मनोवैज्ञानिक बोले - नंदी की मूर्ति नहीं पी रही पानी, यह लोगों का भ्रम
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम साकरा जगन्नाथपुर के हनुमान मंदिर परिसर में स्थित नंदी की प्रतिमा के जल पीने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। मंदिर में भगवान नंदी को जल पिलाने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। इस बीच एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ) के अध्यक्ष मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार ने कहा कि ऐसी ही घटना 8 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ की बहुत सी जगहों से नंदी की मूर्ति दूध पी रही है, ऐसी अफवाह उड़ी थी. उन्होंने कहा कि लोग हाथ में कटोरी और गिलास लेकर मूर्ति के पास जुट जाते हैं, लोग दूध या पानी चम्मच से लेकर नंदी को दूध पिलाते हैं, वास्तविक में देखा जाएं तो पूरा दूध जमीन पर बहता रहता है। लोग अंधविश्वास की वजह से अपनी बुद्धि और विवेक के दरवाजे बंद कर देते हैं। सत्य क्या है उसे देखना छोड़कर बस भीड़ के पीछे चलते हैं।
एएसओ के अध्यक्ष ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करने वाले व्यक्ति को पता होता है कि यह एक भ्रम मात्र है। नंदी ही नहीं, किसी भी मूर्ति, चाहे वह धातु की हो, पत्थर की हो, मिट्टी की हो, कभी भी केवल पानी या दूध ही नहीं, किसी भी प्रकार का द्रव्य पदार्थ में पीने का भ्रम हो सकता है। अगर नंदी या किसी भी मूर्ति को कुछ पदार्थ खिलाएं तो वह नहीं खा सकता अर्थात उसमें स्पष्ट है कि खाने के पदार्थ नीचे नहीं गिरेगा, उसमें ऐसा नहीं होगा।
पानी या दूध पीने का भ्रम इसलिए होता है कि जब दूध या पानी की बूंद होंठों को लगाने पर पृष्ठीय तनाव (surface tention) का प्रभाव शुरू हो जाता है और मूर्ति द्रव्य पदार्थ खीचने लगता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे अंधविश्वास में न पड़े। उन्होंने कहा कि अपना विवेक की बत्ती जलाए और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाए। इससे ही व्यक्ति और समाज की भलाई हो सकती है।
-मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)