पप्पू फरिश्ता
रायपुर। कांग्रेस की राजनीति में सांगठनिक रूप से अंतरिम अध्यक्ष की व्यवस्था को खत्म की ओर आगे कदम बढ़ा चुकी है। दिल्ली में हाईकमान के साथ हुई बैठक में पांच घंटे तक विचार विमर्श के बाद नेताओं ने तय किया कि भाजपा के बुजुर्ग नेताओं से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस युवा नेतृत्व को महत्व देगी। अंत में सभी वरिष्ठ और कार्यसमिति के सदस्यों ने एक स्वर में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया। जिस पर राहुल गांधी ने यह कहते हुए मंजूरी दे दी है कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी वे सहर्ष स्वीकार करेंगे।
छत्तीसगढ़ की सत्ता की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काफी मुखर और तेज तर्रार राष्ट्रीय नेताओं में शुमार हो गए हैं। संभावना ये भी जताई जा रही है कि राहुल गांधी के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनते ही भूपेश बघेल का राष्ट्रीय राजनीति में भी दखल हो जायेगा और कांग्रेस के आला नेताओं के कतार में शामिल हो जायेंगे। गौरतलब है कि स्वच्छ छवि और बेहतर शासन की वजह से भूपेश बघेल कांग्रेस हाईकमान के गुड बुक में हैं। यही वजह है जिसके चलते भूपेश बघेल को लोकसभा उपचुनाव में पार्टी ने स्टार प्रचारक भी बनाया था। ज्ञात हो कि राहुल गांधी भूपेश बघेल को उनके अध्यक्षीय कार्यकाल से संगठन को मजबूत करने के लिए खुली छूट देकर प्रोत्साहित करते रहे हैं। जिसके फलस्वरूप आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। वहीं भूपेश बघेल हमेशा राहुल गांधी के निर्णय को खुले तौर पर बेहिचक स्वीकार करते हुए प्रदेश में सत्ता का बेहतर संचालन कर रहे है। राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के नाम पर किसान न्याय योजना लागू कर राहुल गांधी के सबसे भरोसेमंद राजनेता में शुमार हो गए हैं।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपना समर्थन और मत देकर कांग्रेस पार्टी की भलाई के लिए राहुल गांधी को आगे करने में पीछे नहीं हटे। आम तौर पर कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में राज्य के मुख्यमंत्री की पहुंच बहुत अधिक न होकर सीमित ही होती है, लेकिन भूपेश बघेल ने इस मिथ्या को तोड़ा और अपने आप को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं समकक्ष स्थापित करने में कामयाब रहे । राजनीतिक पंडितों की माने तो भूपेश बघेल देश में कांग्रेस के मुखर व स्वच्छ छवि के नेता के प्रतीक के रूप में उभरते नजर आ रहे हैं।
10 जनपथ में 5 घंटे चली बैठक
शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नए अध्यक्ष पद को लेकर बैठक हुई थी। इसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांध, राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद थे। सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर करीब 5 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। बैठक में राहुल गांधी के अध्यक्ष पद संभालने की मांग उठी। अंत में राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी जो जि़म्मेदारी देगी, उसे वह निभाने के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में के. सुरेश, अब्दुल खालिक, गौरव गोगोई और कुछ अन्य सांसदों ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे फिर से पार्टी की कमान संभालें। इन सांसदों के अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि अब राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए. हाल ही में हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी यह मांग उठाई थी जिसका कई नेताओं ने समर्थन किया था।
करोड़ों युवाओं के आइडियल है राहुल गांधी
दिल्ली में चल रही हलचल से साफ हो गया है कि जल्द ही कांग्रेस के मुखर नेता राहुल गांधी अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करेंगे। पार्टी की पिछले एक सप्ताह से चल रही रायमशविरा बैठक में यह बात निकल कर आई कि भाजपा के नेताओं को टक्कर देने के लिए राहुल गांधी की ताजपोशी ही कांग्रेस का सबसे बेहतर विकल्प होगा। करोड़ों युवाओं के आइडियल राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनते ही पार्टी की ओर युवाओं का रूझान बढ़ेगा। क्योंकि भाजपा में राहुल गांधी की तरह कोई युवा नेता नहीं है। भाजपा में सभी मार्गदर्शक ही बचे हंै। जिसका फायदा आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिलना तय माना जा रहा है। पिछले एक साल से राहुल गांधी लगातार केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर रहे हैं। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि राहुल गांधी दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारियां संभालने के लिए राज़ी हो गए हैं।