गायत्री परिवार द्वारा व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर का आयोजन, बौद्धिक ज्ञान का लाभ ले रहे विद्यार्थी
रायपुर। गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ रायपुर द्वारा बच्चों के ग्रीष्मकालीन अवकाश का सदुपयोग करते हुए एवं बच्चों को संस्कारवान बनाने के उद्देश्य से व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर का आयोजन रविवार को गायत्री प्रज्ञा पीठ तेलीबांधा के समीप स्थित सामुदायिक भवन में किया गया। शिविर में 80 बालक- बालिकाओं ने सम्मिलित होकर स्वस्थ एवं संस्कारयुक्त जीवन जीने की कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
गायत्री परिवार रायपुर के मीडिया प्रभारी प्रज्ञा प्रकाश निगम ने बताया कि शिविर का शुभारंभ देव आह्वान, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। मुख्य तिथि के रुप में स्थानीय पार्षद श्रीमती सीमा संतोष साहू एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में गायत्री परिवार की जोन समन्वयक श्रीमती आदर्श वर्मा, जिला समन्वयक श्री लच्छूराम निषाद, इंदिरा गांधी कृषी विष्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. के.के. साहू जी थे। सीमा सतोष साहू ने उद्घाटन के अवसर पर कहा कि संस्कारित युवा पीढ़ी के निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है इसके लिये सेवा, संयम, स्वाध्याय व साधना की अनिवार्यता है।
गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ प्रभारी आशीष राय ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा सैकड़ो वर्ष पूर्व ही ’’युग निर्माण कैसे होगा-व्यक्ति के निर्माण से’’ का ब्रह्म वाक्य दिया जो अकाट्य सत्य है। विशाल वट वृक्ष एक नन्हें से बीज में छुपी रहती है, बहुमंजिली इमारतें उसकी नींव पर टिकी रहती है, ठीक वैसे ही मानव से महामानव बनने का आधार उसका व्यक्तित्व ही होता है। व्यक्ति निर्माण के आधार पर ही परिवार निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना की जा सकती है। व्यक्ति निर्माण तो किसी भी उम्र में एवं कभी भी शुरू किया जा सकता है, उसका लाभ तो मिलना ही है, लेकिन यदि व्यक्ति निर्माण की पाठशाला में किशोर एवं युवाकाल में प्रवेश मिल जाए तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है।
शिविर के प्रशिक्षकजनों में कु. माधुरी ने मंच संचालन करते हुए तनाव प्रबंधन, स्वास्थ्य, पतंजली योग में दिये गये यम नियम, आसन, प्राणायान ध्यान के महत्व को विस्तार से बताया। कु निष्ठा ने युवा कौन है युवाओं जवाबदारी तथा जिम्मेदारी के महत्व को बताते हुए कहा कि पूर्व में जितनी भी क्रांति हुई है इनमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वर्तमान में देश जिस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है लोग आशंकित है आगे क्या होगा? पर्यावरण का प्रदूषण, भ्रष्टाचार, सूखती जल स्त्रोत, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती नशा, बढ़ती अराजकता की भयावह दृश्य को केवल और केवल ‘‘युवाशक्ति‘‘ ही मिटा सकती है। हंसराज ने स्वामी विवेकानंद की जीवनी को बच्चो के समक्ष उदाहरण के रुप पेश करते बच्चों को स्मरण शक्ति व बु़िद्ध विकसित करने का उपाय बताया। इसी प्रकार विवेक महाजन ने सोशल मीडिया के लाभ एवं नुकसान के बारे बताया कि जैसे हर सिक्के के दो पहलु होते है, उसी प्रकार सोशल मीडिया के भी है। विज्ञान विकास के साथ विनाश भी लाता है उसका उपयोग किस प्रकार एवं किस उद्देश्य से किया जा रहा है उस पर ही उसका परिणाम निर्भर होता है। बच्चों को साइबर अपराध से सतर्क रहने की जानकारी भी दी गई।
शिविर में बच्चों को नियमित दिनचर्या, समय प्रबंधन व सदसाहित्य का नियमित स्वाध्याय द्वारा जीवन में सकारात्मक बदलाव का महत्व समझाया। दोपहर के भोजनावकाश के बाद सभी बच्चों के बीच खेल व बौद्धिक प्रश्नोत्तरी करवाई गई। गायत्री परिवार के व्यसन मुक्ति अभियान की जानकारी दी। बच्चों को सभी प्रकार के नशे से स्वयं तथा परिवारजन के साथ-साथ अपने मित्रों को भी दूर रहने हेतु प्रेरणा दी। अंत में गुरुदक्षिणा स्वरुप पर्यावरण के संरक्षण हेतु प्रत्येक बच्चों को इस वर्ष एक-एक पौधारोपण का संलल्प दिलवाया गया।