वजन अपने लफ्ज़ों में रखो आवाज मेंं नहीं, फसल बारिश से अच्छी होती है बाढ़ से नहीं
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
पिछले दिनों पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जिन्होंने पांच साल के कुशासन की पोल खोल कर रख दिए थे, उन्हें स्लीपर सेल कह दिया। जिन कार्यकर्ताओं के सहारे वे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए, अब वे स्लीपर सेल लग रहे हैं। भूपेश के इस बयान को भाजपा नेताओं ने लपक लिया और आरोपों की बौछार लगा दी। भाजपाइयों ने कहा कि स्लीपर सेल का उपयोग आतंकवादी संगठन के लिए किया जाता है क्या कांग्रेस आतंकवादियों का संगठन है जिसमें स्लीपर सेल कार्य कर रहे हैं। कांग्रेसी भी बौखलाए हुए हैं कि उनको आतंकवादी बोला गया। जनता में खुसुर फुसुर है कि बड़े को सोच समझ का बयान जारी करना चाहिए, नहीं तो लेने के देने पड़ जाते हैं और जग हंसाई अलग होती है। किसी ने ठीक ही कहा है कि -शक्ति अपने शब्दों में रखो अपनी आवाज मेंं नहीं, क्योंकि फसल बारिश से अच्छी होती है बाढ़ से नहीं
और कैसा अच्छे दिन चाहिए
अच्छे दिन आने की बात का प्रधानमंत्री के बयान को विपक्षी नेताओं ने जमकर मखौल उड़ाया था। अच्छे दिन के मायने सबके लिए अलग-अलग है। बात होली की करें तो पियक्कड़ लोग जिनका देश-प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है, मात्र पांच दिनों में 50 करोड़ की दारू गटक गए और करोड़ों रूपये के चिकन-मटन भी हजम कर गए, अब कोई बोले कि अच्छे दिन नहीं आया है तो बात गलत साबित होगी। वहीं दारू दुकानों के सुपरवाइजर बंधु तथा शराब कोचिये ओवर रेट में शराब बेचकर और मुर्गा मटन वाले भी रेट बढ़ाकर अच्छे दिन की शुरूआत की। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब और कितने अच्छे दिन की उम्मीद कर रहे हैं समझ नहीं आ रहा है। क्या महतारी वंदन की तरह दारू घोलडन योजना लाएं?
अच्छे दिन की उम्मीद इनको भी
मंत्रालय के गलियारे में कुछ अधिकारी-कर्मचारी अपनी पोस्टिंग की चर्चा में मशगूल थे। और मंत्री एवं उच्च अधिकारियों से सेटिंग की जुगत में थे कि उन्हें भी कहीं मलाईदार पदों और जगहों में उनकी नियुक्ति हो जाये। इसके लिए बाकायदा जुगत भी लगाने लग गए थे, कई ने तो सेटिंग भी कर लिए थे, लिस्ट भी लगभग बनकर तैयार हो गई थी। अचानक बेमौसम बरसात की तरह चुनाव आचार सहिंता लग जाने से सारे किये धरे पर पानी फिर गया। एक अधिकारी ने तो यह भी कहा कि भाई साब सब सेट हो गया था । आचार संहिता से मामला गड़बड़ हो गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये बादल भी छट जाएंगे कुछ दिन की तो बात है आचार संहिता भी खत्म होते ही उनके भी अच्छे दिन आ ही जायेंगे। इसी बात पर किसी ने ठीक ही कहा है कि समय चक्र तो घूमोगा अपने हिसाब से,आए हैं बुरे दिन तो कभी अच्छो दिन भी आएंगे
गुरु दक्षिणा के दिन लद गए
पिछले दिनों रायपुर सहित देशभर में सीबीएसई ने स्कूलों में बड़े पैमाने पर छापेमारी हुई थी। रायपुर में भी दो बड़े स्कूलों की मान्यता खत्म कर दी थी, वजह ये बताया जा रहा है कि डमी स्कूल के नाम पर भारी भरकम फीस लेकर अपने यहां नहीं पढ़ रहे बच्चो को भी नियमित बताकर परीक्षा में बैठा दिया जा रहा था। स्वाभाविक है जोखिम लेने की गुरु दक्षिणा भी तो तगड़ी होती ही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब बच्चे को मोटी फीस देकर पढ़ाई लिखाई कराकर डाक्टर, इंजीनियर या अधिकारी बनेंगे तो जो पूंजी उनके माता-पिता ने लगाया है उसे वसूलेंगे ही।
खुलकर बोलने की आजादी
अब कांग्रेसियों को भी सुरक्षा की दरकार पड़ रही है । दरअसल कांग्रेसी जब से विधानसभा चुनाव में पटखनी खाये है और अभी लोकसभा चुनाव की खुमारी चढ़ी है तो पांच साल तक अपने नेताओं की ज्यादती सहते आए थे वो अब खुले मंच में फायरब्रांड नेताओं की तरह फायर हो रहे हैं। और बड़े नामचीन नेताओं की बोलती बंद है। बोलने की आजादी का भरपूर लाभ ले रहे हैं। राजनांदगांव में मंच से ही एक कार्यकर्ता ने अपनी भड़ास निकाली, वहीं दुर्ग के एक नेता ने रामगोपाल अग्रवाल और विनोद वर्मा पर पीसीसी के खजाने का जमकर दोहन करने का आरोप लगा कर सनसनी फैला दी और तो और उन्होंने भूपेश बघेल पर भी कार्रवाई करने की मांग तक कर दी। अब उन्हें इनसे खतरा नजर आ रहा है उन्होंने दुर्ग एसपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यदि हर कांग्रेसी को एक चार का गार्ड की सुरक्षा मिल जाये तो वे और भी खुलकर बोलने लग जायेंगे ऐसा लग रहा है। और भाजपाई मंत्री ऐसा ही कर उनके हौसले बुलंद कर रहे हैं। सबको जेड सुरक्षा मिलेगी यह तय कर दिया है। जितना भड़ास निकलना है निकालो, चुनाव बाद हमारे साथ रंग जाओ।
मदिरा प्रेमी करें तो करें क्या
पिछले दिनों मदिरा प्रेमियों के लिए बुरी खबर आई थी। सरकार के आदेशनुसार एक अप्रेल से दारू की हर बोतल में एक सौ बीस रूपये की बढ़ोतरी की जाएगी। मदिरा प्रेमी अभी से बढ़े हुए कीमत में लेने की प्रेक्टिस और जुगाड़ भी शुरू कर दिए हैं। दूसरी ओर नशा मुक्ति महाअभियान के तहत नशे की होली जलाकर नशा के खिलाफ समाज को सन्देश देकर नशे से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं। अब ये कदम सरकार के खिलाफ माने या जनजागरण अभियान समझ नहीं पा रहे हैं मदिरा प्रेमी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले दारू बाजों के लिए कोई सोच नहीं रहा है। सरकार रेट बढ़ा रही है और सामाजिक संस्थाएं नशे से दूर रहने की हिदायत दे रही है। अब करें तो करें क्या ?
बाहरी-भीतरी में उलझे
जब से लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हुई है कांग्रेस में भगदड़ मच गई है। कारण जो भी हो हर इंसान अपनी मान मर्यादा और सुरक्षा का ध्यान रखेगा ही। मान मर्यादा और सुरक्षा जैसा भी हो। जिधर देखो कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है। ऐसा लग रहा है सब अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जब जिसको मौका मिला अपनी सहूलियत के मुताबिक निकल रहे हैं। लोकसभा क्षेत्रों में बाहरी और भीतरी के चक्कर में कांग्रेसी उलझे हुए हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि टिकट मिलने के बाद बाहरी-भीतरी में पड़कर प्रत्याशी को भीतरी ही समझा जाये, तभी वह संसद के भीतर जाने लायक होगा, वर्ना बाहरी का तो तमगा मिला हुआ ही है। वैसे भी बाहरी थे, बाद में भी बाहर रहेंगे।