छत्तीसगढ़

रायपुर: जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वाले 1500 से ज्यादा कारोबारियों को पंजीयन रद्द करने की चेतावनी

Admin2
3 Dec 2020 1:15 AM GMT
रायपुर: जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वाले 1500 से ज्यादा कारोबारियों को पंजीयन रद्द करने की चेतावनी
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फाइल फोटो 

जीएसटी नहीं भरने वाले कारोबारी इनकम टैक्स के जांच के दायरे में आ गए हैं। देश में 25 हजार और छत्तीसगढ़ में डेढ़ हजार से ज्यादा कारोबारियाें ने अक्टूबर में रिटर्न दाखिल किया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जीएसटी नहीं भरने वाले कारोबारी इनकम टैक्स के जांच के दायरे में आ गए हैं। देश में 25 हजार और छत्तीसगढ़ में डेढ़ हजार से ज्यादा कारोबारियाें ने अक्टूबर में रिटर्न दाखिल किया, लेकिन नवंबर में नहीं। तय समय बीत जाने के बाद ऐसे कारोबारियों की सूची तैयार कर ली गई है। अब इन सभी कारोबारियों को आयकर विभाग की ओर से रिटर्न दाखिल करने के लिए रिमाइंडर भेजा जा रहा है। जीएसटी जमा नहीं करने पर पंजीयन रद्द करने की चेतावनी भी दी गई है। इनकम टैक्स की ओर से चिट्ठी मिलने के बाद कई कारोबारी सकते में हैं। राजधानी के सभी बड़े सीए के पास ऐसे कारोबारी लगातार पहुंच रहे हैं जिन्होंने रिटर्न दाखिल नहीं किया था और उन्हें आयकर विभाग का रिमाइंडर मिला है। सीए के अनुसार जीएसटीआर-3बी रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 20 नवंबर थी। तय तारीख निकल जाने के बाद आयकर अधिकारियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि पिछले महीने की तुलना में इस महीने 25 हजार कम कारोबारियों ने इस रिटर्न को भरा है। इसके बाद ही विभाग सक्रिय हुआ और राज्य स्तर पर ऐसे कारोबारियों से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क अभियान शुरू किया गया। ऐसे कारोबारियों को चेतावनी भी दी गई कि वे 30 नवंबर तक रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो उनका जीएसटी पंजीयन भी रद्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वाले कारोबारियों को हर महीने की 20 तारीख तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दायर करने का प्रावधान रखा गया है।

इस नियम में केवल बड़े कारोबारियों के आने की वजह से ही सेंट्रल-स्टेट जीएसटी के साथ ही आयकर विभाग के अफसरों की इस रिटर्न में खास नजरें होती हैं। इस तरह के रिटर्न से ही टैक्स कलेक्शन ज्यादा होता है। रिटर्न कम दाखिल होने की दशा में जीएसटी का कलेक्शन भी कम होता है। त्योहारी सीजन के बाद से ही अर्थव्यवस्था एक तरह से पटरी पर लौट गयी है। यही वजह है कि अफसरों कोशिश कर रहे हैं कि प्रत्येक कारोबारी अपना रिटर्न तय समय में ही जमा करें। इस बड़े रिटर्न के आधार पर ही छापामार कार्रवाई की जाती है। पिछले छह महीनों की तुलना में ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले रिटर्न के हर ट्रांजेक्शन की जांच की जाती है। इसी में गड़बड़ी पाए जाने पर सर्वे और छापेमारी की कार्रवाई की जाती है।
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