छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना ग्रामीणों, किसानों, गौपालकों के साथ-साथ गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आमदनी में इजाफे का सबब बन गई है। इस योजना के तहत गौठानों में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों एवं पशुपालकों, चरवाहों को हर पखवाड़े में अच्छी खासी आमदनी हो रही है, जिसके चलते उनकी दैनिक जीवन की जरूरतें सहजता से पूरी होने लगी है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस बहुआयामी एवं लाभकारी योजना ने देश-दुनिया को आकर्षित किया है।
छत्तीसगढ़ राज्य में पशुपालन एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना वर्तमान में ग्रामीणों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय हो गई है। इस योजना का लाभ उठाकर प्रदेश के पशुपालक, चरवाहा और स्व-सहायता समूह की महिलाएं स्व-रोजगार एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने लगे हैं। इस योजना के क्रियान्वयन में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले जिला प्रशासन द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करने का सिलसिला भी शुरू किया गया है। आज बेमेतरा के कृषि महाविद्यालय ढोलिया में आयोजित ई-मेगा कैम्प में जिला सत्र न्यायाधीश एवं कलेक्टर शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर पशुपालकों और चरवाहों को बधाई और शुभकामनाएं दी तथा योजना की सफलता के लिए सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की। इस मौके पर उन्होंने ग्राम रामपुर (भांड) के चरवाहा और पशुपालक श्री रमेश यादव एवं श्री घनश्याम को योजना से हुए लाभ का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
गोधन न्याय योजना के माध्यम से बेमेतरा जिले के गाम रामपुर के चरवाहा श्री रमेश यादव को अब तक कुल 55 हजार रूपए से अधिक की राशि गोबर बेचने के एवज में मिल चुकी है, जिससे उन्होंने नई मोटरसाइकिल क्रय करने के साथ ही अपने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 5 भैंसें खरीदी हैं। चरवाहा श्री रमेश यादव दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं, जिससे उन्हें हर महीने अच्छी खासी आमदनी होने लगी हैं। गोधन न्याय योजना शुरू हो जाने से उन्हें गोबर बेचने से अतिरिक्त लाभ होने लगा है। रामपुर गांव के ही प्रगतिशील कृषक श्री घनश्याम यादव ने 35 भैंसें पाल रखी हैं, दूध बेचकर वह रोजाना अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। गोधन न्याय योजना से अब तक श्री घनश्याम को कुल 26 हजार रूपए से अधिक का लाभ हुआ। इस राशि से वह नई कुट्टी-दाना मशीन खरीदने की योजना बनाए हैं। चरवाहा श्री रमेश एवं कृषक श्री घनश्याम के पशुपालन व्यवसाय से प्रभावित होकर रामपुर गांव सहित आसपास के ग्रामीण भी पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को अपनाने लगे हैं।