जल जीवन मिशन में सात हजार करोड़ की गड़बड़ी पर कैबिनेट का फैसला
कुछ अफसर और नेता सरकार की मुसीबत बढ़ाने में लगा
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सात हजार करोड़ के जल जीवन मिशन के सारे टेंडर निरस्त करने के निर्देश दिए। खबर है कि बैठक के दौरान पीएचई मंत्री रुद्र गुरु ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन सीएम ने टेंडर निरस्त करने का फैसला किया। सीएम ने कहा है कि ग्रामीणों से जुड़ी योजनाओं में किसी तरह का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक के बाद प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि इस योजना के टेंडर प्रोसेस में राज्य ने जो डिसेंट्रलाइज कर नया एसओआर बनाया था उसे लेकर विवादों को देखते हुए कैबिनेट ने निरस्त करने का फैसला किया है। कैबिनेट ने सीएम के निर्देशानुसार केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ही योजना लागू करने की सहमति दी है। गांवों में घर-घर तक पाइपलाइन के जरिए पानी सप्लाई के लिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन शुरू किया है। इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ में सात हजार करोड़ के काम होने हैं। सीएम बघेल से जल जीवन मिशन के ठेके में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ोंं की शिकायत मिली। इसे लेकर उन्होंने तत्काल सीएस आरपी मंडल की अध्यक्षता में एसीएस अमिताभ जैन और पीएचई सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी की जांच कमेटी बनाई।
कमेटी ने अपनी जांच में शिकायतों को सही पाया। नियमों को दरकिनार कर बाहरी ठेकेदारों को ठेके दिए गए थे, जबकि स्थानीय ठेकेदारों को बस्तर और सुदूर नक्सल क्षेत्रों में छोटे काम दिए गए थे। छह हजार करोड़ के ठेके में ऐसी गड़बडिय़ां सामने आई हैं। यह रिपोर्ट सीएम को दी गई। उन्होंने कैबिनेट में सभी मंत्रियों की मौजूदगी में टेंडर रद्द करने के निर्देश दिए। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में नियम-शर्तों को दरकिनार कर जिस तरीके से ठेके दिए जा रहे थे, उसकी जानकारी केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को भी थी। इस संबंध में चार दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र भेजकर गंभीर आपत्ति की थी। इस वजह से भी सीएम ने ऐसी गड़बड़ी को रोकने के लिए टेंडर रद्द कर सख्त संदेश दिए हैं। हालांकि दो दिनों से ईएनसी दफ्तर और पीएचई मंत्रालय ने ठेकेदारों को लामबंद कर टेंडर को रद्द होने से बचाने की काफी कोशिश की। दो दिनों में सीएम से कई प्रतिनिधिमंडलों ने मिलकर बात की थी।
तीन दिनों से दफ्तर नहीं आ रहे हैं ईएनसी
जल जीवन मिशन के ठेकों को गड़बड़ी का केंद्र ईएनसी दफ्तर था। चर्चा है कि तत्कालीन सचिव ने इस पर आपत्ति की थी। इस वजह से सचिव बदला गया। इसके बाद ईएनसी दफ्तर ने नियमों में कई बदलाव किए तो स्थानीय ठेकेदारों ने अपनी ओर से जानकारी जुटाकर पूरी रिपोर्ट तैयार की। इसे सीएम बघेल को दिया गया। जैसे ही सीएम को इसकी खबर मिली तो वे गंभीर हो गए और सचिव स्तर पर कमेटी बनाने के बजाय सीधे मुख्य सचिव को जांच की जिम्मेदारी दे दी। इसके बाद से ईएनसी ने दफ्तर आना ही बंद कर दिया। नए ईएनसी की नियुक्ति की चर्चा है।
डॉ. रमन बोले- 7 हजार करोड़ की बंदरबांट शुरू
टेंडर रद्द होने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से 7000 करोड़ मिले हैं, उसकी बंदरबांट शुरू हो गई है। हर कोई अपने हिस्से के लिए लड़ रहा है पारदर्शिता नहीं है। यह गंभीर विषय है। वहीं इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि- जल जीवन मिशन में और भ्रष्टाचार हुआ है। इसलिए ही आनन-फानन में इसे निरस्त किया गया है। कैसे टेंडर के जरिए भ्रष्टाचार हो यह सरकार की प्राथमिकता है। विकास लोगों की जरूरत है सरकार की प्राथमिकता रही है।