इनाम के लिए भेजें तस्वीर - जनता से रिश्ता ने अपने पाठकों को शहर के पुराने विरासत और समय के साथ हुए बदलावों को उससे संबंधित जानकारियों और तस्वीरों के माध्यम से अवगत कराने का निर्णय लिया है। इसमें पुरानी जानकारियों और तस्वीरों को साझा करने के लिए पाठकों से भी अनुरोध करते हैं। आज दी जा रही जानकारी के संदर्भ में जो भी पाठक जे शुक्ला पेट्रोल पंप पुराना बस स्टैंड के पेट्रोल भराते वक्त की हमें तस्वीर उपलब्ध कराएगा उसे हम प्राथमिकता के साथ अखबार में प्रकाशित करने के साथ पुरस्कृत भी करेंगे।
इस स्तंभ की शुरूआत में जनता से रिश्ता आज सबसे पहले रायपुर के शहर के सबसे पहले और पुराने पेट्रोल पंप और वितरक से परिचय करवा रहा है। रायपुर का पहला पेट्रोल पंप जे. शुक्ला एंड कंपनी के नाम से शुरू हुआ था जो वर्तमान में पचपेड़ी नाका चौक पर स्थित है। वर्तमान में इसका संचालन भवानी शुक्ला कर रहे हैं। हमें इस पेट्रोल पंप से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी विधायक अमितेश शुक्ला जी से मिली है जिन्होंने पूर्व में इस पेट्रोल पंप का संचालन किया है।
उन्होंने बताया कि 1920 में उनके परदादा पं. रविशंकर शुक्ल के पिता स्व. जगन्नाथ शुक्ला के नाम पर जे. शुक्ला एंड कंपनी की स्थापना हुई। जिसे तत्कालिन पेट्रोलियम कंपनी बर्मा शेल की वितरण एंजेसी मिली थी। तब यह कंपनी बुढ़ापारा से संचालित हो रही थी। श्री शुक्ला ने बताया कि इस एजेंसी की स्थापना के साथ ही कुछ वर्षो में रायपुर जिले में कुल 18 एजेंसियां थी। उस दौर में टीन के पीपे में मिट्टी तेल, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई होती थी जिसे पांच लीटर के मापक से नाप कर ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाता था। इसके बाद हेंडिल वाली मशीन आई जिसे हाथ से घुमाकर पेट्रोल-डीजल दिया जाता था। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई तेज होने के साथ अंग्रेजों ने सारी एजेंसियां सील करवा दी थी। तब उनके पिताजी पं श्यामाचरण जी शुक्ला 1944-45 में कोलकाता जाकर बर्मा शेल के इंचार्ज अधिकारी से मिले। उस समय बर्मा शेल का इंचार्ज अफसर एक आइरिश व्यक्ति था। आयरलैंड भी ब्रिटिश हुकूमत से अलग होने के लिए लड़ाई लड़ रहा था। उस आइरिश अफसर ने भारत की आजादी की लड़ाई को अपने देश की लड़ाई की ही तरह समझा, जिसका लाभ जे. शुक्ला एंड कंपनी को मिला और 18 एजेसिंयों में से यही एक मात्र एजेंसी रही जो बची रही। उन्होंने बताया कि बाद में पंप शहर के पुराने बस स्टैंड जो जयस्तंभ चौक पर था वहां स्थानांतरित हो गया इसका संचालन पहले मेरे पिताजी पं. श्यामाचरण शुक्ला फिर मैंने किया। बाद में जब बस स्टेण्ड बंद हुआ और पंडरी चला गया तब पंप पचपेढ़ी नाका चौक पर शिफ्ट किया गया, जिसका संचालन काफी समय तक उनके द्वारा किया गया फिर संचालन की जिम्मेदारी भवानी शुक्ला उठाने लगे, वर्तमान में इन्हीं के द्वारा पेट्रोल पंप संचालित है।
बर्मा शेल 1977 में भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड बना
आज बीपीसीएल के रूप में जानी जाने वाली कंपनी की शुरुआत रंगून ऑयल एंड एक्सप्लोरेशन कंपनी के रूप में हुई, जिसकी स्थापना भारत के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान असम और बर्मा में नई खोजों का पता लगाने के लिए की गई थी । 1889 में विशाल औद्योगिक विकास के दौरान, दक्षिण एशियाई बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बर्मा ऑयल कंपनी थी । हालांकि 1886 में स्कॉटलैंड में शामिल किया गया था, कंपनी शेफ रोहित ऑयल कंपनी के उद्यमों से बाहर हो गई, जिसे 1871 में ऊपरी बर्मा में आदिम हाथ से खोदे गए कुओं से उत्पादित कच्चे तेल को परिष्कृत करने के लिए बनाया गया था।
1928 में, एशियाटिक पेट्रोलियम कंपनी (भारत) ने बर्मा तेल कंपनी के साथ सहयोग शुरू किया। एशियाटिक पेट्रोलियम जॉन डी रॉकफेलर के स्टैंडर्ड ऑयल के एकाधिकार को संबोधित करने के लिए गठित रॉयल डच, शेल और रोथस्चिल्ड का एक संयुक्त उद्यम था , जो भारत में एसो के रूप में भी संचालित होता था । इस गठबंधन के कारण बर्मा-शेल ऑयल स्टोरेज एंड डिस्ट्रीब्यूटिंग कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड का गठन हुआ। बर्मा शेल ने केरोसिन के आयात और विपणन के साथ अपना परिचालन शुरू किया।
1950 के दशक के मध्य में, कंपनी ने भारत में घरों में एलपीजी सिलेंडर बेचना शुरू किया और अपने वितरण नेटवर्क का और विस्तार किया। इसने भारत के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचने के लिए केरोसिन , डीजल और पेट्रोल के डिब्बे में भी विपणन किया । 1951 में, बर्मा शेल ने भारत सरकार के साथ एक समझौते के तहत ट्रॉम्बे (महुल, महाराष्ट्र) में एक रिफाइनरी का निर्माण शुरू किया।
राष्ट्रीयकरण 1976 में
विदेशी तेल कंपनियों ईएसएसओ(1974, बर्मा सेल (1976) और कैल्टेक्स का राष्ट्रीयकरण अधिनियम के तहत कंपनी का राष्ट्रीयकरण किया गया था। 24 जनवरी 1976 को बर्मा सेल को भारत सरकार ने भारत रिफाइनरी लिमिटेड बनाने के लिए अपने कब्जे में ले लिया। 1 अगस्त 1977 को इसका नाम बदलकर भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड कर दिया गया। यह नए पाए गए स्वदेशी कच्चे बाम्बे हार्ड को संसाधित करने वाली पहली रिफाइनरी भी थी।
संकलन- अतुल्य चौबे