जांजगीर-चाम्पा। लगभग 100 घंटों तक का अथक प्रयास रंग लाया है। जांजगीर जिले के पिहरीद गांव में बोर में फंसे राहुल को एनडीआरएफ की टीम ने बहार निकाल लिया है। राहुल के माता-पिता को टनल के पास आ गए है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि राहुल को बाहर निकालने लगभग मिशन सक्सेसफुल हो गया है। मौके पर इंडियन आर्मी और रेस्क्यू की टीम भी मौजूद है।
राहुल को निकालकर अस्पताल तक ले जाया गया है। राहुल को बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर लेकर जाएंगे। जहां अपोलो अस्पताल में उसे भर्ती किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को रेस्क्यू के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ले जाने का काम पूरा हो गया है। अब बस उसके बाहर आने का इंतजार है। इसे लेकर मेडिकल टीम को अलर्ट कर दिया गया है।
माना कि चुनौती बड़ी थी
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 14, 2022
हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी
रास्ते अगर चट्टानी थे
तो इरादे हमारे फौलादी थे
सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।
वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है। pic.twitter.com/auL9ZMoBP7
अंततः राहुल ने आंखे खोली
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) June 14, 2022
बचाव दल को देखकर राहुल ने प्रसन्नता जाहिर की और अपनी आंखें खोली है। इस ऑपरेशन में एक चौंका देने वाली घटना घटी, आज शाम उस बोरवेल में एक सांप आ गया था लेकिन राहुल की जीवटता से वह खतरा भी टल गया।#SaveRahulAbhiyaan pic.twitter.com/8yt5LlJ5il
सुरंग के बाहर स्ट्रेचर ले जाने चैन बनाई जा रही है। वही सुरंग के बाहर सभी जवान अलर्ट मोड़ में है। बता दें कि जांजगीर जिले के मालखरौदा ब्लॉक का गांव पिहरिद नेशनल मीडिया में है। यहां एक दिव्यांग बच्चा राहुल साहू जो पिछले 96 घंटे से बोरवेल में फंसा हुआ है। इतने ही घंटे से रेस्क्यू टीम डटी हुई है। टीम के सदस्यों के कपड़े धूल से सने हैं। पसीने के दाग पड़ गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बच्चे के परिजनों से वीडियो कॉल कर ढांढस बंधाया और कहा था सकुशल आयेगा राहुल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जांजगीर में बोरवेल में गिरे बच्चे के लिए बेहद चिंतित रहे। यही वजह है कि वे लगातार रेस्क्यू का अपडेट लेते रहे । उन्होंने राहुल को सकुशल बाहर निकालने के निर्देश दिए थे। उन्होंने वीडियो कॉल कर राहुल के पिता और माता से भी बात की थी। उन्होंने राहुल को बाहर निकालने के लिए हरसंभव मदद का आवश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही राज्य स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सम्पूर्ण घटनाक्रम की निगरानी रखी जा रही थी।
चट्टानों से न हौसला डिगा,न राहुल
बोरवेल में फंसे राहुल को बचाने के लिए रेस्क्यु दल ने हर बार कड़ी चुनातियों का सामना किया। राहुल के रेस्क्यु में बड़े-बड़े चट्टान बाधा बनकर रोड़ा अटकाते रहे, इस बीच रेस्क्यु टीम को हर बार अपना प्लान बदलने के साथ नई-नई चुनौतियों से जूझना पड़ा। मशीनें बदलनी पड़ी। 65 फीट नीचे गहराई में जाकर होरिजेंटल सुरंग तैयार करने और राहुल तक पहुँचने में सिर्फ चट्टानों की वजह से ही 4 दिन लग गए। रेस्क्यु टीम को भारी गर्मी और उमस के बीच झुककर, लेटकर टार्च की रोशनी में भी काम करना पड़ा। इसके बावजूद अभियान न तो खत्म हुआ और न ही जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे राहुल ने हार मानी।
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