गरियाबंद। जिले में होलिका का एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला. यहां के लोग होलिका दहन (Holika Dahan) के बाद जलते अंगारे पर नंगे पांव चलते है. और किसी को भी कोई हानि नहीं होती है. दरअसल, गरियाबंद जिले के गोहरापदर गांव में होलिका का जश्न था. लोगों ने ढोल-नगाड़े के साथ होलिका दहन किया. वहीं होली जलने के बाद उसके दहकते अंगारे पर लोग नंगे पांव चलने लगे. ये जानकर आपको हैरानी होगी लेकिन ये यहां का रिवाज है. मान्यता है कि दहन के बाद बने अंगारे से चलने पर शारिरीक कष्ट दूर होती है. पिछले 70 वर्षों से यह रिवाज चले आ रहा है. पीढ़ी दर पीढ़ी मानी जा रही इस परंपरा को नई पीढ़ी भी सहर्ष स्वीकार करती है.
बदलते परिवेश को देखते हुए सुखी होली खेलने की अब अपील हो रही है. लेकिन गरियाबंद के सिनापाली में पिछले 33 वर्ष से सुखी होली खेलने की परंपरा है. इतना ही नहीं गांव में 7 दिन पहले से मांस मदिरा पर भी निषेध होता है. होलिका दहन के तीन दिन पहले से यंहा दूर दूर से आये कीर्तन मंडली मादर की थाप पर हरे कृष्ण हरे राम नाम जाप अनवरत करते है. गांव में इसी भक्तिमय माहौल में फिर महिला पुरुष एक साथ मिलकर केवल गुलाल से होली खेलते हैं. इन तीन दिनों में विशाल भंडारे में एक साथ सभी भोजन भी करते है. इस होली की चर्चा दूर दूर तक है ऐसे में सैकड़ो की संख्या में दूर दराज से भी लोग होली खेलने जुटते है.