छत्तीसगढ़

रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने चलाई थी गोलियां, 17 मजदूरों की बिछी थी लाश

Shantanu Roy
1 July 2022 1:59 PM GMT
रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने चलाई थी गोलियां, 17 मजदूरों की बिछी थी लाश
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भिलाई। देश के कई रेलवे स्टेशनों पर गोली की बात आपने सुनी और पढ़ी होगी। सबसे भयानक गोली कांड भिलाई पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन पर हुआ था। एक नहीं बल्कि 17 मजदूर पुलिस की गोलियों से छलनी कर दिए गए थे। इस कांड को तीन दशक यानी 30 साल बीत चुके हैं, लेकिन परिजनों और श्रमिक संगठनों का जख्म आज भी हरा है…। पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बरसी मनाई जा रही है। लाइन से 17 मजदूरों की फोटो लगी हुई है…। स्टेशन पर उतरने वाले यात्री भी यह देखकर अवाक हैं…। श्रद्धांजलि देने वालों की कतार लगी हुई है। सरकार बदली, सत्ता बदला लेकिन व्यवस्था नहीं बदली। आज भी मजदूरों की हालत बदहाल है। शोषण बदस्तूर जारी है। अविभाजित मध्य प्रदेश के भाजपा के कद्दावर नेता व तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के शासन काल में 1 जुलाई 1992 को गोली कांड हुआ था। भिलाई एवं आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर अपनी बुनियादी मांगों को लेकर लगातार हड़ताल कर रहे थे।

सीटू के सहायक महासचिव टी.जोगा राव बताते हैं कि इन मजदूरों का नेतृत्व शंकर गुहा नियोगी कर रहे थे। लेकिन शंकर गुहा नियोगी की हत्या के बाद मजदूर आंदोलन और तेज हुआ। उस आंदोलन को लेकर लगातार उद्योगपतियों द्वारा मजदूरों की मांगों पर गुमराह किया जा रहा था। इससे आक्रोशित मजदूरों ने 1 जुलाई 1992 की सुबह से रेल पटरी पर बैठ गए। इसके पूर्व कई बैठकों का दौर चला, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला। और मजदूरों ने अपनी मांगों को पूरा होते तक पटरी पर बैठने का निर्णय लिया। शाम होते-होते कुछ एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद पूरा आंदोलन आक्रामकता और दिशाहीन हो गया। पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। इसके कुछ ही देर बाद पुलिस फायरिंग में 16 मजदूरों की मौत मौके पर हो गई, जबकि एक मजदूर की मौत इलाज के दौरान हुई।
इस गोलीकांड के हुए 30 वर्ष बीत गए, लेकिन आज भी उन परिजनों का जख्म हरा है। आंदोलनकारी मजदूर आज भी अपनी मांग पूरी होने की आस में संगठित हैं। पूरे छत्तीसगढ़ से बसों में भरकर विभिन्न मजदूर संगठनों के लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने घटनास्थल पर पहुंचे। देखा जाए तो इन 30 वर्षों में कुछ भी नहीं बदला…। इस घटनास्थल से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर भिलाई इस्पात संयंत्र है और आज भी यहां पर मजदूरों का शोषण होता है। इसके लिए आंदोलन भी होते रहे और आंदोलन करने वाले नेताओं पर ठेकेदारों द्वारा कातिलाना हमला तक किया गया। सीटू ठेका यूनियन के महासचिव योगेश सोनी इसके गवाह हैं।
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