फ्लैट नहीं, अपना छोटा सा स्वतंत्र आशियाना चाहते हैं लोग...
- रियल स्टेट मार्केट में फ्लैटों का उठाव नहीं, बिल्डरों को औने-पौने दाम में भी नहीं मिल रहे खरीदार
- सरकार से मिल रही पट्टा, नियमितीकरण व रजिस्ट्री में छुट जैसी सुविधाएं, इससे प्लाट की खरीदी बिक्री बढ़ी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। भूपेश सरकार की आवास नीति और कब्जाधारियों को पट्टा देने के कारण लोग स्वतंत्र मकान बनाने में ज्यादा रूचि दिखा रहे है जिसके कारण बिल्डरों के बड़े-बड़े प्रोजेक्टों की पूछपरख कम हो गई है। राजधानी सहित प्रदेश में नजूल भू्मि पर अवैध कब्जाधारियों को पट्टा देने के कारण पट्टा मिलते ही कब्जाधारी वहीं पर मकान बना रहा है। जिसका असर बिल्डरों के व्यवसाय पर साफ दिखाई दे रहा है। पिछले तीन सालों में हाउसिंग बोर्ड और आरडीए के फ्लैटों की बिक्री में कमी आई है जिसके चलते सरकार ने दोनों सरकारी निर्माण एजेंसी ने प्रापर्टी का रेट कम करके बेचने की योजना बनाई है। हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की पुरानी प्रापर्टी नहीं बिकने से कोई नया प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर रहा है। पुरानी प्रापर्टी को बेचने के लिए हाउसिंग बोर्ड और आरडीए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहे है ताकि लागत मूल्य वसूली हो जाए। स्लम बस्तियों में रहने वालों और सरकारी योजना की जमीन पर कब्जा करने वालों का स्थानीय प्रशासन व्यवस्थापन कर बीएसयूपी योजना के तहत फ्लैट दिया है। वही कोरोना काल से लेकर अब तक निजी निर्माण क्षेत्र में बिल्ड़रों ने जो पुराने प्रोजेक्ट थे उसमें ही काम कर रहे है। रियल स्टटे मार्केट में फ्लैटों की मांग कम होने से बहुत से बिल्डरों ने फ्लैट बनाने की योजना से हाथ खींच लिए है। जिन बिल्डरों के बहुमंजिला प्लैट तैयार है उसे बेचने के लिए पिछले 6 माह से प्रयास कर रहे है उसके बाद भी प्रापर्टी मार्केट में फ्लैट के प्रति लोगों की अरूचि बनी हुई है। रियल स्टेट कारोबार में उठाव नहीं होने के कारण बिल्डरों ने भी बने फ्लैटों को औने-पौने दाम में बेचने की तैयारी कर रहे।
सरकारी नीति को लोग उठा रहे फायदा
सरकार की नीति अनुसार कब्जाधारियों को पट्टा मिलने का फायदा लोग उठा रहे है। जिस जगह पर कब्जा किया था वहीं का पट्टा मिल रहा है। जिससे लोगों को उनके घर की जरूरत वहीं पूरी हो रही है। जमीन का पट्टा मिलते ही धड़ाधड़ काम चल रहे है। जिसका असर बिल्डरों पर पड़ता दिख रहा है। उनके फ्लैटों के दाम कम कर देने के बाद भी नहीं बिक रहे है।
स्वतंत्र मकान की चाह बढ़ी
लोगों का फ्लैट सिस्टम से मोह भंग होते दिखाई दे रहा है लोगों का मूड अब फ्लैट में रहने के बजाय अपनी जमीन अपना आसमान के तर्ज पर स्वतंत्र मकान बनाना चाहते है। इसलिए प्लाट की बिक्री बढ़ गई है। जबकि निर्माण लागत बढऩे के बाद भी लोगों का सोचना है कि खुद की जमीन पर मकान बनाना सबसे अच्छा है जिससे बिल्डरों के झंझटों से मुक्ति मिलेगी। अपने हिसाब से लेआउट-नक्शा बनाओ और अपने पसंद के हिसाब से निर्माण कराआ, जितना लागत फ्लैट का ही उतने में ही स्वतंत्र मकान बन सकता है।
अवैध प्लाटिंग का खेल शुरू
रियल स्टेट में मंदी के दौर में फ्लैट के प्रति लोगों की अरूचि को देखते हुए छुटभैया नेताओं ने बिल्डरों के साथ मिलकर प्लाटों का मांग को देखते हुए अवैध कब्जा वाली जमीन पर लाटिंग का खेल शुरू कर दिया है। लोगों को सस्ते में प्लाट देने के झांसा देकर अवैध कब्जा वाली जमीन पर प्लाटिंग कर अनाप-शनाप कमाई करने में उतर गए है।
नजूल जमीन पर कब्जा कराने में सांठगांठ
छुटभैया नेता अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन का नक्शा खसरा निकलवाते है फिर उस पर कब्जा कर धड़ाधड़ अवैध प्लाटिंग कर बेच रहे है। आखिर इन छुटभैया नेताओं को सरकारी जमीन का रिकार्ड कौन उपलब्ध कराता है आज तक अज्ञात है। किसी दूसरे की जमीन को अपने नाम कराने का खेल पटवारी के साथ मिलकर हो रहा है।
सरकारी जमीन पर कब्जा हटाया
राजधानी के आसपास अवैध प्लाटिंग की जानकारी मिलते ही नगर निगम और राजस्व विभाग ने अवैध प्लाटिंग रोकने की कार्रवाई की है। अवैध प्लाटिंग क्षेत्र में बनाए सड़क को जेसीबी से तोड़ कर अवैध प्लाटिंग करने वालों को खदेड़ा।
बिल्ड़र और मीडिया घरानों की सांठगांठ
बिल्डरों ने मीडिया से सांठ गांठ कर लोगों को प्रापर्टी खरीदने के लिए बरगला रहे है। प्रापर्टी कारोबार में चल रहे मंदी से निराश होकर कारोबार में तेजी लाने के लिए मीडिया को पार्टनर बनाकर रोज नए-नए लोकलुभावन विज्ञापन प्रकाशित करवा रहे हंै। ये प्रलोभन वाले विज्ञापन जिसमें जनता को फ्लैट खरीदने पर गिफ्ट पैक, विदेश यात्रा, लांचिंग पार्टी में लंच और डिनर, लकी ड्रा, फर्नीचर फ्री देने का लालच दे रहे हैं। उसके बाद भी प्रापर्टी में उठाव न के बराबर है। मकान के जरूरतमंद लोगों का कहना है कि फ्लैट के बजाय कहीं छोटा-मोटा जमीन का टुकड़ा लेकर अपना खुद का मकान बनाया जाए जिससे बिल्डरों के चंगुल में फंसने से मुक्ति मिले। जिन लोगों ने बिल्डरों से फ्लैट लिया है वो आज तक रो रहे हैं । मेंटनेंस से लेकर फ्लैट के रखरखाव पर बिल्डरों ने ध्यान देना ही बंद कर दिया है जिससे फ्लैट 10 साल में ही जर्जर हालत में पहुंच गए हंै। फ्लैट में रहने वाले लोग आपसी चंदा कर बिल्डिंग की जैसे-तैसे रखरखाव कर रहे हैं। सुरक्षा का काम भी फ्लैट में रहने वाले लोग सिक्यूरिटी गार्ड अपने खर्चे से तैनात किए हैं। बिल्डरों ने तो फ्लैट का पैसा लेने के बाद मुड़ कर देखना ही बंद कर दिया है। पॉश कालोनियों ने बड़े-बड़े बहुमंजिला बिल्डिंग बिल्डरों की अनदेखी के चलते अपराधियों के फरारी काटने का अड्डा बनते जा रहा है। जिसके कारण पॉश कालोनियों के बहुमंजिला फ्लैटों में आए दिन आपराधिक घटनाएं हो रही है। जिससे फ्लैट में रहने वाले लोग सशंकित है। बिल्डरों के सांठगांठ के झांसे से बचने के लिए लोगों ने खुद के मकान को तवज्जो देने लगे हैं। जिसके कारण फ्लैट का धंधा पूरी तरह चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है।
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