छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: सड़कों की दुर्दशा कह रही...घोटाले हुए

Nilmani Pal
12 April 2022 5:33 AM GMT
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: सड़कों की दुर्दशा कह रही...घोटाले हुए
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रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लोगों की बुनियादी सुविधा से ज्यादा अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। घटिया और दोयम दर्ज के निर्माण कर अधिकारी-ठेकेदार मलाई खा रहे हैं। जमीन पर इस योजना के हाल को देखा जा सकता है। सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता कर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। चार महीने पहले निर्माण पूरे होने वाली सड़कों की दुर्दशा चीख-चीखकर कर इसकी गवाही दे रही हैं। सरकार और संबंधित विभाग अपने ही रिटायर्ड अधिकारियों से निर्माण की गुणवत्ता जांच करवा कर निर्माण की गड़बड़ी को ढांककर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं और भ्रष्टाचार की खुली छुट दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप निर्माण लागत की आधी रकम अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में पहुंच रही है। ठेकेदार और विभागिय अधिकारी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का रुपया गटक लिया जा रहा है। कहीं भी गुणवत्ता युक्त सड़क नहीं बनाया गया है, और उन रुपयों को ठेकेदार, नेता और अधिकारी मिलकर चट कर रहे हैं। संभागीय मुख्यालयों में सालों से जमे अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से योजना को संपत्ति बनाने का माध्यम बना रखे हैं। गरियाबंद, कोरिया, कवर्धा, बालोद से लेकर राज्य के हर संभाग में योजना के तहत बनाई सड़कों के निर्माण, मरम्मत और पुल-पुलियों के निर्माण में मापदंडों की अवहेलना कर सरकारी धन का बंदरबाट किया जा रहा है। प्रस्तुत तस्वीर में उर्तुली से गरियाबंद सड़क की सच्चाई नजर आ रही है। इस सड़क का काम 2021 के आखिर में खत्म हुआ है और चंद महीनों में सड़क से डामर की परतें गायब हो गई है। सड़क में मुरूम गिट्टी और सिंगल लेयर डामर लगाया गया है। न स्लेग, न बोल्डर और न ही मापदंड के अनुरूप डामर का लेयर लगाया गया है।

जनता से रिश्ता ने ग्राउंड रिपोर्ट में जो देखा उसके बाद विभाग को सीधा चैलेंज है कि उसका कोई भी अधिकारी जन सरोकार के तहत इन सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए आगे आएं, जनता से रिश्ता के संवाददाता उन्हें धरातल पर सच्चाई से रुबरू करा देंगे। जनता से रिश्ता के पास उपलब्ध सबूतों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आने वाले गांवों के निवासियों के द्वारा दिए गए बयान के आधार पर सड़क की खुदाई करने से पता चलता है कि सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। 10 से 12 लेयर की सड़क जहां होना था वहां पर 2 या 3 लेयर पर ही निपटा दिया गया। क्रशर बोल्डर नहीं डाला गया, डस्ट नहीं डाला गया, मुरुम नहीं डाला गया, बजरी-गिट्टी की लेयर नहीं डाली गई, क्रशर की गिट्टी के लेयर भी खा गए। डामरीकरण भी लिपा पोती कर आनन फानन में लगाया गया। कुल मिलाकर कहा जाए कि प्रति किमी निर्धारित दर से मात्र 10 से 15 प्रतिशत के लागत में ही प्रधानमत्री सड़क का निर्माण कर दिया गया। भ्रष्ट ठेकेदार एवं 25 साल से जमे हुए अधिकारियों की मिली भगत और भ्रष्टाचार की कहानी जनता से रिश्ता को भौतिक सत्यापन में मिली।

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