छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: अफसरों-ठेकेदारों को लूट की छूट

Nilmani Pal
11 Jan 2022 5:57 AM GMT
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: अफसरों-ठेकेदारों को लूट की छूट
x
  1. हीरा तस्करी नहीं पीएमजीएसवाय में भ्रष्टाचार से गरियाबंद कुख्यात
  2. चर्चित ईई की कारगुजारियों ने पूरे मकहमे को किया बदनाम
  3. पीएमजीएसवाय के प्रमुख होने के नाते लुटाई सरकारी धनराशि
  4. अधिकारी की कृपा से ठेकेदार और छुटभैया नेता हो गए मालामाल

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। गरियाबंद जिला एक समय में हीरा के लिए चर्चित हुआ था जिसके देश विदेश में चर्चा रही। लेकिन पिछले एक दशक से गरियाबंद हीरा की जगह प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में हुए भारी भ्रष्टाचार को लेकर कुख्यात हो चुका है। चर्चित कार्यपालन अभियंता के कार्यकाल में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ बनाने के नाम पर पूरे गरियाबंद जिले में सडक़ बनाने के नाम पर लीपापोती की गई। ठेकेदार और स्थानी छुटभैया नेताओं के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ का रुपया गटक लिया गया। कही भी गुणवत्ता युक्त सडक़ नहीं बनाया,और उन रुपयों को ठेकेदार, नेता और अधिकारी मिलकर चट कर गए। गरियाबंद में इस समय एक बड़ा मामला गरियाबंद को पूरे विश्व में चर्चित हो रहा है जिसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में अधिकारियों के काला कारनामे है। विगत 25 सालों से गरियाबंद में जमे अधिकारी के कारनामे से हर कोई वाकिफ है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता या उच्च अधिकारियो को भेंट पूजा के कारण कोई उनका कुछ बिगड़ नहीं पा रहा है। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सडक़ योजना के नाम पर गामीण अंचलों का पैसा अधिकारियों और ठेकेदारों ने अपनी तिजोरी में बेखौफ होकर बंद कर रहे हैं। विभाग के मंत्री को पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सडक़ योजनाओं का भौतिक सत्यापन और टेंडर के सभी लेन-देन का ऑडिट उच्चस्तरीय टीम से कराना चाहिए लेकिन जाँच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है।

प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के गांवों में बनाई गई सडक़ों में मापदंडों व नियम कायदों दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। चूँकि शहरी क्षेत्र की सडकों को प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना की परिधि से बाहर रखा गया है। और केवल गावं की ही सडक़े इस परिधि में है जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे है। सडक़ निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है साथ ही विधायक भी इस सम्बन्ध में बोल चुके हैं कि सडक़ बनाने में घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ है जो सडक़ की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है। ठेकेदारों ने अधिकारियो से मिली भगत करके सडक़ के निर्माण में मापदंडो को ठेंगा दिखते हुए कार्य किय है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन की लालच ने अधिकारियो के आंख-कान बंद कर दिया है और ठेकेदार घटिया निर्माण कर निर्माण लागत का बड़ा हिस्सा डकार रहे हैं। निर्माण एजेंसी की शर्तो के मुताबिक ठेकेदार पर कम से कम पांच वर्षो तह बनाई गई सडक़ों की मरम्मत की जिम्मेदारी भी होती है लेकिन एक बार ठेकेदार सडक़ बनाकर हटा फिर दोबारा उस ओर देखता तक नहीं है।गरियाबंद जिले में बड़ी अनियमितता गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में काफी अनियमितता होने की शिकायत आ रही है। गांववालों ने शिकायत भी की है लेकिन उनकी शिकायत पर कौन तवज्जो देता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना का मुख्य अधिकारी जो विगत 25 सालों से गरियाबंद में पदस्थ होने की जानकारी है। सरकार आयी गयी लेकिन अधिकारी अपने जगह से टस से मस नहीं हुए।

चार छह महीने को छोड़ दें तो बाकि सर्विस के पूरे समय वे यहीं जमे होने की जानकारी है। जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि को यह भी जानकारी मिली है कि उक्त अधिकारी की ठेकेदारों से तगड़ी सेटिंग है। जीएसबी और डब्ल्यूएमएम में मापदंडो की अवहेलना गोहरापदर से बनवापारा, गोहरापदर से सीनापाली और सीनापाली से मुझबहाल सडक़ों की ही तरह काडेकेला से छालडोंगरी और अमलीपदर से खरीपथरा सडक़ भी रखरखाव-मरम्मत के अभाव में निर्माण के चंद महीनों बाद ही खराब हो गई हैं और धंसकने लगी है। जगह-जगह डामर की परत भी उखड़ गई है। इन सडक़ों में जीएसबी और डब्ल्यूएमएम में हजारों घन मीटर क्रशर मेटल का उपयोग होना था लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि हजारों घन मीटर क्रशर मेटल के उपयोग के नाम पर चोरी की गई और करोड़ों रुपयों का सीधा-सीधा घोटाला किया गया।

क्वालिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी ने भी बिना देखे क्वालिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे दिए जो घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार को इंगित करता है। गांव वाले आम जनता ठेकेदार की दादागिरी और छुटभैय्ये नेताओं की दबंगई से डर कर विभाग से शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारी मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर ही कर देते हैं। अधिकारियों की नई दुकान यानी बिल्ली को दूध की रखवाली प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनाई गई सडक़ो की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए व्यवस्था भी है। जिसके अनुसार सडक़ बनाने वाले परियोजना अधिकारी जो जिला स्तर का होता है उसकी जिम्मेदारी होती है साथ ही उनके सहायता के लिए विभाग के ही सेवानिवृत अधिकारियो को शामिल किया जाता है लेकिन देखने में आता है कि ये अधिकारी भी ठेकेदारों से मिलकर लाखो रूपये वार ेन्यारे कर देते है। प्राय: प्रत्येक सडक़ का राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा कम से कम तीन बार निरीक्षण करना अनिवार्य है । सिर्फ ऐसी सडक़े जिनकी गुणवत्ता उच्च स्तर की हो, को ही मान्य किया जाता है। लेकिन देखने में आ रहा है कि ठेकेदारों पर इन अधिकारियो का लगाम नहीं है। जनता से रिश्ता के संवाददाता ने मौके पर जाकर इस बात की तस्दीक भी ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ किया है। सबने कहा कि सडक़े जो बनी है वह उच्च गुणवत्ता युक्त नहीं है।

जीएसबी और डब्ल्यूएमएनएस लेयर का अता-पता नहीं

जीएसबी और डब्ल्यूएमएनएस में हजारों घन मीटर क्रशर मेटल का उपयोग होना था लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि हजारों घन मीटर क्रशर मेटल के उपयोग के नाम पर चोरी की गई है और करोड़ों रुपयों का सीधा-सीधा घोटाला किया गया। क्वालिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी ने भी बिना देखें क्वालिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे दिए। जो घोर आश्चर्य की ओर इंगित करता है गांव वाले आम जनता ठेकेदार के दादागिरी से और छुटभैय्या नेताओं की दबंगई से डर के मारे विभाग ने शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारियों ने मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर कर देते हैं।

पुल-पुलियों का भी घटिया निर्माण

इस इलाके में बनाई गई सड़कों में बनाए गए पुलों का निर्माण भी घटिया स्तर का है। सड़कें बनकर तैयार हुई हैं और कई जगहों पर पुलियों में दरार नजर आ रही हैं। मटेरियल की मिक्सिंग भी अत्यंत दोयम दर्जे की है जिसके कारण पुल धंसकने भी लगे हैं। सड़कों पर पुराने पुलियों का नया निर्माण भी नहीं किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन पुल-पुलियो का नया निर्माण होना चाहिए था। कई सड़के तो ऐसी है जिसका मरम्मत आज तक नहीं हुआ है एक बार सड़क बनने के बाद ठेकेदार को कम से कम पांच साल मेंटेनेंस करना होता है लेकिन अधिकारियो से सेटिंग कर दोबारा उस ओर देखना तक मुनासिब नहीं समझते।

मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-

जो दिखेगा, वो छपेगा...

Next Story