- शुल्क लेकर भी नहीं देते दस्तावेज
- छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भारी भ्रष्टाचार
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर एक ओर जहां सरकार आंखे मुंदे हुए है वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की मनमानी और बेखौफ भ्रष्टाचार में संलिप्तता से ठेकेदार भर-भरकर सरकारी धन को लूट रहे हैं। कमीशन से तिजोरी भर रहे अधिकारी इतने बेखौफ है कि वे सूचना के अधिकार का भी खुला उल्लंघन कर न सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराने बच रहे हैं बल्कि शुल्क जमा करने के बाद भी दस्तावेज देने में आनाकानी कर रहे हैं। किसी मामले में अगर जानकारी दी भी जाती है तो वह भी झूठी और गोलमोल होती है। कमीशन से उच्चाधिकारियों और मंत्रियों की डिमांड पूरा कर ये अधिकारी सरकारी प्रावधानों और नियम-कायदों की भी अनदेखी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के कमोबेश सभी जिलों में फ्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाए जा रहे हजारों किमी सड़कों में मापदंडों और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। निर्माण कार्यो की मानिटरिंग करने वाले अधिकारी भी मैदानी अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा उपकृत होकर निर्माण कार्यों को मापदंडों के अनरूप बता कर घटिया और दोयम दर्जे के निर्माण कार्यों पर परदा डाल रहे हैं। पूरा सिस्टम मिलकर सरकारी धन का बंदरबाट करने में लगा है।
सड़कों के निर्माण के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं निर्माण पश्चात पांच साल उसके रख-रखाव की भी जिम्मेदारी ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों की है जिसका पालन नहीं हो रहा है। एक बार सड़कें उखडऩे के बाद उसकी मरम्मत नहीं हो रही है। जिसके कारण ग्रामीणों को कच्ची सड़कों से भी ज्यादा खराब सड़कों मेंं सफर करना पड़ रहा है। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग : केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।
एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।
केन्द्र-राज्य सरकार करें जांच: छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार की जांच करनी चाहिए। एसई, ईई, एसडीओ, ठेकेदार के साथ विभाग के उच्चाधिकारी सीईओ और टेंडर डिपार्टमेंट की मिलीभगत से ही हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। योजना के तहत बनाई गई सड़कों की सही मानिटरिंग और निर्माण कार्य की जांच नहीं होने से अधिकार-ठेकेदार बेखौफ हो कर सरकारी रकम डकार रहे हैं।
केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों ईडी, आईटी और सेंट्रल विजिलेंस को स्वत: योजना में लगे अधिकारी और ठेकेदारों की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार को भी अपनी जांच एजेंसियों के माध्यम से अलग से जांच कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।