छत्तीसगढ़

नशे के कारोबारियों के लिए रायपुर सेफ जोन

jantaserishta.com
11 Jan 2021 5:31 AM GMT
नशे के कारोबारियों के लिए रायपुर सेफ जोन
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ओडिशा से बड़े पैमाने पर हो रही गांजे की तस्करी

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। राजधानी इन दिनों नशे के कारोबारियों के लिए सेफ ज़ोन बना हुआ है, ऐसा लगता है नशे के कारोबारी छत्तीसगढ़ को सेफ ज़ोन मानकर चलते हैं। मुंबई, कोलकाता मुख्य मार्ग में रायपुर होने के कारण इसी रोड से गांजा, चरस, ड्रग्स आदि नशीले पदार्थों का सप्लाई होता है। काटाभांजी से राजा खरियार, खरियार रोड, सुअर्मार, बागबाहरा, महासमुंद होते हुए माल रायपुर पहुंचता है। रायपुर से बाघ नदी तक अगर गाड़ी सुरक्षित निकल गई तो आगे इन्हें कोई परेशानी नहीं होती। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक बेरियर पर एंट्री फीस तय रहती है। जो खुलेआम क्षेत्र के विधायक या उनके प्रतिनिधि तय करते हैं। यह भी जानकारी मिली है कि गुटके के बोरी के अंदर गांजा छुपा कर लाया जाता है पकड़े जाने पर कोशिश होती है कि वहीं से मामला रफा-दफा हो जाए और होता भी है। देखा गया है कि सबसे सस्ता गांजा छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे उड़ीसा के काटाभांजी, खरियार रोड, राजा खरियार, भवानीपटना, के आस-पास के क्षेत्र में मिलता है। रायपुर नज़दीक होने के कारण वहां से अहमदाबाद, बैंगलोर, मुंबई, गोवा के रास्ते विदेशों तक सप्लाई होती है। यही वजह है गांजा तस्कर छुटभैय्या नेताओं से सांठ-गांठ कर काम को अंजाम देते है। सूत्र आगे बताते है कि प्रति ट्रक 20 से 25 लाख देना पड़ता है इंदौर से रायपुर आई रेवेन्यू इंटेलिजेंस की टीम द्वारा लगभग 15 सौ किलो गांजा बरामद किया जाना इस बात का धोतक है कि छत्तीसगढ़ गांजा तस्करों के लिए सेफ ज़ोन है। जब्त किये गांजे का बाजार मूल्य लगभग तीन करोड़ बताई जा रही है। मजे की बात यह है कि इंदौर की टीम ने स्थानीय पुलिस को जानकारी नहीं दी ऐसा बताया जाता है।

तस्करों के हौसले बुलंद

देखा गया है कि पुलिस की सख्ती को देखते हुए तस्करों के हौसले पस्त होना चाहिए। लेकिन देखा ये जा रहा है कि इनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। पुलिस सिर्फ आंकड़ों में खेल रही है। पिछले साल की तुलना में तस्करी या अपराध कम हुआ है। इस प्रकार पुलिस अपनी पीठ खुद थपथपा रही है। हालांकि राजधानी पुलिस लगातार नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे नहीं है बावजूद उसके नशे के कारोबारियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।

तस्करों के लिए सेंटर प्वाइंट है छत्तीसगढ़ की राजधानी

छत्तीसगढ गांजा तस्करी की राजधानी बन गई है जिस हिसाब से गांजा या नशे के कारोबारी पुलिस की गिरफ्त में आ रहे हैं उससे नशे का धंधा बंद हो जाना चाहिए था। लेकिन छुटभैय्या नेताओं की वजह से पुलिस की मेहनत पर पानी फिर रहा है। ऐसा भी देखा गया है कि मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, यूपी, बिहार और महाराष्ट्र से लोग गांजा खरीदने रायपुर तक आ रहे हैं। इससे मालूम होता है कि छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण के अलावा इन तस्करों को विभागीय मदद भी मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस विभाग की गोपनीय सूचना इन नशे के तस्करों को प्राप्त हो जाती है और उस हिसाब से ये अपनी प्लानिंग करते हैं। पिछले दिनों महासमुंद में पकड़े गए तीन तस्करों ने बताया कि वे यूपी से रायपुर आए थे गांजा खरीदने। इससे जाहिर होता है कि मिलीभगत के बिना यह नामुमकिन है।

कार के बदले बाइक से तस्करी

गांजा या अन्य नशों के तस्करों ने पुलिस को चकमा देने अब सिर्फ चार पहिया वाहन से नहीं बल्कि दोपहिया वाहन एवं महिला तथा बच्चों का भी सहारा ले रहे हैं। पुलिस खुद के इनके तस्करी के तरीके से हैरान हैं। ये तस्कर रायपुर से बाइक में गांजा लेकर मध्यप्रदेश जा रहे थे। इन लोगों ने पुलिस से बचने महिला और नाबालिक बच्चों का भी सहारा लिए थे। पकड़ में आने के बाद सब खुलासा हुआ। इसी प्रकार कार की सीट का डिजाइन भी बदलकर तस्करी किया जा रहा हैं।

पुलिस के लिए चुनौती

नशे के सौदागरों द्वारा बार-बार ठिकाना बदल-बदल कर नशे का कारोबार संचालित किया जा रहा है। तस्करों द्वारा नाबालिगों बेरोजगारों और गरीब तबके के आवारा घूमने वाले बच्चों को पैसे का लालच देकर तस्करी करवाया जाता है। उनको तरह-तरह की लालच देकर अवैध काम करवाया जाता है। चूंकि एक दो बार ये पुलिस के चंगुल से बचकर अवैध काम सफलतापूर्वक कर जाते हैं बस इससे इनके हौसले बुलंद हो जाते हैं। यहीं से शुरू होता है सिलसिला अवैध धंधे का। फिर ये चाह कर भी इस धंधे से अपने आपको अलग नहीं कर पाते। पुलिस के लिए ये भी चुनौती बना हुआ है। और अक्सर ये देखा गया है कि अपराध का कारण भी नशा ही होता है। जिस प्रकार यहां अपराध और नशे का कारोबार बढ़ रहा है उसे देखकर लगता है कि नशे के कारण ही अपराध हो रहा है। देखा गया है कि जघन्य अपराधों में नाबालिगों की संलिप्तता इस बात के धोतक है कि नशे के बढ़ते कारण से यह सब अपराध हो रहे हैं।

तस्करी के नए तरीके इजाद किए

तस्करों ने अब गांजा या दूसरी नशीली चीजों को सुरक्षित ठिकाने लगाने छुटभैय्या नेताओं का सहारा लेना चालू कर दिया हैं। ये छुटभैय्या नेता 10 से 15 हज़ार लेकर गाडी को बेरियर तक लाने का ठेका लेते है। फिर बेरियर पार कराना छुटभैय्या नेताओ या उनके आकाओं का काम होता है। महासमुंद एसपी ने इसी कड़ी में लगभग 83 कर्मचारियों का तबादला कर दिया है। जिस हिसाब से नशे के कारोबारियों ने जाल फैला रखे है पुलिस भी अपने आपको असहाय मससूस कर रही है क्योंकि कही न कही नेतागिरी भी इस धंधे में हावी हो रही है। पूर्व में सत्ता और विपक्ष के कई नेता नशा तस्करी के आरोप में जेल भी जा चुके हैं।

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