रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी अपने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में उत्सर्जित राखड़ का उचित निपटान कर रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में सभी संयंत्रों से 86 प्रतिशत राखंड का प्रबंधन और उसके बेहतर उपयोग करने में सफलता हासिल की गई है। यह अब तक का सर्वाधिक राखड़ उपयोग का प्रतिशत है।
जनरेशन कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके कटियार ने बताया कि बेहतर प्रबंधन के परिणामस्वरूप यह संभव हो सका। कंपनी राखड़ प्रबंधन के लिए सजग है और इसके लिए विभिन्न स्तर पर लगातार प्रयास किये जा रहे है। उत्पादन कंपनी के तीनों संयंत्रों से निकलने वाले राखड़ का उपयोग विभिन्न निर्माण एवं अन्य गतिविधियों में किया जा रहा है। स्टेट पॉवर कंपनी के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में विदयुत गृहों की राखड़ उपयोगिता का औसत जहाँ 86 प्रतिशत रहा जो अब तक एक वर्ष में राखड़ के अधिकतम उपयोग का रिकार्ड है। वहीं तीनों संयंत्रों में सबसे अधिक अटल बिहारी ताप विद्युत गृह मड़वा का 117 प्रतिशत रहा। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विदयुत गृह कोरबा ने 86 प्रतिशत निपटान किया तथा हसदेव ताप विद्युत गृह ने 70 प्रतिशत का उपयोग कर पर्यावरण मंत्रालय के प्रावधानों के अनुरूप राखड़ प्रबंधन करने में सफलता हासिल की। इस प्रकार अधिसूचना में निहित दण्ड प्रावधान के तहत राज्य की जनरेशन कंपनी के ऊपर वर्ष 2022-23 में बेहतर राखड़ प्रबंधन को देखते हुए किसी प्रकार का अर्थदण्ड प्रत्यारोपित नहीं किया जाएगा।
प्रावधान के तहत तीन वित्तीय वर्षों (2022-23, 2023-24 एवं 2024-25) में राखड़ बांधों के स्थिरीकरण की प्रक्रिया पूर्ण किया जाना है। इसके लिए कोरबा पूर्व स्थित पोड़ीमार फेस 1 एवं 2 तथा पी. ए. बी. पोंड क्र 2 राखड़ बांध, कोरबा पश्चिम स्थित डगनियाखार राखड़ बांध तथा लोतलोता राखड़ बांधों का स्थिरीकरण का कार्य प्रगति पर है। उपरोक्त राखड़ बांधों में कुल संग्रहित 565 लाख मी टन लिगेसी राख पूरी तरह शून्य हो जाएगी। इससे कंपनी पर राख परिवहन तथा पर्यावरण क्षतिपूर्ति में होने वाले व्यय की भारी बचत होगी। साथ ही स्थिरीकरण किए गए उपरोक्त बांधों की उपलब्ध समतल सतह पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। बीते वित्त वर्ष में कुल उत्पादित राखड़ 53.99 लाख मीट्रिक टन में से 46.26 लाख मीट्रिक टन राखड़ का उपयोग खनन कार्य से रिक्त हुए स्थानों को भरने, सड़क निर्माण, सीमेंट कारखानों, फ्लाई एश निर्माण समेत अन्य निर्माण एवं विकास कार्य में किया गया।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली की अधिसूचना 31 दिसम्बर 2021 एवं 30 दिसम्बर 2022 के अंतर्गत प्रत्येक कोयला या लिग्नाईट आधारित ताप विद्युत गृह को विद्युत गृह से उत्सर्जित राखड़ का 100 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करना है। निर्देशों की अवहेलना पर दण्ड का भी प्रावधान है। इसके तहत 1000 रूपए प्रति टन अर्थदण्ड अधिरोपित किया जाता है।