- पुलिस को अपने खुफियातंत्र पर ही विश्वास नहीं, जिसका फायदा उठा रहे लोकल माफिया, रोज हो रहे वारदात
- योगी के डर से गुंड़े-बदमाश छग की ओर कर रहे पलायन
- स्थानीय तथाकथित छुटभैया नेताओं के संरक्षण में अवैध वसूली और तस्करी का कारोबार हो रहा आबाद
- पुलिस की सख्ती के बाद भी राजधानी में शराब,गांजा,नशीली दवाइयों, लोहा-कोयला, रेत, सीमेंट की तस्करी
- सुपारी किलर की आहट से चिंतित शहरवासी
रायपुर में सुपारी किलर मौजूदगी चिंताजनक है। पिछले दिनों रायपुर में एक प्रॉपर्टी डीलर के हत्या का प्रयास किया गया. इतना ही नहीं आरोपी ने घायल की मदद करने वाले लोगों पर भी हमला किया है. राजधानी के पॉश कालोनी जहाँ पर बड़े बड़े उद्योगपति , मंत्री और नेताओ का निवास है उस जगह पर इस प्रकार की घटना राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा कर रहा है। पकड़ा गया सुपारी किलर अपराधी स्वयं कबूल कर रहा है कि 50 हजार की सुपारी ले कर चाकू मारा है इस पर भी पंडरी पुलिस का कहना है कि ये आपसी मामला है। पुलिस इस गंभीर मामले को भी हल्के में ले रही है जबकि अपराधी से कड़ाई से पूछ-ताछ कर सुपारी देने वाले तक पहुंचना चाहिए। और मामले का खुलासा करना चाहिए। एक समय ऐसा आएगा जब बिहार यूपी से आए बदमाश पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होंगे । राजधानी में जिस रफ्तार से पिछले तीन महीने अपराध का ग्राफ बढ़ा है और प्रापर्टी डीलर की हत्या की कोशिश की गई थी उसे पुलिस सामान्य घटना मानकर हल्के में ले रही है। तस्करी से लेकर चाकूबाजी के मामले में जो आरोपी पकड़े गए उनका कनेक्शन सीधे यूपी से होने का खुलासा खुद पुलिस कर रही है। ये लोग यहां कमाने-खाने आकर मेहनत मजदूरी कम अपराध को ज्यादा अंजाम दे रहे है। मामूली जमानती धारा के अपराध में निजी मुचलके पर छोड़ दिया जा रहा है। जिसके कारण गुंडे बदमाशों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। साथ ही अपराधियों से पुलिसवालों से जान पहचान बढऩे से कही भी फंसने पर पुलिस वाले का नाम बताकर थाने से निकल जाते है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी सुपारी किलरों की मौजूदगी से थर्राने लगा है। यूपी और बिहार के शूटरों को यहां के स्थानीय गैंगस्टरों ने पनाह देकर अवैध वसूली और आपराधिक वारदात को अंजाम देने का ठेका दे दिया है। रायपुर में भी महानगरों के तर्ज पर गैंगवार जैसे अपराध के अंजाम दिया जा रहा है। किराए के गुंडे-बदमाशों और शूटरों को लोकल छुटभैया नेता और स्थानीय तस्करों ने संरक्षण देकर उनके लकड़ी-कोयला, रेत के साथ गांजा, शराब, नशीली दवाई की तस्करी का काम ले रहे है। पुलिस का नवगठित नारकोटिक्सदस्ता मुखबिरों की सूचना पर निर्भर होने के बाद भी पुलिस विभाग का विश्वास नहीं जीत पा रहा है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिलने के बाद उच्चाधिकारियों को सूचना दी जाती है, सूचना देने के 5 घंटे एक्शन लेने का आदेश मिलता है, तब तक तस्कर और माफिया अपने काम को अंजाम देकर रफूचक्कर हो जाते है। पुलिस की एक्शन टाइमिंग में लेटलतीफी के चलते अपराधी अपराध को अंजाम देकर बच निकलने में कामयाब हो रहे है। राजधानी सहित आसपास के गांव कस्बों में अपराधियों ने अपना अघोषित ठिकाना बना रखा है। जहां वारदात को अंजाम देकर फरारी काटते है। इधर पुलिस अपराध घटने जाने के बाद खोजबीन और तलाशी, नाकेबंदी में समय खपा देती है। तब तक पुलिस को चकमा देकर अपराधी फरार होकर पुलिस की फजीहत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे है। राजधानी में हर रोज औसतन 5-10 अपराध मामूली बात हो गई है। पुलिस के खुफियातंत्र के कमजोर होने का फायदा छुटभैया नेता और लोकल गैंगस्टर उठा रहे है। राजधानी में बढ़ते अपराध से हाहाकार मचा हुआ है। राजनेता से लेकर सामान्य आदमी भी असुरक्षा के भय के जद में है। छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध को लेकर सड? से लेकर सदन तक मामला गरमाया हुआ है। राजधानी में मार्केट से लेकर औद्योगिक क्षेत्र तस्करों और माफियों का कब्जा और दबदबा बरकरार है। उनके हिसाब से ही मार्केट में फल, सब्जी, सोना-चांदी, सीमेंट, रेत, ईंट, मुरूम के भाव खुलते है और बंद होते है। जमीन भी उनके मुताबिक खरीदी-बिक्री होती है। जिस जमीन पर माफियाओं की नजर पड़ जाए तो उसे आम इंसान खरीद ही नहीं सकता। शहर के सारे मौके की जमीन माफियाओं के ही कब्जे में है। जिसे लेकर आए दिन राजधानी में खून-खराबा हो रहा है। जिसका सबूत पिछले दिनों जनता से रिश्ता ने अपने खबर के माध्यम से पाठकों को दिया था, शंकर नगर जैसे पाश कालोनी में जहां प्रदेश के मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी रहते है, वहां सुपारी किलर पहुंचकर वारदात को बेखौफ अंजाम दे रहा है। पंडरी पुलिस उस घटना का मामूली घटना मान रही है। पुलिस ने उसे आपसी मामला करार दिया है।
प्रदेश में बढ़ते अपराध पर विधानसभा में भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा, जकांछ विधायक धर्मजीत सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल उठाये। उनका कहना था कि अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है और अवैध कार्यों के कारण प्रदेश बर्बाद हो रहा है। छत्तीसगढ़ ऐसा नहीं था, आज किस ओर जा रहा है। क्राइम ब्यूरो के अनुसार, प्रदेश हत्या के मामले में तीसरे स्थान पर, बुजुर्गों के अपराधिक मामले में दूसरे स्थान पर, अपहरण के मामले में सातवें स्थान पर है। छत्तीसगढ़ अपराध का गढ़ बन गया है। प्रदेश में नशे का व्यापार पनपा है। ड्रग्स पेडलर और सप्लायर की बड़ी संख्या है. पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति है। अधिकांश अपराधों में पुलिस और छुटभैये नेता भी संरक्षण दे रहे हैं।
सुपारी किलरों को स्थानीय तस्करों ने किया हायर
पिछले दिनों प्रापर्टी डीलर को मारने आये एक बदमाश ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सुपारी लेकर प्रापर्टी डीलर को मारने के उद्देश्य से ही आया था। ऐसे सुपारी किलरों को स्थानीय बदमाशों ने अपने फार्म हाउस और आउटरों में बने होटलों और मकानों में आश्रय दे रखा है। राजधानी में अगर इस प्रकार की घटना घटती है तो यह बहुत ही गंभीर बात होगी। छत्तीसगढ़ के अमनपसंद जनता के लिए यह घातक साबित होगा। पुलिस को ऐसे असामाजिक तत्वों से सख्ती निपटना ही होगा वर्ना छत्तीसगढ़ को अपराधगढ़ बनने में देर नहीं लगेगी। उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद वहां के गुंडे बदमाशों और माफियाओं में दहशत का माहौल है। खुद योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के पहले ही बोल दिया था कि गुंडे बदमाश या तो गुंडई छोड़ दें या उत्तरप्रदेश छोड़ दें। मुख्यमंत्री के ऐसे फरमान से उन्हें सुरक्षित ठिकाना तलाशते हुए छत्तीसगढ़ आना उनकी मजबूरी हो जाएगी। उत्तरप्रदेश के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बहराईच, गोंडा, मऊ, सहारनपुर, अलीगढ, लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद,मेरठ ,जौनपुर, अयोध्या,वाराणसी,आगरा, मथुरा, मुजफ्फरनगर तथा अन्य जगहों से बदमाश गुंडे और सुपारी किलर छत्तीसगढ़ की ओर पलायन कर सकते हैं। और वे चरोदा धरसीवां, उरला, बिरगांव, टाटीबंध हीरापुर, सोनडोंगरी, अछोली, मोवा, सड्डू, सहित औद्योगिक क्षेत्र में अपने परिचितों के यहाँ या फिर उनके सहयोग से किराये के मकान लेकर रहने वाले हैं। राजधानी में हुए पिछले तीन माह में जो अपराधी पकड़े गए उनका यूपी के बड़े आपराधिक गिरोह से कनेक्टिविटी का खुलासा भी हो चुका है। ये सभी यूपी के विभिन्न जिलों से जिलाबदर या खदेड़े गए अपराधी है जो रायपुर को सुरक्षित ठिकाना मानकर डेरा जमाये हुए थे। ये गुंडे बदमाश राजधानी रायपुर को सुरक्षित ठिकाना मानकर अपने जान पहचान, रिश्तेदारों, परिचितों के यहां डेरा डालकर छोटे-छोटे फल-सब्जी की रेहड़ी लगाकर या औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षागार्ड, माली, ड्राइवर, हम्माली, मशीन आपरेटर, बिजली मिस्त्री, राजमिस्त्री बनकर काम कर रहे है। राजधानी के आउटर में बसे वार्डों उरला, सिलतरा, बिरगांव, खमतराई, हीरापुर, जरवाय, कबीर नगर, रायपुरा, रिंग के आसपास की कालोनी, पुराने धमतरी रोड में बने कालोनियों, बोरियाकला, मुजगहन, शंकर नगर, तेलीबांधा, राजेंद्र नगर, रायपुर, टिकरापारा, भाटागांव, कचना, टाटीबंध, सड्डू-मोवा, सरोना, सोनडोंगरी, मंदिर हसौद, केंद्री, नवा रायपुर के साथ धरसीवां, अमलेश्वर, कुम्हारी, तिल्दा-नेवरा, भाटापारा-बैकुंठ, दुर्ग-भिलाई,महासमुंद-धमतरी, कांकेर, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर,गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में यूपी बिहार का गैंग सक्रिय होकर अपराध को अंजाम दे रहा है।
पुलिस की सख्ती को भी चकमा दे रहे अपराधी
प्रदेश की पुलिस लोकल गुंडों-बदमाशों से नियंत्रित करने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर हौसले पस्त करने में जी तोड़ मेहनत कर रही है। छग की पुलिस प्रदेश को क्राइम मुक्त करने की दिशा में काम कर रही है। वहीं पुलिस और स्थानीय बदमाशों के सूत्रधारों से पता चला है कि यूपी में चुनाव से पहले खदेड़े गए गुड़े बदमाशों ने छत्तीसगढ़ को सुरक्षित पनाहगढ़ मानकर शातिर बदमाशों का कुनबा छत्तीसगढ़ में डेरा डाल कर तस्करी, उठाईगिरी, नकबजनी, छिनताई, लूट, सट्टा, सुपारी किलिंग का ठेका चला रहे है। पुलिस भी कुछ मामलों में गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। पकड़े जाने वाले बदमाश यूपी-बिहार के ही शातिर बदमाश निकल रहे हैं। स्थानीय गैंगस्टरों ने इन बदमाशों के के जरिये लोगो को मारने सुपारी तक दे रहे हैं।
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