छत्तीसगढ़

राजनीतिक संरक्षण से अपराधियों के हौसले बुलंद...

Admin2
7 July 2021 6:18 AM GMT
राजनीतिक संरक्षण से अपराधियों के हौसले बुलंद...
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सीएम-एचएम, डीजीपी सब कह रहे-अपराध रोको... दो कौड़ी के छुटभैय्ये नेता पार्टी और सरकार की साख पर लगा रहे बट्टा

दीगर प्रदेशों से आए अनजान लोग दो कौड़ी के नेताओं के पिछलग्गू बनकर अवैध कारोबारों-अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, इससे पार्टी और सरकार की बदनामी हो रही...

अतुल्य चौबे

रायपुर। जब किसी प्रदेश के पुलिस विभाग के मुखिया को यह कहना पड़े कि अपराध रोको नहीं तो निपटा दूंगा...इससे उस प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति को समझा जा सकता है। हालात यह है कि राजधानी सहित पूरे प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। समीक्षा बैठकों में पहले गृहमंत्री फिर मुख्यमंत्री ने भी जुआ-सट्टा जैसे अवैध धंधों और अपराधों पर रोक लगाने पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिए। पुलिस लगातार कार्रवाई भी कर रही है। वारदात होते ही अपराधी पकड़े जा रहे हैं बावजूद अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अपराधी और अवैध कारोबारी बेखौफ होकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। कानून का जरा भी डर अपराधियों को नहीं रहा। इसके पीछे मुख्य वजह अपराधियों और अवैध धंधेबाजों को मिल रहा राजनीतिक संरक्षण है, जिसके दम पर ही अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और उन्हें कानूनी कार्रवाई का बिल्कुल भी डर नहीं है। कार्रवाई होते ही उनके संरक्षक छुटभैय्ये नेता सक्रिय हो जाते हैं और खुद को बड़ा बताकर पुलिस थाने से ही मामले को सलटाने और मामूली धाराओं के तहत कार्रवाई करवाकर आरोपियों को मुचलके पर छुड़ाने का खेल शुरू कर देते हैं। बड़े मामलों में ऐसे छुटभैय्ये नेता जिनकी नेतागिरी ही अपराधियों और अवैध कारोबारियों के दम पर चलती है वे अपने वरिष्ठ नेताओं का डर दिखाकर पुलिस के बड़े अधिकारियों से भी दबाव डलवाकर अपने समर्थक आरोपियों को छुड़वा लेते हैं। पुलिस राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर जब कार्रवाई करेगी तभी अवैध कारोबारों के साथ गली-मोह्ल्लों में सक्रिय अपराधियों पर नकेल कसा जा सकेगा।

पार्टी और सरकार की साख पर बट्टा

दरअसल सत्ता परिवर्तन के साथ ही ऐसे छुटभैय्ये और दो कौड़ी के नेताओं की बाढ़ आ गई है जो खुद को सत्ताधारी दल का नेता बताकर अपराधियों और अवैध कारोबारियों की मदद से अपनी राजनीति चमका रहे हैं। ऐसे नेता जिसका कांग्रेस से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा वे अलग-अलग दलों और संगठनों से आकर स्वयं को कांग्रेसी बताने लगे हैं और सत्ताधारी दल का नेता का ठप्पा लगाकर अपराधियों और अवैध धंधा करने वालों को न सिर्फ प्रोत्साहन दे रहे है बल्कि उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी दे रहे हैं। ये दो कौड़ी के नेता खुद को सत्ताधारी दल के बड़े नेता और पदाधिकारियों का करीबी बताकर पुलिस में दबाव बनाते हैं और अपराधियों-अवैध कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से उसे रोकते हैं। ये छुटभैय्ये नेता इन्ही अपराधियों के दम पर अपनी राजनीति चलाते हैं और ठगी-वसूली जैसे कार्य भी करवाते हैं। ऐसे ही नेता पार्टी और सरकार की साख को बट्टा लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री को थानों में दबाव बनाने वाले नेताओं को चिन्हित करवाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए तभी पुलिस अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकेगी।

गुंडे-मवालियों के हौसले बुलंद

राजधानी सहित पूरे प्रदेश में गुंडे-मवाली कानून का मखौल उड़ा रहे हैं। चाकूबाजी, मारपीट, लूट जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसी गतिविधियों में लिप्त अनेक अपराधी खुद को सत्ताधारी दल का बताकर मोहल्ले में आतंक मचाते हैं। इनका हौसला इतना बढ़ गया है कि वे किसी को भी अपना निशाना बनाने लगे हैं। गली-मोहल्लों में छोटे-छोटे विवादों पर मारपीट-चाकूबाजी आम हो गई है। राजधानी से लगे खरोरा इलाके में सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता के भतीजे से मारपीट की घटना से साफ है कि अपराधियों को किसी का भी खौफ नहीं है और वे किसी पर भी हमला कर सकते हैं। ये हालात बताते हैं कि ऐसे अपराधियों के पीछे किसी-न-किसी ऐसे व्यक्तियों का संरक्षण होता है जो इन्हें पुलिसिया कार्रवाई से बचाने भरोसा देता है और इनके दम पर अपना निजी स्वार्थ पूरा करता है।

जुआ-सट्टा के धंधे में कई नेता लिप्त

राजधानी में लगातार कार्रवाई के पीछे जुआ-सट्टा पर लगाम नहीं लगने के पीछे एक कारण कई नेताओं के इन धंधों में लिप्त होना है। राजधानी के कई इलाकों में इनके अडडे चल रहे हैं। जिसे या तो ये स्वयं हेंडल करते हैं या उनके समर्थक। कई नेता अपने इलाके में सक्रिय सटोरियों और जुआ का फड़ चलाने वालों धंधा चलाने में परोक्ष रुप से मदद पहुंचाते हैं। पुलिस और इलाके के थानेदारों को भी इसकी पूरी जानकारी है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। कभी कार्रवाई होती भी है तो छोटे गुर्गो को पकड़ कर खानापूर्ति कर दी जाती है। जमानती धारा होने से उन्हें थाने अथवा एसडीएम कोर्ट से जमानत मिल जाती है और उसके बाद धंधा फिर से शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं जुआ-सट्टा और नशे के बड़े धंधेबाजों और तस्करों को भी ऊंचे स्तर पर राजनीतिक संरक्षण मिलता है जिसके चलते ही ये खुलेआम पुलिस के नाक के नीचे अपना धंधा चलाते हैं।

नेतागिरी की आड़ में ठगी-वसूली भी कर रहे

सत्ताधारी दल से जुड़े होने का लोग कई तरह से फायदा उठाते हैं। चंदा, नौकरी या काम करवाने के नाम पर ठगी, वसूली करना आम है। ऐसे ही लाभ लेने के लिए कई अपराधी किस्म के छुटभैय्ये और दोयम दर्जे के नेता सत्ताधारी दल से जुड़ते हैं। ऐसे नेताओं का काम ही होता है लोगों को लुभाना और लालच देकर उनसे आर्थिक लाभ लेना। लेकिन जब पार्टी के बड़े पदों पर काबिज नेता इस तरह के कृत्य करते हैं तो इसे पार्टी लीडरों की नाकामी और कार्यकर्ताओं पर उनकी ढीली पकड़ से जोड़कर देखा जाना चाहिए। भिलाई में युथ कांग्रेस के दो बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ ठगी के आरोप में एफआईआर दर्ज होना इसी ओर संकेत करता है। इससे सरकार की बदनामी तो होती ही है लोगों में यह संदेश भी जाता है कि इस सरकार ने अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं को मनमानी करने की खुली छुट दे दी है।

पार्किंग-नुक्कड़ में भी दादागिरी

अपराधियों के हौसले अब इतने बुलंद हो चुके है कि हर जगहों पर पार्किंग के नाम पर वसूली का काम शुरू कर दिया है, लोगों के सवाल पूछे जाने पर पार्किंग की फीस ले रहे है ऐसा बहाना बनाकर ये अपराधियों के गुर्गे आम जनता को परेशान कर रहे है। अब अस्पतालों के बाहर सायकल, बाइक, कार पार्किंग का ठेका लेने वाले लोग अपराधियों का खौफ दिखाकर लोगों से अवैध वसूली करने में लगे हुए है। जिला अस्पताल कालीबाड़ी में भी आज एक पत्रकार के साथ पार्किंग के सुपरवाइजऱ ने बदतमीजी से बात करते हुए अस्पताल में धमकी दी। ऐसे पार्किंग में बैठने वाले लोग अपराधियों से ही जुड़े हुए होते है। ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

नए कार्यकर्ता पर नकेल कब

कांग्रेस जब सत्ता में आई तो बड़े पैमाने पर लोगों ने कांग्रेस का दामन थामा। कई दूसरे दलों और संगठनों से पार्टी में शामिल हुए। कई नए कार्यकर्ता भी जुड़े। इस दौरान पुराने कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों की बैठक में पार्टी नेतृत्व को इनकी सूची सौंपकर इनके पुराने और वर्तमान गतिविधियों की जानकारी से अवगत कराने का निर्णय लिया गया था। प्रदेश नेतृत्व को सूची सौंपी भी गई। लेकिन संगठन स्तर पर कांग्रेस के दामन थामने वाले ऐसे कार्यकर्ताओं-नेताओं की जो आपराधिक छवि के थे या जिनकी गतिविधियां संदिग्ध थी उन पर नजर नहीं रखी जा रही है। परिणाम पार्टी के निचले स्तर के नेता-कार्यकर्ता ठगी-वसूली, चंदाखोरी में लिप्त हैं। कुछ बड़े स्तर के नेता इन्हें प्रोत्साहन और संरक्षण भी दे रहे हैं। इनकी गतिविधियों से सरकार और पार्टी की बदनामी हो रही है।

डीजीपी को भी कहना पड़ा-

'तंबू में जुआ चल रहा है और आप समझते हैं डीजीपी को पता नहीं..

डीजीपी डीएम अवस्थी ने आज समीक्षा बैठक में सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को जुआ, सट्टा, अवैध शराब के कारोबार के विरुद्ध ऑपरेशन क्लीन चलाने के निर्देश दिए। डीजीपी डी एम अवस्थी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए अपराधों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में सभी आईजी और एसपी मौजूद रहे। उन्होंने सभी प्रकार के अवैध कारोबार पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि- 'जिलों में तंबू लगाकर जुआ हो रहा है और आप समझते हो डीजीपी को पता नहीं है, तो बच्चे हो आपÓ उन्होंने आगे कहा- ऐसा पाये जाने पर संबंधित जिले के एसपी जिम्मेदार होंगे साथ ही समन्धित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। डीएम अवस्थी ने सभी पुलिस अधिकारियों से कहा कि 'थोड़े कहे को ज्यादा समझिएÓ। उन्होंने कहा कि महिला विरूद्ध अपराधों पर तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए। महिला एवं बाल विरुद्ध अपराधों के लिए बनाई गई सेल शीघ्रता से कार्रवाई करें। जिससे महिला विरुद्ध अपराधों को रोका जा सके। शहर के ऐसे इलाके जो सुनसान हो एवं जहां छेडख़ानी की घटनाएं अधिक होती हों, वहां पर महिला पुलिस अधिकारियों की ड्यूटि लगायें।अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस अधीक्षक स्वयं ऐसे पुलिसकर्मियों की ड्यूटि लगायें जिनका सूचना तंत्र मजबूत हो। डीजीपी ने चिट फण्ड प्रकरणों में शीघ्र कार्यवाही के निर्देश दिये। चिटफंड कम्पनी के संचालकों के विरुद्ध सख्त कारवाई के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि सायबर अपराधों पर तत्काल कार्रवाई करें। पुराने प्रकरणों को शीघ्रता से जांच कर निराकरण के निर्देश दिए। श्री अवस्थी ने विभागीय जांचों के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए। बैठक में आईजी गुप्तवार्ता डॉ. आनंद छावड़ा, डीआईजी सीआईडी हिमानी खन्ना, एआईजी राजेश अग्रवाल, एआईजी यूबीएस चौहान उपस्थित रहे।

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