रायपुर। राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागरजी एवं डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागरजी ने अपना ऐतिहासिक रायपुर चातुर्मास सानंद संपन्न कर सोमवार को श्रीजिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी से जीई रोड होकर कैवल्यधाम की ओर पग विहार किया। इस अविस्मरणीय प्रसंग पर बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुजन उनके साथ पग विहार में एक जुलूस के रूप में साथ चले। जयकारा गुरुदेव का... जय-जय गुरुदेव के स्वरों से संपूर्ण परिवेश गुंजायमान रहा।
पग विहार से पूर्व दादाबाड़ी में आयोजित विदाई समारोह में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी ने कहा कि रायपुरवासियों का लाड़-प्यार उनकी भक्ति-श्रद्धा भावना हमें सदा याद रहेगी। रायपुरवासियों और विशेष रूप से श्रीऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट, दिव्य चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों और अनेक श्रद्धालुओं ने हमें माँ, पिता, भाई-बहन रूप में पलकों पर बैठाए रखा। दादाबाड़ी के मंदिर में विराजित भगवान श्रीधर्मनाथ, सदर जैन मंदिर में विराजित श्रीऋषभदेव भगवान और दादाबाड़ी में विराजित श्रीकुशल गुरुदेव की दिव्य कृपा रही, यह चातुर्मास सानंद सफल रहा। हम रायपुर की 36 कौमों की जनता को बहुत-बहुत साधुवाद-और अपना शुक्राना समर्पित करते हैं और हम आप सबके उज्जवल भविष्य की मंगलकामना करते हैं। इस अवसर पर राष्ट्रसंतों के श्रीमुख से बड़ी मांगलिक सुनने विशाल जनसमूह एकत्र था। बड़ी मांगलिक का श्रवण कर मंदिर ट्रस्ट व चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों समेत वरिष्ठ सुश्रावकों-श्राविकाओं ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। विदाई प्रसंग पर वक्ताओं के हृदय के उद्गार यही रहे कि पूरे रायपुर नगर में पूज्यश्री गुरुदेव आपका चातुर्मास अविस्मरणीय रहेगा, सजल नेत्रों से आज हम सब आपको विदाई दे रहे हैं, आप सदैव हमारे हृदय में बसे रहेंगे। विदाई समारोह को प्रमुख रूप से श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टी त्रय तिलोकचंद बरड़िया, राजेन्द्र गोलछा, उज्जवल झाबक, पूर्व ट्रस्टी प्रकाशचंद सुराना, सुरेश कांकरिया, कैवल्यधाम तीर्थ ट्रस्ट से वरिष्ठ सुश्रावक सुपारसचंद गोलछा, दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोक बरड़िया, महासचिव द्वय पारस पारख, प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मूणोत आदि अनेक श्रद्धालुओं ने अपने भाव व्यक्त कर गुरुदेव से सदा आशीर्वाद बनाए रखने की विनती-प्रार्थना की। चातुर्मास समिति के युवा सेवाभावी श्रद्धालु महावीर तालेड़ा ने अपनी काव्य रचना- हम सबको प्रेरणा देने वाले, जीने का पाठ सिखाने वाले। ना जाने फिर कब आओगे, ललित प्रभु आप बहुत याद आओगे... की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।