छत्तीसगढ़

खेल खेलने का मजा तब आता है जब हारने का रिस्क हो

Nilmani Pal
4 Nov 2022 5:56 AM GMT
खेल खेलने का मजा तब आता है जब हारने का रिस्क हो
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

आईएएस समीर विश्नोई ने ऐसा खेल खेला कि राज्य सरकार को सस्पेंड करना पड़ा। विश्नोई के घर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने छापा मारा था, जिसमें 47 लाख नगद के साथ ज्वेलरी जब्त की गई थी। ईडी ने दो बार में 14 दिन की रिमांड लेकर पूछताछ की थी। इसके बाद 27 अक्टूबर को रिमांड अवधि खत्म होने पर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया था। इसी दिन सरकार ने विश्नोई को सस्पेंड कर दिया था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि करनी का फल इसी जन्म में यह कलिकाल में भोगना पड़ता है। क्या विश्नोई को नहीं पता था कि विश्व में एक ही विषपाई है, दूसरे तो विषनोई ही रहेंगे। इसलिए समय रहते पुण्य का भाग बढ़ा लेते तो पापकर्म आड़े नहीं आती। अब माथा टेकने से कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अब तो ईडी ने लीदी निकाल दी है। किसी ने ठीक ही कहा है कि खेल खेलने का मजा तब आता है जब हारने का रिस्क हो।।

कांग्रेस-भाजपा के पहलवान पेलने लगे दंड

विधानसभा चुनाव को अभी एक वर्ष बचे हैं, लेकिन यहां दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा बूथ पर आर-पार की लड़ाई में उतर रहे हैं। दोनों ही दल अब आक्रामक और मजबूत बनाने के लिए अभियान शुरू करने जा रहे हैं। कांग्रेस मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बूथ पदयात्रा का आयोजन कर रही है। तो भाजपाई मतदाताओं की सहायता के लिए बूथ स्तर पर टीम गठन करने का निर्णय लिया है। नौ नवंबर से आठ दिसंबर तक निर्वाचन आयोग बूथ केंद्रों पर अभियान चलाएगा। इसमें मतदाताओं के नाम जोडऩे की प्रक्रिया में भाजपा कार्यकर्ता मदद करेंगे। दोनों ही दल बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाने वालेे हैं।जनता में खुसुर-फुसुर है कि पांच साल तक सोते रहे अब चुनाव आते ही नाना प्रकार के प्रोपोगंडा करने में जुट गए है। भाई ये पब्लिक है सब जानती... इतना तो आप भी जानते है?

सीडी और ईडी का नागफांस

राज्य स्थापना दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश पिछले चार साल में सीडी और ईडी में उलझकर रह गई है। कांग्रेस सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ अपराध का गढ़ बन गया है। कोल माफिया और रेत माफिया के साथ ही कांग्रेस के शराबबंदी की जगह नदिया बह रही है। वहीं कांग्रेसी रमन के बयान पर पलटवार करते हुए फिर रहे है कि चुनावी साल होने के कारण केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ भाजपा में सफाई अभियान चलाया है उसका खुन्नस कांग्रेस पर निकाल रहे हंै। क्योंकि भाजपा के पास कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीडी-ईडी और पनामा का चोली दामन का संबंध है। एक को खोलेगो तो दूसरा अपने आप खुलता चला जाएगा। इसलिए बाजीगर बनो बजनिया मत बनो।

चोरों की दिवाली

चोरों में भी अजीब प्रथा है वो दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा नहीं करते बल्कि उसके 15 दिन बाद जब कड़ाके से ठंड पडऩे लगती है तब माता की पूजा चोरी में सफल होने के लिए करते है। चोर साल भर ठंड के आने का इंतजार करते है। ठंड चोरों का सबसे पसंदीदा मौसम होता है। जिसमें वो आसानी से काम तमाम करने में सफल हो जाते है। ठंड में चोरों का बाहरी गिरोह सक्रिय हो जाता है। हर साल लाखों की चोरी कर नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं। पुरानी बड़ी चोरी के फाइलें पेंडिग है। पुलिस ने रात में गश्त बढ़़ा दी है। उसके बाद भी गिरोह सूने घरों को निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं। पुलिस के आला अधिकारियों ने शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए हों, लेकिन चोर उनसे एक कदम आगे चल रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सब कुछ पुलिस पर मत छोड़ों अपनी भी कुछ जिम्मेदारी खुद निभाओ, सावधान रहो, सतर्क रहो और पुलिस को संदिग्ध दिखने वाले लोगों को जानकारी देते रहो तो हमेशा चोरी की वारदात से बचे रहोगे।

पुडिय़ा-पुडिय़ा में लिखा है पीने वाले का नाम

राजधानी में नवयुवकों में एक अजीब का शौक शामिल हो गया है। सस्ते नशे की जद में आकर युवा सुबह से शाम तक पुडिय़ा की जुगाड़ में मथापच्ची करते है। क्योंकि अब कहा जाने लगा है कि पुडिय़ा-पुडिय़ा में लिखा है पीने वालों का नाम। पुडिय़ा नहीं मिलने पर आक्रोश में आकर गुस्सा अपने ही साथियों पर उतारने लगते है। ओडिशा से रायपुर आकर गांजा की पूरे देश में सप्लाई हो रहा है, यह तो जगजाहिर है। पुलिस नशे के खिलाफ एक्शन मोड में होने के बाद भी प्रतिबंधित नशीली दवाओं की तस्करी हो रही है। तस्कर पुलिस को चमका देकर बस, ट्रेन और सड़क के रास्ते दूसरे जिलों और राज्यों में गांजा और प्रतिबंधित नशीली टेबलेट राजधानी तक पहुंचाने में सफल हो रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए तस्करों ने पीएचडी की है। तस्कर और पुलिस तू-डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल चल रहा है।

आरक्षण को लेकर भाजपाई फ्रंट लाइन पर

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा आरक्षण 32 प्रतिशत करने के लिए एक्शन मोड पर आ गई है। जबकि सरकार ने घटाकर 20 प्रतिशत किए जाने तथा बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग के जिलों से स्थानीय भर्ती प्राथमिकता को समाप्त किए जाने पर प्रदेश के भूपेश बघेल सरकार की निंदा की है। उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद प्रदेश के शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में जो अनिर्णय की स्थिति इस सरकार ने बना रखा है उसकी भी घोर निंदा करते हुए भाजपा नेताओं ने भूपेश बघेल सरकार को चेताया कि एक तरफ बिना अधिसूचना के मेडिकल शिक्षा के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अजजा वर्ग के लिए 20प्रतिशत का असंवैधानिक आरक्षण रोस्टर लागू कर हमारे आदिवासी भाइयों का अधिकार छीना जा रहा है । जनता में खुसुर-फुसुर है कि भूपेश सरकार देखना चाहती है कि भाजपा में कितना दम है और आरक्षण पर कितना दम लगा सकते है। सीएम भूपेश पहले ही कह चुके है कि आदिवासी हितों की हर हाल में रक्षा की जाएगी। उनके साथ न्याय होगा। सीएम ने कहा है कि इस मामले में पूर्ववर्ती सरकार ही दोषी है अब बचा क्या।

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