छत्तीसगढ़

जनसंगठनों ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करने का लिया संकल्प

Nilmani Pal
24 March 2024 4:41 AM GMT
जनसंगठनों ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करने का लिया संकल्प
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रायपुर l स्वतंत्रता आंदोलन के अमर शहीदों भगतसिंह- राजगुरु- सुखदेव की 93 वीं शहादत दिवस के अवसर पर कल 23 मार्च को राजधानी के विभिन्न ट्रेड यूनियनों व जनसंगठनों द्वारा संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत व कॉर्पोरेट तथा सांप्रदायिक ताकतों के आपराधिक गठबंधन के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया l रायपुर के शंकर नगर चौक स्थित शहीद भगतसिंह प्रतिमा स्थल पर शाम को संपन्न एक कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय ने मोमबत्तियाँ जलाकर इंकलाब जिंदाबाद , साम्राज्यवाद मुर्दाबाद के नारों व फूल मालाओं के साथ तीनों क्रांतिकारी शहीदों के योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की ल

कार्यक्रम का आयोजन रायपुर डिविजन इंश्योरेंस एम्पलाईज यूनियन, छ. ग. मेडिकल व सेल्स रिप्रेजेंटिव्हज एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया, दलित शोषित मुक्ति मोर्चा, सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन तथा सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था l इस अवसर पर संपन्न संकल्प सभा को धर्मराज महापात्र, प्रदीप मिश्रा, श्रीमती नीतू अवस्थी, राजेश पराते, शेखर नाग,संदीप सोनी एवं राजेश अवस्थी ने संबोधित किया l वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह और उनके साथियों ने एक समतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, समाजवादी व आधुनिक भारत के निर्माण के सपनों के साथ ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान कर आम जनता को स्वाधीनता संग्राम में व्यापक रूप से जुड़ने हेतु प्रेरित किया था l आज देश व दुनिया को भगतसिंह की सोच, विचारधारा व संदेश को समझने की जरूरत है l उनकी लडाई मजदूरों, किसानो, गरीबों, आदिवासियों व समाज के कमजोर तबकों के हित में थी l वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह एक बेहतरीन लेखक और पत्रकार भी थे l

उन्हें जब भी समय मिलता वे किताबों को पढ़ने लग जाते थे l उनके पास किताबें हमेशा मौजूद रहती थी l भगतसिंह ने साम्यवादी विचारों के प्रति आम जनता को आकर्षित करने असेंबली में बम फेंका था एवं कोर्ट में बयान देकर क्रांतिकारी विचारों का प्रचार किया था l भगतसिंह को याद करने का मतलब शोषण, अन्याय, सांप्रदायिकता, अंधविश्वास व रूढ़िवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाना हैl वक्ताओं ने कहा कि आजादी के 77 वर्षों बाद आज सांप्रदायिकता व कार्पोरेट के गठबंधन ने संविधान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पुरजोर हमला बोल दिया है l श्रम संहिताओं, सी सी ए कानून व कृषि विधेयकों के जरिये मेहनतकशों की आवाज दबाने व उन्हें विभाजित करने के प्रयास जारी है l इलेक्टोरल बाँड जैसे इतिहास के सबसे बड़े घोटालों के साथ केंद्र में सत्तासीन दल लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहा है l भारतीय इतिहास का यह सर्वाधिक अंधकार पूर्ण दौर है जिस दौर में फ़ासिस्ट राज कायम करने व तानाशाही थोपने की कोशिशें जारी है l देश की मेहनतकश जनता ऐसी परिस्थितियों के खिलाफ कड़ा प्रतिवाद दर्ज कर रही है और आगामी दिनों यह लडाई और तेज होगी l वक्ताओं ने भारतीय समाज में बढती असमानता पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की l उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों में दौलत के पहाड़ का इकट्ठा होना एक विस्फोटक स्थिति का संकेत है l कार्यक्रम के दौरान जनगीत व भगतसिंह व उनके साथियों के जीवन से संबंधित संस्मरण भी प्रस्तुत किये गये l सुरेंद्र शर्मा द्वारा प्रस्तुत आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ l

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