- राजधानी में सेटिंग से चल रहा खुलेआम सट्टा, वन-टू का फोर, फोर टू का वन वाले घर-घर बांट रहे चुकारा
- घर बैठे और आनलाइन सट्टा का कारोबार पूरे शबाब पर
- पुलिस को वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी,गली-मोहल्ले में सटोरियों ने पैर पसारा
- सटोरिये ठीहे छोड़कर चलते-फिरते भी खिला रहे ऑनलाइन सट्टा
- छुटभैये नेताओं के दबाव से कार्रवाई करने में पुलिस की छूट रहे पसीने
- मिलीभगत से इंकार नहीं
पिछले 50-60 सालों में पुलिस ने इतना गांजा नहीं पकड़ा जितना जनता से रिश्ता की खबर के बाद पकड़ा गया
रायपुर में नशे के कारोबार जमाने वाले रवि साहू-आसिफ ड्रग गैंग बेखौफ
रायपुर सहित पूरे छग में नशे के कारोबार को स्थापित करने वाले रवि साहू और आसिफ पुलिस के कार्रवाई से बेखौफ हैं। छुटभैय्ये नेताओं से नजदीकी के कारण पुलिस भी कार्रवाई करने में पीछे रहती है। नारकॉटिक्स सेल बनने के बाद ऐसा महसुस हो रहा था कि नशे की कारोबारी सरेंडऱ हो जाएंगे लेकिन छोटी मछली को ही पकड़ा जा रहा है, बड़ी मछलियों पर पुलिस हाथ ड़ालने से कोसो दूर है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। पुलिस राजधानी को नसा मुक्त करने की मुहिम में जी जान से जुट गई है। पुलिस की इसी व्यवस्तता का फायदा सटोरिए उठा रहे है। पुलिस नशे के सौदागरों के पीछे पड़ी हुई है और उधर शहर में सटोरिये का कारोबार बेखौफ फल-फूल रहा है। राजधानी के हर इलाके में सट्टे का कारोबार निरंतर चलते जा रहा है, रोजाना पुलिस ऐसे आरोपियों पर कार्रवाई कर रही है लेकिन उसके बाद भी शहर में सट्टे का कारोबार बंद नहीं हो रहा है। वही अब जिले में ऑनलाइन सट्टे का कारोबार भी जोरो पर चल रहा है। रोजाना दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से ऑनलाइन सट्टा खिलाया जा रहा है। रायपुर के भी कई ऐसे होटल है जहा बुकियों ने अपना अड्डा बना लिया है लेकिन उन तक पुलिस पहुंच नहीं पाती। रायपुर में इस समय भारी मात्रा में गांजा, अफीम,चरस, ब्रॉउन शुगर और नशे के अन्य सामान पकड़ में आ रहा है पुलिस चारो ओर तगड़ी नाके बंदी कर तस्करो को पकड़ रही है लेकिन नशे के सामानो की सप्लाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। वीआईपी सुरक्षा से बचे पुलिस के जवान और अधिकारी नशेडिय़ों के धर पकड़ में लगी है। पिछले एक महीने में एक के बाद एक हुई हत्या ने राजधानीवासियों को टेंशन में ला दिया है। और पुलिस पर भी दबाव बना हुआ है की किसी भी तरह से नशे के कारोबार पर अंकुश लगाया जाय। पुलिस भी जी जान से इनके पीछे पड़ी हुई है और का फायदा राजधानी के सटोरिये और खाईवाल उठा रहे हैं। चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आज-कल कानून की ढीली पकड़ की वजह से बड़े खाईवालों के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे ऐसा ही लगता है कि खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। छुटभैय्या नेताओं की पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुलेआम शहर में संचालित हो रहा है।
खुलेआम संचालित हो रहा सट्टा
शहर में खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। खुलेआम चले रहे इस कारोबार पर न तो पुलिस की नजर है और ना ही वह इस पर लगाम कसने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि यह कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है।राजधानी में नेहरूनगर, कालीबाड़ी, मोमिनपरा, कोटा, गुढिय़ारी, अशोक नगर , रामनगर, पंडरी, रामकुंड, आश्रम, शंकरनगर, समताकालोनी, फाफाडीह, स्टेशन के आसपास, के आलावा शहर पॉश ऑनलाइन सट्टा कारोबार से जुड़े सक्रिय सदस्य सट्टा लगाने वाले को नहीं जानते। वह केवल उनके खाते को जानते हैं। इसके बाद सट्टेबाज उनका खाता नंबर लेता है। ताकि सट्टा हार जाने के बाद वह रुपये देने से मुकरे तो सीधे उसके खाते से ऑनलाइन रुपये निकाल लिया जाता है।
सट्टे में सब सेटिंग का खेल
पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। कालोनियों में भी सटोरिये सक्रीय हैं। बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती। पुलिस के मुताबिक क्रिकेट का सट्टा ओवर, चौका, दक्का, रन और खिलाडिय़ों के आउट तथा टॉस में भी लगाया जाता है। इसके अलावा मैच के दौरान टीमों के जीत-हार के प्रतिशत पर भी सट्टा लगाते हैं।
सट्टेबाजों के हौसले बुलंद
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो सट्टा व्यापार के लालच में फंसकर कई लोग अपनी किस्मत आजमाते है। बाद में इसमें फंसकर अपना सब कुछ भी गवां बैठते है। पुलिस इस अवैध कारोबार में लिप्त लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, कार्यवाही न होने की वजह से इस गोरखधंधे पर पूरी तरह अंकुश नही लग पा रहा है और अवैध कारोबार में लिप्त गिरोह के लोगो के हौंसले बुलंद हैं। शहर में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक लोग फोन पर अपना नंबर बताते लिखवाते हैं और नंबर आने पर इन्हीं सट्टा खाईवाल एजेंटों के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया जाता है। सट्टे का व्यापार जोरों पर शहर में सट्टे का कारोबार का संचालन जोरो पर है। सूत्रों की माने तो छुटभैय्या नेता और स्थानीय लोगों की मदद से जुएं एवं सट्टे का कारोबार चल रहा है।
राजधानी बनी सटटा का गढ़
राजधानी को हर कारोबार कामयाबी मिली है, जिसमें सट्टा के कारोबार में सटोरियों को सबसे ज्यादा कामयाबी मिली। आईपीएल हो या न हो देश -विदेश में चल रहे क्रिकेट पर दांव हर रोज लग रहो है।जिसमें सटोरिए अऔर बड़े खाईवाल मालामाल हो रहे है। वहीं लगाने वाले नंबरों के फेर में उलझ गए है। सुबह से शाम तक ओपन-टू-क्लाज के फेर में दीवानों की तरह भटक रहे है। ,टोरियों के ठिकानों को आसपास दांव लगाने वालों की भीड़ लगी हुई है। रायपुर में तो सट्टा खानदानी बिजनेस में शामिल हो चुका है। जो पिता के बाद पुत्र इस कारोबार को बखूबी अंजाम दगे रहा है। गुर्गों की टीम सटोरिया- खाईवाल और सट्टा खेलने वाले लोगों से विश्वनीय संपर्क बनाकर घर में जाकर सट्टा लिख लेता है और चुकारा भी घर पहुंचा रहे है। समय से यह कारोबार का संचालन किया जा रहा है लेकिन यहां तक वर्दीधारियों की पहुंच नहीं हो पा रही है और यही कारण है कि स्थानीय लोगों की मदद से सट्टा का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है। सट्टे में पर्ची व ताश के पत्ते के सहारे सट्टे का खेल कुछ जगह पर लंबे समय से चल रहा। सट्टे के इस बाजार में जाने वाला हर व्यक्ति अपनी जेब ढीली कर रहा है। दिनों दिन बढ़ते इस कारोबार में सट्टा संचालक मोटी रकम हासिल कर रहे हैं, जिन्हें पुलिस का जरा भी खौफ नहीं है। बढ़ते सट्टे व जुए के कारोबार के चलते आस पास के लोग काफी परेशान हैं।
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