छत्तीसगढ़

रायपुर: धान के कन्से की अवस्था में नत्रजन का करें छिड़काव

Shantanu Roy
14 Sep 2021 12:02 PM GMT
रायपुर: धान के कन्से की अवस्था में नत्रजन का करें छिड़काव
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कृषि विभाग ने खरीफ फसलों की देखभाल एवं बेहतर उत्पादन के लिए किसानों भाईयों को सम सामयिक सलाह दी है। धान की फसल में जहां कन्से निकलने की अवस्था आ गई हो वहां नत्रजन की दूसरी मात्रा का छिड़काव करने की सलाह किसानों दी गई है। इससे धान के कन्से की स्थिति में सुधार आएगा। फसल में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों को नियंत्रित करने के बाद ही प्रति हेक्टेयर 40 किलो यूरिया के छिड़काव सलाह दी गई है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने को कहा है। पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर छिड़काव करने से धान के दानों की संख्या और वजन में वृद्धि होती है। धान फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर तना छेदक के अण्डा समूह हो एकत्र कर नष्ट करने के साथ ही सूखी पत्तियों को खींचकर निकालने की सलाह दी गई है। तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल 5 एससी एक लीटर प्रति दर से छिडकाव करने की सलाह कृषकों को दी गई है। पत्ती मोडक (चितरी) रोग के नियंत्रण के लिए प्रति पौधा एक-दो पत्ती दिखाई देने पर फिपरोनिल 5 एससी 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा गया है। धान की फसल में रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर चौड़े और किनारों में सकरे हो जाते हैं, इन धब्बों के बीच का रंग हल्का भूरा होता है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 750 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।
इसी तरह कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मक्का फसल नरमंजरी पुष्प की अवस्था में नत्रजन की तीसरी मात्रा 35-40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा सोयाबीन में पत्ती खाने वाले एवं गर्डल बीटल कीट दिखने पर प्राफेनोफास 50 ई.सी. या फ्लुबेंडामाईड 39.35 प्रतिशत एससी 150 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों ने किसानों को फल एवं सब्जी के खेतों से पानी की निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही फलदार वृक्षों की कटाई-छटाई करने मध्य कालीन फूलगोभी की रोपण तैयारी पूर्ण करने तथा जूने में रोपित मुनगे की फसल एवं पिछले वर्ष रोपित आम के पौधे में सधाई हेतु काट-छाट करने को कहा है। पपीते में फल झड़न को रोकने हेतु 20 पीपीएम की दर से नैफ्थलिन एसीटीक एसीड का छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।
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