डेंगू मलेरिया को आमंत्रण दे रहा नगर निगम की सफाई व्यवस्था
रायपुर (जसेरि )। राजधानी रायपुर मच्छरों का गढ़ बन चुका है, नगर निगम मात्र तमाशबीन बनकर मलेरिया और डेंगू बुखार का इंतजार कर रही है। प्रकोप राजधानी के 70 वाडऱ्ों में सालों से बना हुआ है। गर्मी, सर्दी, ठंड हर मौसम में मच्छरों के बढऩे से लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया है। अभी ठंड है तो आदमी चादर ओढ़कर मच्छर से बचने की जुगाड़ कर लेता है लेकिन भीषण गर्मी में क्या करेगा? जनवरी समाप्त होने की ओर है फरवरी से सूर्य देवता का प्रकोप शुरू हो जाएगा। मकर संक्राति के बाद तो सूर्य का ताप लगातार बढऩे लगता है। तब तो मच्छरों का पूरा कुनबा रायपुर की जनता पर टूट पड़ेगा। तब रायपुर मच्छरपुर में तब्दील हो जाएगा।
जिन वार्डों, कालोनियों में पानी निकासी की व्यवस्था सही नहीं है, गंदगी से बजबजाती नालियों में पानी भरा हुआ है, वहां पर मच्छरों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि कोई भी प्रतिरोधक दवाई, क्वाइल, लिक्विड काम करने में । ठंड की शुरुआत में ही यह हाल है तो आगे मच्छरों के प्रकोप का अंदाजा लगाया जा सकता है। 70 वार्डों में नियमित रूप से एंटी लार्वा दवा का छिड़काव नहीं हो रहा है, जहां हो भी रहा है तो दिखावे के तौर पर। शहर को मच्छर-मुक्त करने का वादा कर निगम की सत्ता तक पहुंचे पार्षद और जनप्रतिनिधियों का ध्यान अब इस तरफ नहीं है। मच्छर उन्मूलन के लिए नगर निगम लाखों रुपये खर्च करता आ रहा है, पर नतीजा जस का तस बना हुआ है।
राजधानी रायपुर के 70 वार्डों की नालियों, तालाबों सहित अन्य जल स्रोतों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव नहीं होने से इन दिनों मच्छरों का प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। मच्छरों से खास से लेकर आम नागरिक तक परेशान हैं। मच्छर-मुक्त शहर के लिए निगम प्रशासन कितना गंभीर है, वह इस बात से ही साफ पता चलता है कि मच्छर उन्मूलन के लिए बजट में 80 लाख से एक करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है, लेकिन साल भर में करीब 15 फीसद राशि तक निगम खर्च नहीं करता है। जानकारी के अनुसार निगम के सभी दस जोनों को मिलाकर साल भर में करीब 10से 20 से पंद्रह लाख रुपये ही खर्च किए जाते हैं।
शहर को मच्छर-मुक्त बनाने के लिए निगम प्रशासन नियमित रूप से एंटी लार्वा दवा का छिड़काव और फागिंग कराने का दावा करता है, लेकिन हकीकत यह है कि जिन वार्डों में नाली खुली और मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है, वहां पर निगम का अमला नियमित रूप से न तो दवा का छिड़काव और न ही फागिंग करवा पाता है, जबकि किसी एक वार्ड को माडल वार्ड के रूप में चिह्नित कर उसे मच्छर-मुक्त वार्ड बनाने की बात निगम प्रशासन ने कही थी, लेकिन आज तक किसी भी वार्ड को मच्छर-मुक्त वार्ड बनाने कोई पहल नहीं की गई, जबकि दावा किया जा रहा है कि सभी वार्ड पार्षदों को एक-एक फागिंग मशीन दी गई है, ताकि नियमित रूप से वार्डों की फागिंग कराई जा सके।
जोन के अधिकारियों ने बताया कि हर माह जोन कार्यालय की तरफ से मच्छरों के न पनपने के लिए 25 से 30 किलोग्राम एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा मच्छर मारने के लिए फागिंग भी की जाती है। जानकारों का कहना है कि यह सब कागजों में होता है। कहीं भी न तो एंटी लार्वा दवा का छिडड़ाव किया जाता है और न ही वार्ड के लोगों ने फागिंग करते निगमकर्मियों को कभी देखा है।निगम की बदइंतजामी राजधानी को गंभीर बीमारी की ओर धकेल रहा है जिसका अभी से इलाज ढूंढना होगा नहीं तो यह शहर रहने योग्य नहीं रहेगा।