छत्तीसगढ़

सेजबहार कालोनी में मेंटेनेंस ठेका चहेते को दे कर वसूली

Nilmani Pal
28 May 2024 5:48 AM GMT
सेजबहार कालोनी में मेंटेनेंस ठेका चहेते को दे कर वसूली
x

तालपुरी, अभिलाषा परिसर, हिमालयन हाईट्स में घोटाले के बाद अधिकारियों ने निकाला लूट का नया तरीका

हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों का गिरोह निजी फायदे के लिए शासन को लगा रहा चूना

मिलीभगत के खेल में शासन को हो रहा हर माह लाखों का नुकसान

1000 हजार करोड़ तालपुरी प्रोजेक्ट में भौतिक सत्यापन क्यों नहीं

प्रोजेक्ट के हिसाब से मकानों की संख्या कम है यह अत्यंत गंभीर और जांच की विषय भी है

घोटालेबाज अधिकारी ईओडब्ल्यू की जांच को प्रभावित करने मुख्यालय में जमे हैं और जांच से संबधित सरकारी दस्तावेज दबा रहे हैं

रायपुर। हाऊसिंग बोर्ड के अधिकारी घोटाले के लिए नित नए तरकीब इजाद कर रहे है। अब मेंटेनेंस के नाम पर अपने चहेते लोगों या संस्था को ठेका देकर खुलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। सेजबहार हाउसिंग बोर्ड कालोनी का तो बुरा हाल कर दिया है भ्रष्ट अधिकारियों ने। और शासन को करोड़ों रूपये की राजस्व की हानि भी हो रही है। सेजबहार कालोनी के कई रहवासियों ने बताया कि कालोनी के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी वहां की समिति को दिया गया है जिनके द्वारा लाखों रूपये वसूला जाता है और मेंटेनेंस के नाम पर थोड़ी बहुत राशि खर्च करके बाकी रकम की बंदरबांट कर ली जा रही है साथ ही कुछ राशि प्रतिमाह हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों को दिया जा रहा है। इस तरह से अपने निजी फायदे के लिए शासन को चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि अधिकारी मेंटेनेंस का ठेका या परमिशन उन्हीं को देते हैं जो हर माह उन्हें लाखों रुपया चढ़ावा चढ़ा सके। मिलीभगत के इस खेल में संस्था और अधिकार जमकर दोहन कर रहे है और शासन को सीधा-सीधा लाखों का नुकसान हर माह हो रहा है।

प्रदेश का हाऊसिंग बोर्ड इन दिनों अवैध कमाई में रिकार्ड बनाने में लगा है। बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों के वजह से शासन को हर साल करोड़ों रूपये का राजस्व की क्षति हो रही है और भ्रष्ट अधिकारी अपनी जेबें भर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद तो हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों की मनो किस्मत ही खुल गई है। बोर्ड को भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने कारनामों से हमेशा सुर्खियों में रखा है। कांग्रेस सरकार में बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने नेताओं को खुश कर अपना उल्लू सीधा करते रहे और अब भाजपा की सरकार आने के बाद भी सेटिंग करने जुगत में लगे हैं। सरकार को चाहिए इन सबकी बारीकी से जाँच कर कार्रवाई करें वार्ना ये अधिकारी शासन को बदनाम करने में पीछे नहीं रहेंगे। भ्रष्ट अधिकारियों के चलते हाउसिंग बोर्ड को अब तक अरबों -खरबों का नुकसान झेलना पड़ा क्या यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा ? जनता की सुध लेने वाली सरकार से लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके साथ न्याय जरूर होगा।

निजी बिल्डरों से मिली भगत

इन अफसरों ने सरकार को गुमराह कर बड़े -बड़े अरबों खरबों के प्रोजेक्ट लांच किए लेकिन वो जिनके सिर पर छत नहीं उनके कोई काम नहीं आया। वो तो बेघर के बेघर रहे और अधिकारियों ने मौके की बेस कीमती जमीन अपने नाते रिश्तेदारों के नाम कर दिया या फिर ठेकेदारों से मिलकर निजी बिल्डरों को हाउसिंग बोर्ड के आसपास की जमीन किसानों से खरीदवा कर हाउसिंग बोर्ड की हजारों एकड़ जमीन बिल्डर के जमीन में दबवा दी।

आज हालात यह है कि हाऊसिंग बोर्ड की अरबों की संपत्ति डिसमेंटल के कगार पर खड़ी है कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने मौके की फ्रंट सडक़ से लगी सारे जमीनों को निजी बिल्डरों के साथ सांठगांठ कर जमीनों की खरीदी कर हाउसिंग के सारे प्रोजेक्ट को बैकपुट कर दिया। प्रदेश में जहां सस्ते दरों पर हाऊसिंग बोर्ड की संपत्ति बिकनी थी वहां निजी बिल्डरों की संपत्ति बिकी और हाऊसिंग की जमीन को कोई खरीदार ही नहीं मिल पाया । जो रेट निजी बिल्डरों का ता वही रेट हाउसिंग बोर्ड ने रखा जिसके कारण हाउसिंग बोर्ड के मकान नहीं बिके और जो बिके वो सुविधाओं के नाम पर विवादित होकर कोर्ट में पहुंच गए। इस दशा में हाऊसिंग बोर्ड को ढकेलने में उनके ही तथाकथित अधिकारियों का बड़ा रोल है जो आज हाउसिंग बोर्ड के शिखर पदों की शोभा बढ़ा रहे है।

ठेकेदार को लाभ पहुंचा कर कमाया मुनाफा

भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी इंटरनेशनल कालोनी के निर्माण कार्य में चार अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का मामला उजागर हुआ था इस मामले में करीब 115 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला है। छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की विभागीय स्तर पर हुई जांच में भी चारों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ रकम वसूली की कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। कॉलोनी में करीब 1800 मकान ईडब्ल्यूएस और 1800 सामान्य एलआईजी, एमआईजी व एचआईजी आवासों का निर्माण किया गया। ईडब्ल्यूएस आवासों को पारिजात व अन्य आवासों को गुलमोहर, लोटस, रोज, लिली, टिली, बीजी, डहलिया, आर्किड जूही, मोंगरा टाइप बनाया गया। इस पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए गए। कॉलोनी का निर्माण करने कलकत्ता के मेकेरोज बर्न लिमिटेड को भवन निर्माण करने का ठेका दिया था, लेकिन ठेकेदार काम पूरा किए बिना गायब हो गया।

चेहते ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया

हाऊसिंग बोर्ड के चार अधिकारियों बीबी सिंह, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता, हर्ष कुमार जोशी, एमडी पनारिया और एचके वर्मा ने इसका लाभ उठाया। ठेकेदार अगर कार्य अपूर्ण स्थिति में छोड़ता है तो अन्य एंजेसी-ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया जाता है। कार्य पर होने वाले अतिरिक्त व्यय की वसूली संबंधित ठेकेदार से की जाती है और शेष कार्य के लिये निविदा आमंत्रित किया जाता है। अंतर की राशि की कटौती इनके बिलों से करके ही शेष धनराशि का भुगतान किया जाता है। जिम्मेदार अधिकारियों ने शेष कार्य पूर्ण कराने बिना पंचनामा किये निविदा निकाले बिना ही अपने चेहते ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया। प्रथम ठेकेदार से 18 प्रतिशत ब्याज दर से राशि की वसूली करने की बजाय उसे 11 प्रतिशत ब्याज दर से राशि वसूल किया गया। यानी सीधे सीधे ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया। इसका खुलासा तब हुआ जब भवन बुक कराने वाले लोगों से 15 करोड़ का सर्विस टैक्स वसूल कर ठेकेदार को दे दिया गया। उच्च कार्यालय से सर्विस टैक्स वसूलने के लिए मना किया गया था। चारों अधिकारियों ने प्रथम ठेकेदार और द्वितीय ठेकेदार दोनों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया। इस प्रकार शासन को भी आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। सर्विस टैक्स वसूले जाने के बाद इस मामले की शिकायत राजधानी में की गई। इसकी जांच कर ली गई है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि चारों अधिकारियों से 15 करोड़ रुपए वसूल किया जाना चाहिए। चारों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा भी की गई है। जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए शर्तों में भी बदलाव किया गया है। इसके सबूत मिटाने के लिए कार्यालय से दस्तावेज भी गायब कर दिये गए।

कैग रिपोर्ट में खुलासा-दोषियों पर नहीं हुई कार्रवाई

भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई थी। कैग की रिपोर्ट में भी 115 करोड़ रुपये के खर्च को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। जांच हुई, लेकिन लीपापोती कर घोटाले को दबा दिया गया। गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि पदोन्नात कर दिया गया। अब लोकायुक्त में शिकायत के बाद एक बार फिर से यह मामला गरमा गया है। इस संबंध में बोर्ड के अधिकारी जांच का हवाला देकर अधिकृत तौर पर कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं।

हाउसिंग बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल कालोनी के नाम से वर्ष 2008 में प्रचारित कर मकानों की बुकिंग करवाई गई। इस प्रस्तावित कालोनी में करीब 1800 मकान ईडब्ल्यूएस और 1800 सामान्य एलआइजी, एमआइजी व एचआइजी थे। ईडब्ल्यूएस आवासों को पारिजात व अन्य को गुलमोहर, लोटस, रोज, लिली, टिली, बीजी, डहलिया, आर्किड जूही, मोंगरा टाइप बनाए गए थे। इस पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसमें सर्विस टैक्स में गड़बड़ी करने और गुणवत्ता खराब होने की शिकायत मिलने पर सीएजी (कैग) ने 2012 में जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। यह रिपोर्ट मार्च 2013 में सार्वजनिक हुई थी,जिसमें करीब 115 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था।

Next Story