- जीपी सिंह के एहसानों के तले दबे अधिकारी लोकेशन ट्रेस होने के बाद भी खामोश बैठे हैं
- जीपी सिंह को ढूंढने का दिखावा कर रही पुलिस, पकडऩा दूर की बात
- जीपी सिंह को पकडऩे के लिए पुलिस में इच्छा शक्ति की कमी
रायपुर (जसेरि)। पुलिस के पीछे पुलिस, आगे पुलिस पीछे पुलिस, यह कोई फिल्मी जुमला नहीं है। यह जुमला छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जीपी सिंह के ऊपर सटिक बैठता है, ये कारनामा इन्होंने कर दिखाया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जीपी सिंह राजधानी रायपुर में एसपी, आईजी और ईओडब्ल्यू के प्रमुख रहे है और उसके अलावा पुलिस विभाग में विगत 18 सालों में अलग-अलग प्रकरणों में बड़े कारनामें करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसी के चलते विभाग में सभी अधिनस्थ सहयोगियों और अधिकारियों के वे चहेते बने। यहां तक की कुछ वरिष्ठ टीआई स्तर के अधिकारीगण भी जीपीसिंह के एहसानों के तले दबे है। इसलिए लोकेशन ट्रेस होने के बाद भी जीपी सिंह को तलाशना उन सभी पुलिस अधिकारियों के लिए असंभव सा है जो कभी न कभी जीपी सिंह के अधिनस्थ रहकर काम किया और कृपा पात्र रहे। सूत्रों से जानकारी आ रही है कि जीपी सिंह को छग पुलिस के अधिकारी जब दिल से चाहेंगे तब ही किसी भी पल 24 घंटे के अंदर बयान लेने की कार्रवाई पूरी कर सकते है। जानकारी के अनुसार जीपी सिंह छत्तीसगढ़ में ही अपने सुरक्षित ठिकाने को सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थल मानकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, और जब भी ऊपर से दबाव पड़ती है अधिनस्थ कर्मचारी एवं सहयोगी जीपी सिंह को सूचित कर अलर्ट कर देते है कि हम दबिश देने आ रहे कृपया अपना स्थान बदल लें. इस कार्य में उनका सहयोग करने में उनके पुराने मुखबिर तंत्र एवं नेता और व्यापारीगण तन-मन-धन से कर्तव्य पालन कर रहे है। डर ये भी सता रहा है, सभी मातहत पुलिस अधिकारियों को कि आने वाले सालों में जीपी सिंह की वापसी होने पर कई सालों तक उनके साथ उनके अधिन कार्य करना है। इसलिए अधिकांश अधिकारीगण दहशत के मारे खबर होने के बावजूद जीपी सिंह के पास दबिश और दबाव डालने में डर रहे है।