पुलिस की जांच हुई तेज, अवैध कब्जाधारी पर कसेगा शिकंजा
अवैध कब्जाधारी पुलिस के पहुंच से दूर, निजी भूमि में पट्टा देने वाले अधिकारी और नेता जाएंगे जेल
बैजनाथपारा के निवासी अवैध वसूली और गुंडागर्दी से त्रस्त
अपनी जमीन को औने-पौने दाम में बेच कर अन्य जगह पर बसने मजबूर
रात को 2 बजे तक खाना दारू , अफीम , चरस, सट्टापट्टी और अन्य नशे के सामान आसानी से उपलब्ध
कांग्रेस सरकार के दौरान निजी ज़मीन पर सरकारी पट्टा गैरकानूनी
रायपुर। कांग्रेस की सरकार में रसूखदारों ने अधिकारियो से मिलकर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से निजी जमीन का पट्टा बाँटा गया। पुरे प्रदेश में ऐसा खेल खेला गया। ऐसा ही मामला बैजनाथपारा चिनार टेलर के सामने मेन रोड की जमीन का भी हुआ है। सीनियर सिटीजन रिजवान सिद्दीकी की निजी जमीन का भी पट्टा अवैध रूप से जारी करवा दिया गया और पचास रूपये के स्टाम्प पेपर में खऱीदीनामा बनाकर उक्त करोड़ों की बेशकीमती जमीन को हथिया लिया। जमीन मालिक को ऊँची पहुँच की धौंस दिखाकर चुप रहने बोला जा रहा है। वैसे नियमत: यदि त्रुटिवश प्रशासन द्वारा पट्टा जारी होता है तो जमीन मालिक के शिकायत पर स्वमेव उक्त पट्टा निरस्त माना जाता है लेकिन ऊँची पहुँच के बल पर अभी तक उक्त जमीन का पट्टा न तो निरस्त हुआ है और न ही अवैध कब्ज़ा करने वालो को बेदखल किया गया है। जबकि कोर्ट का आदेश भी है की उक्त जमीन की असली मालिक रिजवाना सिद्दीकी ही है। बैजनाथपारा की उक्त जमीन पर बालात कब्जा का मामला उच्च् न्यायालय छग बिलासपुर स्थगन आदेश तथा स्थानीय न्यायालय के आदेशों के बाद भी मुतवल्ली अशफाक कुरैशी कब्ज़ा जमकर रखा हुआ है
भूमिगत होने की जानकारी: सूत्रों से जानकारी मिली है कि अवैध कब्जाधारी को पुलिस ढूंढ रही है लेकिन अभी तक पुलिस के पकड़ में नहीं आया है। मुतव्वली जैसे गंभीर जिम्मेदार पद पर आसीन अशफाक कुरैशी उर्फ डाक्टर आत्मज शफीक कुरैशी ने अपने पद की गरिमा को तहस-नहस करते हुए बैधनाथपारा स्थित रीजवाना सिद्दीकी पैतृक जमीन जो मदरसा रोड विनार टेलर के सामने स्थित जमीन को कब्जा कर निर्माण कार्य करवा लिया है। अशफाक कुरैशी शहर के कुछ नामचीन रसूखदारों के इशारों पर जमीन पर कब्जा करने का खेल कर रहे है।
पीडि़ता रीजवाना सिद्दीकी ने थाना सिटी कोतवाली में लिखित में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि वार्ड 41 बैजनाथपारा में मकान लं. 7/343 व 7/348 जो कि वर्तमान खंडहर है उसे पंजीकृत वर्णित भूमि पर उच्च् न्यायालय बिलासपुर का स्टे आर्डर पारित कर न्यायालय को प्रकरण संप्रेसित कर दिया है। रिजवाना सिद्दीकी ने बताया कि उक्त वर्णित भूमि पर अशफाक कुरैशी उर्फ डाक्टर आत्मज स्व. शफीक कुरैशी बिना अनुमति के नगर निगम की नाली के पीछे मेरी वर्णित भूमि पर साफ सफाई करा कर नींव खोदने का काम जेसीबी के माध्यम से दिनांक 28 अक्टूबर 24 को काम शुरू कर अब उक्त भूमि पर शटर भी लगा लिया है। यह भी जानकारी मिल रही है की अवैध कब्जाधारी मुतवल्ली अशफाक कुरैशी उफऱ् डाक्टर पिता स्व शफीक कुरैशी लाल बादशाह की ओर से अभी तक संपर्क नहीं किया गया है बल्कि फरार होने की भी जानकारी मिल रही है। पुलिस द्वारा लगातार खोजबीन करने की भी खबर है। शायद अशफाक कुरैशी शहर के कई बड़े रसूखदारौं और पहुंच वालों से जुड़े है इसलिए पुलिस जल्दी एक्शन नहीं कर रही है। रीजवाना सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि इस कब्जे के पीछे कुछ नामचीन लोगों की शह है जिसके कारण धरम इमान का काम करने वाला मुतव्वली उनके झांसे में आकर बेइमानी पर उतर आया है।
रीजवाना सिद्द्की ने बताया कि हमने अपनी पैतृक जमीन को सुरक्षा की दृष्टि से उत्कल समाज के 11 लोगो को वहां बने झोपड़ी में रहने दिए थे, उन्हें इन रसूखदारों ने मिलकर सबको कुछ पैसे तथा मकान देकर वहां से हटा दिया है और पचास रूपये के स्टाम्प पेपर में हस्ताक्षर करवाकर भगा दिया है। जबकि उन्हें खाली कराने रेंट कंट्रोल रायपुर व सिविल कोर्ट रायपुर में प्रकरण लंबित है। तथा न्यायालय प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग -1 के पंचम अतिरिक्त न्यायाधीश रायपुर व्दारा मेरे प्रस्तुत आवेदन अंर्तगत आदेश 31 नियम 1 व 2 को स्वीकार करते हुए उक्त वादग्रस्त मकान पर अशफाक कुरैशी उर्फ डाक्टर के विरूद्धअस्थायी निषेधाज्ञा 15 फर. 2022 को व्यवहार वाद क्रमांक 44अ/20222 व्दारा दिया गया एवं अशफाक कुरैशी उर्फ डाक्टर को उक्त मकान में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप करने से निषेधित किया गया है। उच्च् न्यायालय छग बिलासपुर स्थगन आदेश तथा स्थानीय न्यायालय के आदेशों के उपरांत कोरोना का लाभ उठाते हुए न्यायालयों के आदेशों का अवमानना करते हुए रातोरात वर्णित झोपड़ों को ध्वस्त करा दिया गया है। उपरोक्त ज़मीन पर पूर्व से बने झोपडिय़ों किराएदारों को ज़मीन मालिक ने किराया पर दे रखा लेकिन पिछली सरकार में नेतागिरी का झोपडिय़ों को पट्टे अवैध रूप से आवंटित किया गया फिर उपरोक्त पट्टों को अशफाक द्वारा खऱीदा जाना बताता है छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के अंतर्गत किसी की भी निजी भूमि पर सरकार द्वारा गलती से पट्टे बाँटे जाते उसे भी अवैध माना गया है और राजस्व प्रकरण में अधिकांश निजी भूमि में बाँटे गए पट्टे विगत कई सालों से निरस्त माने गए।