छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से प्रोफेसर को राहत, शोषण मामले में कोर्ट ने कहा- सिर्फ अकेले में आकर मिलने के लिए कह देना लैंगिक शोषण नहीं
Nilmani Pal
4 Nov 2021 12:00 PM GMT
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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक कॉलेज के प्रोफेसर को राहत देते हुए कहा है कि किसी महिला को सिर्फ यह कह देना कि अकेले में आकर मिलिए, लैंगिक शोषण नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दर्ज एफ आई आर निरस्त करने का आदेश भी दिया है।
बिलासपुर के डीपी विप्र महाविद्यालय के सहायक अध्यापक डॉक्टर मनीष तिवारी के विरुद्ध कॉलेज की ही एक सहायक महिला प्राध्यापक ने लैंगिक शोषण के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि छुट्टी मांगे जाने पर उक्त प्राध्यापक ने उसे कहा था कि छुट्टी चाहिए तो अकेले में आकर मिले।
एफ आई आर के विरुद्ध हाईकोर्ट में सहायक अध्यापक ने याचिका दायर कर दी और कहा कि महिला का आरोप झूठा है। कानून का लाभ उठाते हुए उसे परेशान करने के लिए उसके विरुद्ध महिला ने एफ आई आर दर्ज कराई गई है। पूर्व में एक मामले में उन्होंने महिला के विरुद्ध गवाही दी थी, इसलिए वह बदला लेना चाहती है।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि छुट्टी के लिए केवल अकेले में आकर मिलने के लिए कह देना लैंगिक शोषण नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता के विरुद्ध लगाया गया आरोप झूठा प्रतीत होता है इसलिए उनके विरुद्ध दर्ज एफ आई आर निरस्त की जाए।
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