करने तथा छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री शुरू करने के बाद से खेती की जमीन बेचने के लिए यह किया जा रहा है। कुछ महीने पहले नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक प्रशासन विश्वास मेश्राम ने इस मामले को लेकर सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन भी करवाया है। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि नवा रायपुर के लेयर वन के बाहर आने वाले गांवों में इस प्रकार की गतिविधियां तेज हो गईं। लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी व धोखाधड़ी से बचाने के लिए यह सूचना जाहिर की जा रही है। प्राधिकरण ने नवा रायपुर अटल नगर क्षेत्र में शामिल 41 गांवों की सूची जारी कर कहा है कि इन गांवों में खेती की जमीन की अवैध प्लाटिंग की जा रही है। प्राधिकरण ने कहा है कि बिना ले.आउट पास हुए प्लाट को खरीदना खतरे से खाली नहीं है। इन प्लाट में किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध माना जाएगा। इस तरह के प्लाट बेचने व खरीदने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

खेती की जमीन में प्लाटिंग

नवा रायपुर से लगे गांवों में खेती की जमीन की अवैध प्लाटिंग की जा रही है। यह काम कई गांवों में चल रहा है। खेती की जमीन के प्लाट काटकर 250 से 300 रुपए प्रति वर्गफीट की दर से बेची जा रही है। नवा रायपुर से सटे की गांवों में सड़क से लगी जमीन पर प्लाट काटने और बेचने का काम सबसे ज्यादा तेजी पर है।

नियमों में छूट का फायदा

नवा रायपुर के आसपास इन गतिविधियों के जानकारों की मानें तो हाल ही में राज्य सरकार द्वारा छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री प्रारंभ करने के फैसले के बाद से अवैध प्लाटिंग तेज हुई है। खेती की जमीन की प्लाटिंग करने वाले कारोबारी लोगों को बता रहे हैं कि अब कृषि भूमि के छोटे हिस्से की भी रजिस्ट्री हो सकती है। साथ ही खेती की जमीन का आवासीय या अन्य प्रयोजन के लिए डायवर्सन भी आसानी से हो जाएगा। इस तरह कानून के प्रावधान की व्याख्या कर ग्राहकों को नवा रायपुर के करीब कम दरों पर प्लाट दिलाने का झांसा देकर जमीन के टुकड़े बेचने का प्रयास कर रहे हैं।

निगम एफआईआर करने तक ही सीमित

रायपुर में अवैध प्लॉटिंग का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. नगर निगम रायपुर की शिकायत और एफआईआर के बाद भी इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं चंद मामलों में ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। अवैध प्लाटिंग करने वाले कई रसूखदारों के खिलाफ रायपुर नगर निगम ने शहर के विभिन्न थानों में लिखित शिकायत दर्ज करा रखी है. नगर निगम के की ओर से 200 से अधिक प्रतिवेदन 32 थानों में दिए गए हैं. एफआईआर के बाद भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। राजधानी रायपुर के दक्षिण और पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक अवैध प्लॉटिंग की शिकायत दर्ज की गई है. नगर निगम से बिना अनुमति लिए कबीर नगर थाना क्षेत्र, खमतराई, पुरानी बस्ती, गुढिय़ारी, डीडी नगर, टिकरापारा समेत अनेक थाना क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा था. जब मामले का पता चला तो जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने का सिलसिला शुरू कर दिया. शहर के अलग अलग जोन क्षेत्रों के अधिकारी ने थाने पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई है.

कार्रवाई पर हीलाहवाला

अवैध प्लॉटिंग को लेकर रायपुर नगर निगम की ओर से की गई शिकायत और एफआईआर के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस केस में जब हमने पुलिस के आला अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो किसी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. करीब दो महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अवैध प्लॉटिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है. कार्रवाई नहीं करने को लेकर रायपुर पुलिस की यह चुप्पी अब कई तरह के सवाल पैदा कर रही है. क्योंकि अन्य मामलों में तो पुलिस तत्काल प्रभाव से गिरफ्तारी कर लेती है. लेकिन भू माफियाओं के खिलाफ पुलिस की सुस्ती संदिग्ध हो गई है

सरकारी जमीन पर भी कब्जा

राजधानी में सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल इस कदर धड़ल्ले से जारी है कि सरकार का कोई भी विभाग हो, उसकी जमीन सुरक्षित नहीं है। जमीनों पर कब्जे व अतिक्रमण हटाने का काम करने वाला नगर निगम खुद अपनी जमीन बचाने में नाकाम साबित हुआ है तो सरकार में बैठे अधिकारी कहाँ ध्यान देंगे । सरकार का हर विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जाधारियों ने कब्ज़ा जमाया हुआ है। वन विभाग हो या सिंचाई विभाग या फिर पीडब्लूडी विभाग, कोई भी ऐसा विभाग नहीं, जिस पर भूमाफियाओं की बुरी नजर न पड़ी हो। सरकारी संपत्ति आपकी संपत्ति है इस स्लोगन को कब्जाधारियों ने अपने लिए ही समझ लिया है लेकिन उन्हें पता है की नहीं कि सेन्ट्रल जेल भी अपना है। कब्जाधारियों ने इस स्लोगन को आधार मानकर करोड़ों कीमत की सरकारी जमीं पर अवैध कब्ज़ा जमा लिए हैं।.

छुटभैया नेताओं के दबाव से

कार्रवाई से खींच रहे हाथ

छुटभैया नेताओं का वर्चस्व और राजनीतिक घुसपैठ के चलते अधिकारी अवैध कब्जा और अवैध प्लाटिंग पर चाह कर भी कार्रवाई नहीं कर पाते है। छुटभैया नेता की मिली भगत से ही बिल्डर जमीनों पर कब्जा कर उसमें प्लाटिंग करने की हिम्मत दिखाते है। क्योंकि बिल्डरों के मिडयेटर के रूप में छुटभैया काम करते है और अवैध प्लाटिंग कराते है। उसके बदले में बिल्डर उन्हें नजराना पेश करते है। अधिकारियों को सब कुछ जानकारी होने के बाद भी रसूखदारों पर कार्रवाई करने से पीछे हट जाते है।

मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-

जो दिखेगा, वो छपेगा...

Next Story