छत्तीसगढ़

अंबेडकर में 18 करोड़ की पैट सीटी मशीन खा रही धूल

Nilmani Pal
2 Sep 2021 5:18 AM GMT
अंबेडकर में 18 करोड़ की पैट सीटी मशीन खा रही धूल
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तीन साल बाद भी मशीन से जांच शुरू नहीं

रायपुर। कैंसर की सटीक पहचान के लिए आंबेडकर अस्पताल में खरीदी गई पैट सीटी मशीन की जांच लालफीताशाही में उलझकर रह गई है। तीन साल पहले 18 करोड़ में खरीदी गई इस मशीन के मामले में एफआईआर का आदेश कर दिया गया है। मशीन की खरीदी बिना प्रशासकीय स्वीकृति के किए जाने का आरोप था और तब से यह डंप पड़ा हुआ है। आंबेडकर अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए वर्ष 2018-19 में पैट सीटी मशीन लगभग 18 करोड़ रुपए में खरीदी गई थी। मशीन को पीपीपी मोड पर चलाने की योजना बनाई गई थी मगर यह शुरुआत से विवादों में पड़ गया। संबंधित संस्था के नियम मरीजों की इस सुविधा के आड़े आ गया। इसके बाद मशीन खरीदी के लिए प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त नहीं करने का मसला सामने आया और इसकी प्रक्रिया उलझती चली गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मशीन के आम लोगों के उपयोग के लिए किसी तरह का फैसला नहीं कर पाए और समय बीतता चला गया। अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस मशीन के उपयोग के लिए कई बार मंत्रालय के साथ पत्र व्यवहार किया गया मगर उस ओर से कोई जवाब नहीं आया और मशीन की खरीदी को तीन साल बीत गए। सूत्रों के मुताबिक प्रशासकीय स्वीकृति के बिना खरीदी गई इस 18 करोड़ की मशीन को घोटाला माना गया है और इसमें एफआईआर कराने के निर्देश दिए गए हैं।

एम्स में हो रही जांच

आंबेडकर अस्पताल में मशीन आने के काफी समय बाद एम्स के कैंसर विभाग में इस मशीन की खरीदी की गई थी। कुछ समय की औपचारिकता पूरी करने के बाद इसका उपयोग वहां शुरु कर दिया गया। इस मशीन के माध्यम से शरीर के कैंसर प्रभावित अंग की सटीक तरीके से जांच कर चिकित्सकों को इलाज में मदद मिलती है।

मशीन डंप मरीज परेशान

मशीन की खरीदी होने के बाद जांच में अफसरशाही इतनी हावी रही कि गरीब मरीजों की सुविधा के लिए इसके उपयोग के मसले को नजरअंदाज कर दिया गया। निजी अस्पतालों में पैट सीटी की जांच के लिए 12 से 15 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है। अस्पताल में यह सुविधा बीपीएल श्रेणी के मरीजों को निशुल्क प्राप्त हो सकती थी मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

एफआईआर के निर्देश

पैट सिटी मशीन की खरीदी में भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में एफआईआर कराने के निर्देश डीएमई को दिए गए हैं।

- आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग

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