DSP को राहत, हाईकोर्ट ने कहा - नहीं की जा सकती भुगतान किए हुए वेतन की वसूली
बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी को वर्तमान वर्ष से पांच वर्ष या इससे अधिक वर्षों तक गलत तरीके से अधिक वेतन भुगतान कर दिया है तब संबंधित शासकीय अधिकारी कर्मचारी से वेतन भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ आइजी गुप्तवार्ता द्वारा जारी रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस पी सैम कोशी ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता के विस्र्द्ध वसूली आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नरोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर दिया जाना था। विभागीय अधिकारियों ने ऐसा नहीं कर प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का घोर उल्लंघन किया है।
उप पुलिस अधीक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस महानिरीक्षक गुप्त वार्ता के आदेश पर रोक लगा दी है। आइजी गुप्तवार्ता ने गलत तरीके से वेतन भुगतान का हवाला देते हुए रिकवरी आदेश जारी कर दिया था। आइजी गुप्त वार्ता के आदेश को चुनौती देते हुए डीएसपी राजेश कुमार शर्मा ने वकील अभिषेक पांडेय के जरिए बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
याचिका के अनुसार पुलिस मुख्यालय रायपुर में उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। पदस्थापना के दौरान दिसंबर 2020 को एआइजी सुरक्षा रायपुर एवं उसके बाद सितंबर 2021 में पुलिस महानिरीक्षक गुप्तवार्ता ने पूर्व के वर्षों में नियम विस्र्द्ध किए गए वेतन भुगतान का हवाला देते हुए वेतन से राशि वसूली का आदेश जारी कर दिया है। आइजी गुप्तवार्ता के निर्देश के परिपालन में विभाग द्वारा वेतन से राशि की कटौती भी की जा रही है। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक पांडेय ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट आफ पंजाब विरुद्ध रफीक मसीह के मामले में व्यवस्था दी है कि विभागीय अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के वेतन से वसूली के पहले उनको सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है। ऐसा कर विभागीय अधिकारियों ने प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन किया है।