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फाइल फोटो
राजधानी की लाइफलाइन यानी शहर को पानी सप्लाई करनेवाली खारुन नदी में 17 नालों की वजह से पानी में घुली गंदगी तीन साल बाद भी रोकी नहीं जा सकी है, क्योंकि इसके तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जिन्हें 2017 में भूमिपूजन के बाद सालभर में बन जाना था, तीन साल बाद भी नहीं बन पाए हैं।
नगर निगम का दावा है कि तीनों एसटीपी इस साल बरसात के पहले चालू हो जाएंगे। लेकिन तीनों एसटीपी का अब तक सिर्फ ढांचा ही खड़ा किया जा सका है। अफसरों के मुताबिक कोरोना काल में काम बंद होने की वजह से देरी हुई।
जबकि हकीकत ये है कि भूमिपूजन के बाद दो साल तक इसका काम रुक-रुककर चला और निगम अफसरों ने आउटर में होने की वजह से निर्माण का सुपरविजन ही नहीं किया। राजधानी में नदी का पानी शुद्ध मिले, इसलिए खारुन के किनारे निमोरा, कारा व चंदनीडीह में एसटीपी लगाने का प्लान बना। यह प्रोजेक्ट 330 करोड़ रुपए का है। 2017 की शुरुआत में भूमिपूजन के बाद तीनों का काम भी शुरू कर दिया गया था।
चंदनीडीह में 75 एमएलडी, कारा में 35 एमएलडी व निमोरा में 90 एमएलडी क्षमता के एसटीपी बनाए जा रहे हैं, अर्थात तीनों मिलकर नदी का रोजाना 200 मिलियन लीटर पानी साफ करेंगे। इसका सीधा असर ये होगा कि एसटीपी शुरू होने के बाद नदी के पानी को साफ करने के फिल्टर प्लांट में पानी में मिलाई जाने वाली क्लोरीन और फिटकरी की मात्रा कम होगी, जिसका फायदा शहर के लोगों को मिलेगा।
तीनों एसटीपी में केवल भवन तैयार किए जा सके हैं। एसटीपी की विशाल मशीनें नहीं लगी हैं। यहां तक कि नदी से पानी लाने और फिर इसे साफ करके नदी में वापस छोड़ने वाली पाइपलाइनें नहीं बिछाई जा सकी हैं। कारा और चंदनीडीह में तो पाइपलाइन बिछाने का मामला इसलिए अटका है कि लाइनें निजी जमीन से गुजरेंगी, जिसे देने के लिए लोग तैयार नहीं हैं।
3 किलोमीटर के दायरे में नाले
नदी में गंदगी रोकने के लिए पीएचई व पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों व विशेषज्ञों ने नालों का सर्वे किया था। नदी में करीब 6 नाले तो भाठागांव एनीकट से तीन किमी के दायरे में हैं। इन्हीं नालों के कारण पानी दूषित होकर एनीकट में रहा है, जो रायपुर को सप्लाई होता है। इन नालों के कारण खारुन के पानी में घातक रसायन व बैक्टीरिया घुल रहे हैं। नदी का सर्वे करनेवाले विशेषज्ञों ने शासन को करीब 4 साल पहले रिपोर्ट सौंपी थी कि जहां बड़े नाले गिर रहे हैं, वहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तुरंत लगने चाहिए। इसी आधार पर 3 एसटीपी लगाने का प्लान फाइनल हुआ था।
बूढ़ातालाब एसटीपी भी फंसा
राजधानी के बीचेबीच बूढ़ातालाब का एसटीपी भी फंस गया है। मारवाड़ी श्मशानघाट की ओर तालाब पार के पास प्लांट बनाया जाना है, लेकिन टेंडर उलझ गया है। इसका निर्माण स्मार्ट सिटी करवा रहा है। बूढ़ातालाब में भी नालों का गंदा पानी जा रहा है। इस कारण गर्मी में तालाब का पानी हरे रंग का हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार तालाब के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं कि यहां नहाना खतरे से खाली नहीं है।
HARRY
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