छत्तीसगढ़

राजधानी में रवि-आसिफ का सट्टा गैंग फिर सक्रिय

Nilmani Pal
15 Nov 2021 6:21 AM GMT
राजधानी में रवि-आसिफ का सट्टा गैंग फिर सक्रिय
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  1. अनिल आलू तक आज तक नहीं पहुंच सकी पुलिस
  2. दुबई से लेकर देश के बड़े शहरों से सटोरियों का लिंक
  3. वेबसाइट-एप के माध्यम से चल रहा कारोबार
  4. धरपकड़ के बाद जमानत पर छूटे सट्टेबाज फिर धंधे में लगे
  5. सट्टे का बड़ा केन्द्र है रायपुर - राजधानी में सट्टा-जुआ का कारोबार पूरी तरह उफान पर है, सटोरियों पर कार्रवाई नहीं होने से इनका नेटवर्किंग शहर के साथ अब आसपास के गांवों में भी फैलता जा रहा है। खुले तौर पर नंबरों का खेल चलने से क्षेत्र के लगभग 40 प्रतिशत युवा सट्टे का लत लगा बैठे हैं। सट्टा पट्टी का चलन कोई नई बात नहीं है। यह अवैध कारोबार लंबे समय से रायपुर में फल फूल रहा है। सट्टा पट्टी के इस खेल ने रायपुर के शहरी क्षेत्र और आसपास के गांवों के युवा पीढ़ी को पूरी तरह जकड़ लिया है। जिले में सट्टे का सबसे बड़ा गढ़ रायपुर शहर माना जाता है, जहां रोज 10 लाख रुपए से उपर का दांव सट्टे के नंबरों पर लगता है, यहां 100 से अधिक लोग इस आपराधिक कृत्य में लिप्त हैं।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। मुख्यमंत्री की फटकार के बाद पुलिस राजधानी सहित प्रदेश में नशा और हुक्का परोसने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। लेकिन सट्टा और जुआ जैसे अवैध कारोबारों पर पुलिस की पकड़ फिर ढीली हो गई है। नतीजा सट्टेबाज, बुकी और खाईवाल राजधानी और प्रदेश के दूसरे बड़े शहरों में फिर सक्रिय हो गए हैं। क्रिकेट में सट्टा का बड़ा दांव चल रहा है। पहले आईपीएल और अब टी-20 वल्र्ड कप में सटोरियों ने एप और वेबसाइट के माध्यम से जमकर दांव खेला। पुलिस मुखबीर की मदद से एक दो कार्रवाई ही कर पाई, ज्यादातर बुकी और सटोरिए पुलिस से बचकर जगह-जगह बदल-बदल कर सट्टा खिलाते रहे। राजधानी पुलिस ने पिछले महीने कुछ सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई की थी लेकिन वे सभी एक-दो दिन में ही जमानत पर बाहर आ गए और फिर से धंधे में लग गए। रवि साहू का सट्टा गैंग राजधानी के हर कोने में एक्टिव है। अनिल आलू के गुर्गे उसके निर्देश पर अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। पुलिस आज तक उसे पकड़ नहीं पाई है। इसी तरह आसिफ और मुनाफ का गांजा गैंग भी सक्रिय है। पुलिस अगर कार्रवाई करती भी है तो इनके गुर्गे ही धरे जाते हैं और ये बड़े गैंगबाज पकड़ से बाहर होते हैं। पुलिस इन पर हाथ नहीं डालती है। इसका नतीजा कार्रवाई के बाद भी सट्टा, जुआ और गांजे के अवैध धंधे रुक नहीं रहे हैं।

शहर से लेकर गांवों तक नेटवर्क

खाईवालों ने भी गांव व शहर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है। कई इलाकों में तो पुलिसकर्मियों की सांठगांठ से यह कारोबार जोरों पर चल रहा है। कई सटोरिये ऐसे भी हैं जिन्होंने पुलिस की नजरों से बचने के लिए नामी गिरामी होटलों और पॉश कॉलोनियों में अपने ठिकाने बना लिए हैं। ये सटोरिये अपनी हिफाजत के लिए आम ग्राहकों के बाजए कुछ चुनिंदा लोगों के ही दांव बुक कर रहे हैं। नए ग्राहकों की एंट्री पुराने ग्राहकों की गारंटी के बाद ही हो रही है। सटोरियों ने ग्राहकों और खुद के नंबरों को अपने मोबाइल फोन पर फीड किया हुआ है। नए नंबरों को वो रिसीव तक नहीं कर रहे हैं ताकि गोपनीयता बरकरार रहे। लेकिन तू डाल-डाल तो मैं पात- पात की तर्ज पर सटोरिये भी अपनी सजगता दिखा रहे हैं।

शहर में इन जगहों पर खिलाया जा रहा सट्टा

प्रतिबंध के बावजूद शहर में नंबरों का काला खेल खुलेआम खेला और खिलवाया जा रहा है। शहर के ही एक खाईवाल ने जनता से रिश्ता को बताया कि सट्टे का खेल नेटवर्किंग के जरिये खेला जाता है। हमारा सरगना राजधानी रायपुर में बैठकर सारा कुछ ऑपरेट करता है। ये वही सरगना है जो पुलिस को कई दिनों से चकमा दे रहा है। रवि साहू जो कालीबाड़ी में बैठकर अपना कारोबार पूरे शहर भर में चलाते जा रहा है। रायपुर के कुछ खाईवालों का संपर्क राज्य के अन्य शहरों के साथ देश के बड़े शहर कोलकाता, मुम्बई, और इंदौर जैसे जगहों से भी है। इस कारोबार को शहर के पुराना बस स्टैंड, नया बस स्टैंड, अंबेडकर चौक, शास्त्री बाजार, लाखेनगर, कोटा, टिकरापारा, कालीबाड़ी, नेहरू नगर, गाँधी नगर समेत विभिन्न स्थानों से संचालित किया जाटा है।

बड़े बुकी आईडी बांटकर खिला रहे सट्टा

राजधानी में कई बड़े खाईवाल मोहल्लों में छोटे-छोटे सटोरियों को आईडी देकर सट्टा खिला रहे हैं। चूंकि मुखबिरों की नजर बड़े सटोरियों और बड़े दांव लगाने वालों पर होती है इसलिए मुखबिर और पुलिस से बचने के लिए ये सटोरिए छोटे-छोटे गु्रप के लोगों को आईडी देकर दांव लगवाते हैं और पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहते हैं। कुछ महीने पहले सिविल लाइन पुलिस ने विशाल नाम के एक बड़े बुकी को गिरफ्तार किया जो अपनी आईडी दो-दो लाख में बेचकर सट्टा खिलाता था। वह प्राय: मुंबई और दूसरे शहरों से सट्टा संचालित करता था।

जगह बदल-बदल कर लगा रहे दांव

पुलिस की पकड़ से बचने सटोरिए और बुकी अब सट्टा खिलाने का तरीका रोज बदल रहे हैं। सट्टा खिलाने के लिए अब होटल या बड़े घरों को छोड़कर चलती कार में एप के माध्यम से सट्टा खिला रहे हैं। पुलिस ने पिछले दिनों ऐसे कई सटोरियों को गिरफ्तार किया था जो लक्जरी कार में घुम-घुमकर सट्टा खिला रहे थे। राजधानी से बाहर भी दुर्ग और महासमुंद पुलिस ने भी चलती कार में सट्टा खिलाते सटोरियों को पकड़ा था। जगह बदल-बदल कर सट्टा खिलाने से सटोरिए प्राय: पुलिस से बचे रहते हैं। इंटरनेट नेटवर्क के चक्कर में ही एक जगह पर ज्यादा देर तक खड़े रहने पर ही संदेह के आधार पर पुलिस कभी-कभार ऐसे सटोरियों तक पहुंच पाती है।

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