- ओमीक्रोन आपदा को अवसर बनाने की तैयारी में अवैध कारोबारी
- 5-8 रुपए तक बढ़ाए दाम, 80-90 रुपए बिकने वाली अरहर दाल 110 रुपए किलो
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। कोरोनाकाल के बढ़ते मरीजों के साथ प्रदेश में लाकडाउन लगने की अफवाह फैलाकर कारोबारी आपदा को भी कमाई का अवसर बना रहे है। पिछले एक सप्ताह से कारोबारियों ने थोक में जमाकोरी शुरू कर दी है। बाजार से उपभोक्ताओं की जरूरत की सामग्री गायब ह चुकी है। आलू, प्याज सहित दाल, तेल, आटे की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। 5 से 8 रुपए तक प्रति किलो दाम बढ़ा दिए हैं। थोक में आलू 12 रुपए मिल रहा, जबकि चिल्हर में 25 रुपए तक बेच रहे है। प्याज 28 रुपए थोक में बिक रहा, जबकि चिल्हर व्यापारी 35 से 38 रुपए में ग्राहकों को बेच रहे है। गुटखा व गुड़ाखू तो बाजार से गायब ही हो गए हैं। लोग खाद्य विभाग के अफसरों को शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन अफसर न तो जांच कर रहे और न ही किराना सामान के भाव नियंत्रित कर पा रहे हैं।
प्रदेशभर में कोरोना संक्रमित मरीज अचानक से बढ़े है। ऐसे में लॉकडाउन की आशंका से लोग चिंतित हैं। जमाखोर इस आपदा को अवसर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। राशन सहित अन्य सामान की कालाबाजारी व जमाखोरी शुरू हो गई है। बाहर से सामान नहीं आने की बात कहकर जमाखोरी कर रहे हैं और लगातार जरूरी सामान के भाव बढ़ाते जा रहे हैं। 80-90 रुपए प्रति किलो की अरहर दाल 110 रुपए किलो तक बिक रही है।
तय नहीं किए भाव, इसलिए दाम बढ़े
किराना के चिल्हर व्यापारी ने बताया कि आलू, प्याज, दाल और खाने का तेल थोक व्यापारियों के पास पर्याप्त है, लेकिन बाहर से सामान नहीं आने का हवाला देकर जमाखोरी व कालाबाजारी कर रहे हैं। इसका मुख्य वजह प्रशासन ने भाव तय नहीं किए है।
अफवाह के चलते गुड़ाखू की जमाखोरी
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते शासन ने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है। पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं लॉकडाउन की आशंका के चलते जमाखोरों ने कालाबाजारी भी शुरू कर दी। इसका नजारा साप्ताहिक बाजार में भी देखने को मिला। लॉकडाउन की अफवाह के चलते 6 रुपए में बिकने वाला गुड़ाखु 15 रुपए तक बिका। वहीं 220 रुपए में एक पुड़ा की जगह 500 रुपए तक लोगों ने खरीदा। वहीं गुटका भी दो से तीन गुने रेट में बिका। बाजार में गुड़ाखु की जमाखोरी साफ दिखाई दी। विक्रेता ग्राहक देखकर रेट तय कर गुड़ाखु बेच रहे है।