कार्रवाई के नाम पर लीपापोती, प्रशासन मुकदर्शक बना
निर्धारित दर से चार गुना फीस ले रहे निजी अस्पताल
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। भीषण कोरोना महामारी के दौर में भी निजी अस्पताल बड़े पैमाने पर मुनाफाखोरी में लगे है और मरीजों के परिजनों को खुलकर लूट रहे हैं। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सरकारी दर तय होने के बाद भी निजी अस्पताल वाले बेड चार्ज, मेडिसीन और डॉक्टर के चार्ज के नाम पर मनमाना फीस वसूल रहे हैं। कुछ अस्पताल फीस नहीं दे सकने की स्थिति में शव रोकने जैसा कुत्सित कार्य कर रहे हैं लेकिन प्रशासन कार्रवाई के बजाय टालमटोल में लगा है। जनता से रिश्ता की रिपोर्ट के बाद हेल्थ विभाग ने संबंधित अस्पताल को नोटिस देकर 14 के लिए कोविड मरीजों का अस्पताल में भर्ती को बैन किया है। सरकार भी निजी अस्पतालों की लूट और मनमानी रोकने कोई कारगर कदम उठाने में नाकाम है परिणाम स्वरूप लोग लूट रहे हैं। राजधानी के कई अस्पतालों में भारी भरकम फीस लेने और इलाज के नाम पर सुविधा नहीं देने की कई शिकायते मिली है। वहीं अस्पतालों की जांच को लेकर भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में तालमेल का अभाव दिख रहा है। कलेक्टर जहां अस्पतालों की जांच की बात कर रहे हैं वही सीएमएचओ इसे असंभव बता रही हैं।
अस्पतालों की जांच पर लीपापोती : राजधानी अस्पताल में हुए अग्निकांड मामले में जांच के नाम पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों ही लीपापोती में जुटे हैं। एक तरफ तो कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल की अध्यक्षता में जांच समिति बिठाकर सभी अस्पतालों के ऑडिट की बात कह रहे हैं। मगर, दूसरी ओर सीएमएचओ ने सभी अस्पतालों के आडिट मामले में संभव न होने की बात कह दी है। साथ ही खुद से अस्पतालों को अपनी खामियां विभाग को बताने के लिए पत्र लिखे जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया गया है। इधर, अग्निकांड को लेकर भी अब तक विभाग की जांच आगे ही नहीं बढ़ पाई है। मामले में विभागीय सूत्रों द्वारा अधिकारियों के सांठगांठ होने की वजह से जांच में लेटलतीफी की बात कही जा रही है। ऐसे में प्रशासनिक जांच टीम पर भी सवाल उठने लगे हैं कि कहीं मामले में लीपापाती कर दोषियों को बचाने की कवायद तो नहीं।
इन पर हुई कार्रवाई : इधर, पैसे के लिए कोरोना से मृत व्यक्ति के शव रोकने और गलत बिलिंग कर राशि वसूलने की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग ने बांठिया अस्पताल को नोटिस थमाया था। विभाग ने बताया कि इलाज के दौरान भर्ती मरीज के स्वजनों से अस्पताल 6.50 लाख रुपये ले चुका था। उसकी मृत्य के बाद 70 हजार रुपये बकाया होने की बात करते हुए शव को अस्पताल द्वारा रोका गया था। दोषी पाते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस 15 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। वहीं, मोवा स्थिति श्री बालाजी अस्पताल ने ऑनलाइन पोर्टल पर कोरोना मरीजों के लिए 23 ऑक्सीजन बिस्तर खाली होने की बात कही थी। जबकि पीडि़तों द्वारा फोन करने पर बिस्तर खाली नहीं होने बताया गया। हेरीटेज अस्पताल द्वारा आनलाइन पोर्टल में 25 ऑक्सीजन बिस्तर खाली होने की जानकारी दी थी। जबकि काल करने पर अस्पताल प्रबंधन इससे मुकर गया।
इसकी शिकायत पर विभाग ने अस्पताल को नोटिस दिया था। जिस पर दोनों अस्पतालों ने तकनीकी और व्यवहारिक त्रुटि बताते हुए माफी मांगी है। जिसपर स्वास्थ्य विभाग द्वारा समझाइश दी गई है। कमल विहार स्थित राम किरन अस्पताल को भी निर्धारित दर से अधिक फीस लेने पर नोटिस दिया गया है। अधिकारियों ने बताया प्राइवेट अस्पतालों में इलाज में लापरवाही, अधिक बिल को लेकर शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
अस्पतालों में ज्यादा फीस वसूलने की मिल रही शिकायतें
इस बीच अलग-अलग अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों के परिजन लगातार ज्यादा फीस वसूलने अस्पतालों में सुविधा नहीं होने की शिकायत कर रहे हैं। कांपा स्थित मित्तल हास्पिटल में एक मरीज से 4.22 लाख का बिल वसुलने की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से की गई है। शिकायतकर्ता के अनुसार रेमडेसिविर लगाने से पहले अस्पताल ने सहमति पत्र भी नहीं भरवाया। इसी तरह महादेवघाट स्थिति एक निजी अस्पताल ने कोरोना मरीज को फार्मेसी का ही 130471 रुपए का बिल दिया जिसमें दवा का नाम आदि जानकारी का उल्लेख ही नहीं था। वहीं टैगोरनगर स्थित जीवन अनमोल अस्पताल में मरीज को आईसीयू में बेड उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर स्टोर रूम में शिफ्ट करा दिया और ग्लूकोज के बाटल लगाने के अतिरिक्त कोई इलाज नहीं किया और 80 हजार फीस की मांग की गई मजबूरी में परिजनों को मरीज को वहां से डिस्चार्ज कराना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को ऐसी शिकायतों की पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
वैक्सीन में भी फर्जीवाड़ा
निजी अस्पताल वैक्शीनेशन में फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। अपात्रों को वैक्सीन लगाने से लेकर बजे डोज को मिलाकर वायल बनाकर लोगों को टीका लगाया जा रहा है। इस वायल से बिना रजिस्ट्रेशन के गाइडलाइन में नहीं आने वाले लोगों भी ज्यादा रुपए कमाने के चक्कर में वैक्सीन लगा दी गई। अव ऐसे लोग दूसरी डोज के लिए सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच रहे हैं तो इसका खुलासा हो रहा है। इतना ही नहीं रिकार्ड खंगालने पर वैक्सीनेशन कराने वालों में एक ही नाम और मोबाइल नंबर के कई लोग मिल रहे हैं।
आनन-फानन मेंं अनुमति, अब जांच के नाम पर खानापूर्ति
कोरोना की स्थिति को देखते हुए विभाग द्वारा बिना जांच के ही अधिकांश प्राइवेट कोविड अस्पतालों के संचालन की अनुमति दे दी गई थी। लेकिन इलाज में लापरवाही, पैसे की अधिक वसूली और अन्य कई अनियमितता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने टीम तो बनाई है। यह भी नाम का ही बनकर रह गया है। जांच नहीं होने की वजह से इन अस्पतालों को सह मिल रहा है। बता दें जिले में करीब 92 प्राइवेट कोविड अस्पतालों को इलाज की अनुमति दी गई है।
62 अस्पतालों को नोटिस
डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना और आयुष्मान योजना के तहत जिले में कोरोना मरीजों के लिए 20 फीसदी बेड आरक्षित नहीं करने वाले 62 अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार फिलहाल अस्पतालों को चेतावनी देकर बेड आरक्षित करने कहा गया है। दोबार शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। निजी अस्पताल संचालकों को आयुष्मान संबंधी बोर्ड लगाने को भी कहा गया है।
इसकी शिकायत पर विभाग ने अस्पताल को नोटिस दिया था। जिस पर दोनों अस्पतालों ने तकनीकी और व्यवहारिक त्रुटि बताते हुए माफी मांगी है। जिसपर स्वास्थ्य विभाग द्वारा समझाइश दी गई है। कमल विहार स्थित राम किरन अस्पताल को भी निर्धारित दर से अधिक फीस लेने पर नोटिस दिया गया है। अधिकारियों ने बताया प्राइवेट अस्पतालों में इलाज में लापरवाही, अधिक बिल को लेकर शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
अस्पतालों में ज्यादा फीस वसूलने की मिल रही शिकायतें
इस बीच अलग-अलग अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों के परिजन लगातार ज्यादा फीस वसूलने अस्पतालों में सुविधा नहीं होने की शिकायत कर रहे हैं। कांपा स्थित मित्तल हास्पिटल में एक मरीज से 4.22 लाख का बिल वसुलने की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से की गई है। शिकायतकर्ता के अनुसार रेमडेसिविर लगाने से पहले अस्पताल ने सहमति पत्र भी नहीं भरवाया। इसी तरह महादेवघाट स्थिति एक निजी अस्पताल ने कोरोना मरीज को फार्मेसी का ही 130471 रुपए का बिल दिया जिसमें दवा का नाम आदि जानकारी का उल्लेख ही नहीं था। वहीं टैगोरनगर स्थित जीवन अनमोल अस्पताल में मरीज को आईसीयू में बेड उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर स्टोर रूम में शिफ्ट करा दिया और ग्लूकोज के बाटल लगाने के अतिरिक्त कोई इलाज नहीं किया और 80 हजार फीस की मांग की गई मजबूरी में परिजनों को मरीज को वहां से डिस्चार्ज कराना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को ऐसी शिकायतों की पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
वैक्सीन में भी फर्जीवाड़ा
निजी अस्पताल वैक्शीनेशन में फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। अपात्रों को वैक्सीन लगाने से लेकर बजे डोज को मिलाकर वायल बनाकर लोगों को टीका लगाया जा रहा है। इस वायल से बिना रजिस्ट्रेशन के गाइडलाइन में नहीं आने वाले लोगों भी ज्यादा रुपए कमाने के चक्कर में वैक्सीन लगा दी गई। अव ऐसे लोग दूसरी डोज के लिए सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच रहे हैं तो इसका खुलासा हो रहा है। इतना ही नहीं रिकार्ड खंगालने पर वैक्सीनेशन कराने वालों में एक ही नाम और मोबाइल नंबर के कई लोग मिल रहे हैं।
आनन-फानन मेंं अनुमति, अब जांच के नाम पर खानापूर्ति
कोरोना की स्थिति को देखते हुए विभाग द्वारा बिना जांच के ही अधिकांश प्राइवेट कोविड अस्पतालों के संचालन की अनुमति दे दी गई थी। लेकिन इलाज में लापरवाही, पैसे की अधिक वसूली और अन्य कई अनियमितता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने टीम तो बनाई है। यह भी नाम का ही बनकर रह गया है। जांच नहीं होने की वजह से इन अस्पतालों को सह मिल रहा है। बता दें जिले में करीब 92 प्राइवेट कोविड अस्पतालों को इलाज की अनुमति दी गई है।
कमेटी जांच कर रही है
अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद अन्य अस्पतालों में फायर आडिट के लिए निर्देश दिया जा चुका है। राजधानी अस्पताल के मामले में सीएमएचओ के अंतर्गत जांच कमेटी बिठाई गई है। कमेटी जांच कर रही है। इसके बाद कार्रवाई तय की जाएगी।
- डॉ. एस भारतीदासन, कलेक्टर, रायपुर
रिपोर्ट आने में वक्त लगेगा
राजधानी अस्पताल मामले में जांच चल रही है। रिपोर्ट आने में वक्त लगेगा। जहां तक बात है अन्य कार्रवाई की तो शिकायत मिलने पर संबंधित अस्पताल से जवाब मांगा जाता है। साथ ही दोषी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई भी कर रहे हैं।
-डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, जिला-रायपुर