छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: सरकारी खजाने में सेंधमारी

Nilmani Pal
12 Jan 2022 5:54 AM GMT
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: सरकारी खजाने में सेंधमारी
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  1. जनता का पैसा बरबाद, अधिकारी-ठेकेदारों की मिलीभगत
  2. उच्चाधिकारी आंख मूंदकर टेंडर शर्तों का उल्लंघन होते देख रहे
  3. सरकारी पैसों पर डाका- सड़क निर्माण हुआ ही नहीं, ना ही सड़क पर कार्य चल रहा
  4. एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन कर रह गई है। उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से मैदानी अफसर और ठेकेदार सरकारी खजाने को बेखौफ होकर लूट रहे हैं और सरकार व संबंधित विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। योजना में भ्रष्टाचार इस तरह गहरी जड़ जमा चूका है कि अधिकारी ठेकेदार को कार्य पूरा होने से पहले ही संपूर्ण भुगतान कर देते हैं और उनका बाल बांका नहीं होता। न तो निर्माण कार्य का लेखा-परीक्षण का कार्य पूरा होता है और न ही सड़क का भौतिक सत्यापन होता है लेकिन ठेकेदार को पूरा पेमेन्ट और अधिकारियों को उनका हिस्सा मिल जाता है। घटिया सड़क निर्माण और ठेकेदारों द्वारा निविदा शर्तों के उल्लंघन को लेकर संबंधित निर्माण क्षेत्र के नागरिक अधिकारियों से शिकायत करते रहते हैं लेकिन अधिकारियों-ठेकेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। जनता से रिश्ता लगातार राज्य में इस योजना के तहत बनाई गई सड़कों की दुर्दशा, घटिया निर्माण, ठेकेदारों की मनमानी और अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित करते आ रहा है, इसके बावजूद सरकार की नींद नहीं टूटना और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों-ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं होना दर्शाता है कि नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा सरकारी तंत्र ठेकेदारों के माध्यम से उपकृत हो रहा है, जिससे कोई भी जिम्मेदार वंचित नहीं रहना चाहता।

सड़क निर्माण अधूरा, लेकिन ठेकेदार को फुल पेमेन्ट

गरियाबंद जिले में पिछले दो साल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई अथवा बनाई जा रही सड़कों में भारी गड़बडिय़ा सामने आई है। जनता से रिश्ता इन सड़कों को लेकर खबर प्रकाशित करते रहा है। संबंधित विभाग ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में घुमरापदर-खोखमा सड़क को लेकर कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। जिसमें कई खामियां सामने आई हैं। सबसे हैरान करने वाली जानकारी यह है कि सड़क निर्माण कार्य प्रगति पर होने के साथ इसका लेखा परीक्षण भी नहीं होना बताया गया. बावजूद पूख्ता जानकारी के अनुसार इस सड़क निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार को पूर्ण भुगतान कर दिया गया है। जाहिर यह अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है। लेकिन संबंधित विभाग और सरकार को इतना बड़ा घपला नजर नहीं आता।

घुमरापदर-खोखमा सड़क निर्माण में भारी अनियमिता

घुमरापदर-खोखमा सड़क के निर्माण में भारी अनियमिता होने की शिकायत ग्रामीणों ने की थी। सड़कों के निर्माण में मापदंड का ध्यान नहीं रखा गया है। 8 लेयर के काम में केवल लेबल मेंटेन किया गया है। अंदर जंगल पहाड़ का मलमा डालकर ऊपर गिट्टी चढ़ाकर डामरीकरण कर दिया गया है। माइनिंग मटेरियल वन क्षेत्रों से लाया गया है क्रेसर गिड्टी का थोड़ा ही प्रयोग हुआ है प्राक्लन के अनुसार कार्य न होकर दूरस्थ अंचल का लाभ उठाया गया है। मुरम- पत्थर- लरटेराइट का अधिक प्रयोग हुआ है। अंत में कारपेट से सील कोट कर कार्य को अंतिम रूप दिया गया है 23 किलोमीटर के मार्ग में जिसमें 17 करोड़ की लागत में आधी लागत से घटिया निर्माण कर बिल की निकासी हो गयी है। जिले में योजना के तहर बन रही सड़कों में जमकर लूट-खसोट मची है। आदिवासी एवं दूरस्थ अंचल में सुविधाएं बढ़े और विकास का लाभ गरीबो तक पहुंचाने के सरकार के लक्ष्य को ठेकेदार और अधिकारी मिलकर बट्टा लगा रहे हैं। समूचे गरियाबंद जिले के भीतरी क्षेत्रों में हो रहे कार्यो की जांच जरुरी है ग्राम सड़क संभाग गरियाबंद के सभी कार्यों में व्यापक अनियमिता हुई है। अधिकांश भ्रष्टाचार व घोटालों में छुटभैये नेताओ की भी अधिकारियों-ठेकेदारों से मिलीभगत होने से किसी भी घपले पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है।

निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग

केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।

गुणवत्ता निरीक्षक भी कर रहे सिर्फ खानापूर्ति

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माणाधीन सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए गुणवत्ता निरीक्षक हर तीन महीने में जायजा लेते हैं, बाकायदा सरकार इसकी सूचना भी जारी करती है कि ये गुणवत्ता निरीक्षक इस तारीख को इस सड़क की गुणवत्ता जांच करेंगे, संबंधित शिकायत इनसे की जा सकती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि गुणवत्ता निरीक्षक भी अधिकारियों से कागजों पर सड़कों की स्थिति देखकर खानापूर्ति कर रहे हैं। सड़कों की गुणवत्ता जांचने न तो भौतिक सत्यापन करते हैं न लोगों की निर्माण कार्यो को लेकर राय लेते हैं। कार्यालय में ही अधिकारियों-ठेकेदारों के साथ बैठकर गुणवत्ता का प्रमाण बांट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। यही कारण है कि आज तक किसी अधिकारी-ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है न बड़ा जुर्माना लगाया है। प्रदेश में शिकायतों की भरमार के बीच एक भी सड़क दोबारा बनाए जाने का उदाहरण नहींं है। कोई सड़क अगर दोबारा बनी भी तो उसके लिए नए टेंडर कर दोबारा राशि स्वीकृत की गई तब जाकर सड़क दोबारा बनाई गई है।

निर्माण पूरा होने से पहले ही दम तोड़ रही सड़कें

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

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