रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर लिखी थी मास्टर पीस कविता, अब यात्रियों का करती है स्वागत
बिलासपुर. राष्ट्रगान रचयिता और महान साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) से दर्द का नाता रहा है. उन्होंने अपनी पत्नी के साथ उनकी बीमारी की चिंता में बिलासपुर रेलवे स्टेशन में बिताए 6 घंटों के अंतराल में "फांकी" कविता लिखी और उस दौरान अपने अनुभवों को लिखा. गुरुदेव द्वारा लिखी गई फांकि को आज भी बिलासपुर के रेलवे स्टेशन के गेट नंबर -2 में शिलालेख में 3 भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और बंगला में संजोकर रखा गया है. गुरदेव ने अपनी इस रचना में बिलासपुर का दो बार जिक्र किया है जिससे बिलासपुर शहर के निवासी अपने आप गौरवान्वित महसूस करते है और स्टेशन को शिलालेखों को अपनी अमूल्य धरोहर मानते हैं.बिलासपुर स्टेशन पर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सन 1918 में कदम रखा था. इतिहासकारों और साहित्यकारों के मुताबिक रवीन्द्रनाथ टैगोर की धर्मपत्नी धर्मपत्नी मृणालिनी देवी क्षय रोग से ग्रसित थीं. उस जमाने में क्षय रोग को काफी गंभीर बीमारी माना जाता था. इस गंभीर बीमारी का इलाज सिर्फ शुद्ध आबोहवा वाले इलाकों में ही हो सकती थी. बताया जाता है कि ऐसे शुद्ध आबोहवा वाला सेनेटोरियम देश में सिर्फ तीन ही जगह था जिसमें से एक बिलासपुर जिले के पेंड्रा में स्थित है. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पेंड्रा सेनेटोरियम में अपनी धर्म पत्नी का इलाज कराने का फैसला लिया.