छत्तीसगढ़

बिना मान्यता लिए फिर आरंभ रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, मुख्यमंत्री कार्यालय का जांच का आदेश हवा-हवाई

Nilmani Pal
3 Aug 2023 3:07 AM GMT
बिना मान्यता लिए फिर आरंभ रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, मुख्यमंत्री कार्यालय का जांच का आदेश हवा-हवाई
x
पढ़े पूरी खबर
खैरागढ़: शिक्षा का अधिकार कानून सिर्फ कागजों पर कड़ाई से पालन कराया जा रहा है, वरना आज शासकीय राशि का गबन करने वाले प्रायवेट स्कूल संचालकगण सलाखों के पीछे होते। नवीन जिला बनने के पश्चात् यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि शिक्षा विभाग से भ्रष्टाचार कम हो जाएगा और कमीश्नखोरो पर सख्त कार्यवाही होगी लेकिन शासकीय राशि का गबन करने वाले आज सीना ताने घुम रहे है। मुख्यमंत्री के कार्यालय से प्राप्त जांच आदेश सिर्फ हवा-हवाई बन कर रह गया है क्योंकि जांच के नाम से जो जमकर उगाई हो रही है, उससे तो कार्यवाही होने की उम्मीद धुंधला सी गई है।
लाखों के गबन में लिप्त स्कूल संचालक पुनः बिना मान्यता लिए छोटे छोटे बच्चों से मोटी फीस लेकर स्कूल संचालित कर रहे है जबकि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव श्री हेतराम सोम ने रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा, जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान की जांच दिनांक 13/09/2021 और 23/10/2021 को कराया गया था और लोक शिक्षण संचालनालय ने वर्ष 2022 में जांच कराया गया और जांच अधिकारीयों ने अपनी जांच रिपोर्ट और पंचनाम रिपोर्ट तत्कालीन डीईओ राजनांदगांव और संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि यह स्कूल वर्ष 2020-21 से पूर्णतः बंद है, अध्यापन कार्य नही हो रहा है, यानि यह स्कूल वर्ष 2019-20 तक ही संचालित था, लेकिन इसके बावजूद इस स्कूल को चालू बताकर वर्ष 2020-21 में 79 आरटीई के बच्चों के हिसाब से प्रतिपूर्ति राशि जो लगभग पांच लाख पछपन हजार चार सौ बीस रूपया है, दिनांक 06/10/2021 को स्कूल के खाते में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव हेतराम सोम ने मांग पत्र को सत्यापित कर लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर से स्कूल के बैंक खाते में हस्तांतरण कराया गया, जबकि जांच अधिकारी को सिर्फ 48 बच्चों की जानकारी दी गई, उसमें से भी जनू 2020 को 44 बच्चे टीसी लेकर अन्य स्कूल में प्रवेश ले चूके थे।
दिनांक 08/12/2020 को इस स्कूल के खाते में 86 आरटीई के गरीब बच्चों के हिसाब से छह लाख दो हजार तीन सौ पच्चास रूपया हस्तांतरण कराया गया जबकि वर्ष 2019-20 में इस स्कूल में इतने आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित थे ही नही, इस प्रकार इस स्कूल ने बच्चों की अधिक संख्या बताकर दो वर्षो 2020 एंव 2021 को स्कूल के खाते में प्रतिपूर्ति राशि हस्तांतरण कराया गया। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव हेतराम सोम ने मांग पत्र में उल्लेखित राशि को सत्यापित कर लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर से स्कूल के बैंक खाते में यह राशि हस्तांतरण कराया गया। इस राशि को स्कूल के संचालक ने इस्तेमाल किया और इस प्रकार शासकीय राशि का सुनियोजित ढंग से जानबूझकर एक षड़यंत्र के तहत संगठित रूप से गबन किया गया।
वैसे ही रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपुर, जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान के खाते में दिनांक 13/02/2020 को 61 आरटीई के बच्चों के हिसाब से चार लाख सताईस हजार एक सौ रूपया हस्तांतरित कराया गया और दिनांक 08/12/2020 को 71 आरटीई के बच्चे के हिसाब से पांच लाख दो हजार छह सौ बीस रूपया हस्तांतरित कराया गया। जबकि वर्ष 2019-2020 में इस स्कूल में इतने आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित ही नही थे और वर्ष 2021-22 से स्कूल पूर्णतः बंद है। यानि यह स्कूल वर्ष 2020-21 तक ही संचालित था। जांच अधिकारीयों के अनुसार इस स्कूल में सिर्फ 43 आरटीई के बच्चे ही पाए गए। यानि यह स्कूल, दो वर्षो 2019 एंव 2020 में बच्चों की संख्या अधिक बताकर प्रतिपूर्ति राशि की मांग किया गया, और जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव ने इस मांग पत्र को सत्यापित कर लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर से राशि स्कूल के खाते हस्तांतरण कराया गया और इस राशि को स्कूल के संचालक ने इस्तेमाल किया।
शिकायतकर्त्ता क्रिष्टोफर पॉल, जो छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष भी है, उनका कहना है कि, रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल के संचालकगणों के द्वारा शासकीय राशि का सुनियोजित ढंग से जानबूझकर एक षड़यंत्र के तहत संगठित रूप से गबन किया गया। पुलिस विभाग को सभी दस्तावेजी साक्ष्य दिए जा चूके है, लेकिन अब तक प्राथमिकी दर्ज नही हुआ है जो समझ से परे है।







Next Story