छत्तीसगढ़

आवास दिलाने प्रेस क्लब के कार्यालय सचिव ने 50-50 हज़ार वसूले

Shantanu Roy
31 July 2024 3:38 PM GMT
आवास दिलाने प्रेस क्लब के कार्यालय सचिव ने 50-50 हज़ार वसूले
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पीड़ित प्रेसकर्मी ने लगाया आरोप, प्रेस क्लब की गरिमा हुई धूमिल, बर्खास्तगी की मांग
मामलें में तत्कालीन प्रेस क्लब अध्यक्ष व अन्य पदाधिकरियों की भूमिका की भी जांच जरुरी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर और प्रेस क्लब की मांग पर राजधानी के पत्रकारों और प्रेस कर्मियों को 2021 में सस्ते दर पर आवास देने का निर्णय लिया गया था। जिसके आधार पर नगर निगम ने BSUP योजनान्तर्गत ज़ोन- 8 स्थित सोनडोंगरी में निर्मित परिसर में पत्रकारों और प्रेसकर्मियों को आवास आबंटित किया है। यह प्रक्रिया वर्तमान में भी जारी है। पत्रकारों और प्रेसकर्मियों को आवास दिलाने के नाम पर जमकर उगाही होने की बात सामने आ रही है। पीड़ित अब इस पर आवाज़ उठा रहे है। इस पूरी प्रक्रिया में प्रेस क्लब के कार्यालय सचिव शिव दत्ता द्वारा कई पत्रकारों और प्रेसकर्मियों से 25-50 हज़ार रुपए लिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जनता से रिश्ता के मशीन ऑपरेटर अशोक पांडेय और उसके भाई शिवेंद्र पांडेय से 50-50 हजार लेकर आज तक उन्हें मकान नहीं दिलाया है। आज दोनों ने प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर के नाम पर पत्र लिखकर अपना पैसा वापस दिलाने की गुहार लगाई है। साथ ही पीड़ितों ने उस पत्र को प्रेस क्लब महासचिव और पूर्व पदाधिकारियों सहित
वरिष्ठ पत्रकारों को सोशल मीडिया टैग भी किया है। पीड़ित अशोक
पांडेय ने बताया कि वे उधारी लेकर 5 मार्च 2021 को पैसा प्रेस क्लब के सचिव शिव दत्ता को प्रेस क्लब के दफ्तर में स्वयं नगद दिया था। देखने में आ रहा है कि BSUP योजना के तहत राजधानी के पत्रकारों को मिलने वाले मकानों पर प्रेस क्लब के कुछ लोगों ने कार्यालय सचिव शिव दत्ता के साथ मिलकर अवैध उगाही की है। शिव दत्ता प्रेस क्लब का कर्मचारी है लेकिन प्रेस क्लब के सदस्य भी उससे डरते हैं। शिकायतकर्ता अशोक पांडेय ने बताया कि पत्रकारों को मिलने वाले आवास स्थानीय प्रेस क्लब के पदाधिकारियों द्वारा अपात्र लोगों को बांटने का काम किया गया है जबकि उनसे आवास दिलाने के नाम पर अवैध उगाही की गई और आज तक आवास नहीं दिलाया गया। दस्तावेजों में हेरफेर, फर्जी शपथ पत्र और नियम विरुद्ध रायपुर प्रेस क्लब द्वारा अपात्र फर्जी पत्रकारों के आवेदन लेकर अनुशंसा कर नगर निगम से आवास आवंटित कराया गया है। जिसमे कई ऐसे लोग भी शामिल जो पत्रकार और प्रेसकर्मी नहीं होने के साथ योजना का लाभ लेने के पात्र नहीं है। पीड़ित ने इस पूरे मामलें में जांच कर दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि प्रेस क्लब की अनुशंसा के आधार पर नगर निगम ने सभी आवेदनों को स्वीकृत करते हुए बीएसयूपी के मकान आबंटित कर दिए। यहां यह उल्लेख करना अति आवश्यक है की पत्रकार कोटे से जिन लोगों ने मकान लिए हैं उनमें से अधिकांश लोग पत्रकार या प्रेसकर्मी हैं ही नहीं, फर्जी शपथ पत्र देकर उन्होंने अपने आप को पत्रकार घोषित किया है और जिसे प्रेस क्लब ने प्रमाणित भी किया है। इस पूरे मामलें में अगर तत्कालीन प्रेस क्लब अध्यक्ष व अन्य
पदाधिकरियों
की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। ऐसे और कई भी पीड़ित है जिनसे वसूली की जानकारी मिल रही है जो किसी कारणवश सामने नहीं आ रहे थे। मामला सामने आने के बाद शिकायतें बढ़ेगी।



वरिष्ठ पत्रकारों में नाराजगी

वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे प्रेस क्लब पर धब्बा बताया और कहा कि इससे प्रेस क्लब की गरिमा को ठेस पहुंची है हुए ऐसे लोगों को तत्काल प्रेस क्लब से हटाया जाय। उन्होंने आगे कहा कि आवास का लाभ लेने वाले सभी आवेदनकर्ताओं पर झूठा शपथ पत्र, झूठा पत्रकार कार्ड, झूठे आय प्रमाण पत्र के साथ-साथ अनेक लोगों के नाम से 2 से 3 आवास एक ही नाम से लेने एवं समृद्ध शाली होने के बावजूद अपने आप को गरीबी रेखा से नीचे बता कर लेने वालों के खिलाफ भी जुर्म दर्ज करने की कार्यवाही किया जाय और प्रेस क्लब के कार्यालय सचिव शिव दत्ता को तत्काल हटाकर उस पर एफआईआर कराया जाय ताकि कोई भी प्रेस क्लब का कर्मचारी प्रेस क्लब को बदनाम करने से बाज आ सके। पत्रकारों ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि फर्जी सत्यापन करने के आरोप में प्रेस क्लब के कार्यालय सचिव और तत्कालीन अध्यक्ष पर अपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए साथ ही संबंधित फर्जी आवेदकों पर भी गंभीर धाराओं के तहत जुर्म दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए | पत्रकारों के लिए आवंटित होने वाले आवास घोटाले में शामिल सभी लोगों परऔर नगर निगम के जिन अधिकारीयों ने भी बिना सत्यापन किए प्रेस क्लब के सत्यापन को सही मानते हुए मकान आवंटित किए हैं इसलिए नगर निगम के संबंधित अधिकारियों पर भी घोटाले में सहयोग करने के लिए जुर्म दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए | यहां सवाल यह उठता है कि लाखों की तनख्वाह लेने वाले अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं करते जो खामियां आम आदमी को नजर आती हैं वह अधिकारियों को नजर क्यों नहीं आती जबकि वे इसी बात की तनख्वाह लेते हैं | यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि अपने आप को आवास हीन बताकर मकान लेने वाले पत्रकारों मैं से अधिकांश लोगों ने अपने मकानों को किराए पर दे दिया है जबकि अन्य लोगों ने वहां रहना शुरू नहीं किया है | किस-किस मकान में कौन-कौन किराएदार रहता है ?इसकी पूरी सूची शिकायतकर्ता ने नगर निगम को उपलब्ध कराई है | संबंधित विभागों के मंत्रियों को चाहिए कि वे स्वयं संज्ञान लेकर अधिकारियों की लापरवाही उनके भ्रष्टाचार घोटालों की सप्रमाण जानकारी देने वालों को अधिकारियों की तनख्वाह से पैसे काट कर घोटालों की पोल खोलने वाले पत्रकारों एवं आम नागरिकों को राशि दें ताकि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी सजगता से करें।




एडमिशन दिलाने के नाम पर 20 से 30 हजार लिया

कोरोना के समय कार्यालय सचिव शिव दत्ता जो प्रेस क्लब का सदस्य नहीं है और जो सिर्फ वहां का कर्मचारी है ने एडमिशन के नाम पर भी जमकर उगाही की है। एक भुक्तभोगी में बताया की उसके बच्चे को आरटीआई के तहत स्कूल में एडमिशन दिलाने के नाम पर भी 30 हजार लिया गया था और एडमिशन नहीं होने पर अभी तक 10 हजार रूपये ही लौटाया गया है। बाकी के दस हजार रूपये के लिए कार्यालय सचिव शिव दत्ता द्वारा अभी तक गोलमोल जवाब दिया जा रहा है।

प्रेस क्लब के नाम का दुरूपयोग
कार्यालय सचिव शिव दत्ता द्वारा प्रेस क्लब के नाम का भी दुरूपयोग किया गया। प्रेस क्लब के नाम से ही वह देवभोग दूध का सप्लायर बन गया गई साथ ही देवभोग दूध वितरकों का छत्तीसगढ़ का अध्यक्ष भी बन बैठा है। सरकारी कार्यालयों में प्रेस क्लब सचिव के नाम पर पत्र व्यवहार कर अपने आपको प्रेस क्लब का सचिव बताकर अवैध उगाही करने की भी जानकारी मिल रही है। उसके इस अवैधानिक कृत्य में जो भी शामिल है प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर को सभी का नाम उजागर कर प्रेस क्लब की सदस्य्ता से आजीवन हटाने की कार्रवाई करनी चाहिए।



वास्तविक पत्रकारों और प्रेसकर्मियों को नहीं मिला आवास
जनता से रिश्ता के भी अनेक कर्मचारियों ने आवास के लिए फार्म भरा था लेकिन कुछ न कुछ त्रुटि बताकर उनके फार्म को रिजेक्ट कर दिया गया और अपात्रों से पैसा लेकर उन्हें आवास दिला दिया गया है। इस पर भी गंभीरता से जाँच कर ऐसे लोगों को जेल भेजा जाये। और प्रेस क्लब की गरिमा को बरक़रार रखा जाये। प्रेस क्लब का कार्यालय सचिव अपने आप को कांग्रेस और आरएसएस का पदाधिकारी भी बताता है। पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी तब वह स्वयं को पूर्व मुख्यमंत्री का करीबी बताया करता था। वर्तमान में वह अपने आपको छत्तीसगढ़ सहकारी दुग्ध संघ का प्रदेश अध्यक्ष, छग बंग समाज का प्रदेश उपाध्यक्ष बताता है।




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