छत्तीसगढ़

धान फसल को झुलसा रोग, कृषि विभाग ने किसानों को दिए अहम सलह

Nilmani Pal
25 Sep 2021 8:28 AM GMT
धान फसल को झुलसा रोग, कृषि विभाग ने किसानों को दिए अहम सलह
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बेमेतरा। बेमेतरा जिले में पिछले कुछ दिनों हुई बारिश से वातावरण में आर्द्रता या नमी बढ़ रही है। बारिश के बाद मौसम में आर्द्रता बढ़ने के कारण खरीफ फसलों खासकर धान के पौधों में कीट प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। फसलों को कीट प्रकोप से बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों के लिए सामयिक सलाह जारी किए हैं। जारी किए गए सलाह में धान की फसल को गंगई, झुलसा रोग, पीला तना छेदक एवं माहू कीट प्रकोप से बचाने के लिए समुचित उपाय करने किसानों को कहा गया है। धान में गंगई के प्रकोप आने पर फसल अगर कन्सा अवस्था पार कर चुका है तो किसी भी प्रकार की रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं है। बढ़ती आर्द्रता धान फसल में झुलसा रोग के लिए अनुकुल होता है। इस रोग के प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों में आंख के आकार के भूरे धब्बे बनते हैं जो बाद में बढ़कर पत्तियों को सूखा देती है। प्रकोप अधिक होने की स्थिति में खुले मौसम में ट्राईसाइक्लोजोल छह ग्राम प्रति दस लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने किसानों को सलाह दिया गया है। पीला तना छेदक के वयस्क कीट खेतों में दिखाई देने पर अण्ड समूह समेत पत्ती को अलग कर नष्ट करने तथा जहां पर डेडहार्ट बना है उसे खींचकर अलग कर देने की सलाह दी गई है जिससे अंदर मौजूद ईल्ली परजीवीकृत होकर नष्ट हो जाएगा। धान में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमेन ट्रेप 2-3 प्रति एकड़ का उपयोग करने एवं प्रकोप पाए जाने पर 8-10 फिरोमेन ट्रेप उपयोग करने की सलाह दी गई है।

किसानों को जारी किए गए सलाह में धान की फसल में माहू एवं तना छेदक कीटों के लिए खेत में फसल की सतत निगरानी करने को कहा गया है। जिन स्थानों पर तना छेदक की तितली एक वर्ग मीटर में एक से अधिक दिखाई दे रही हो वहां कार्बाेफ्यूरान 33 किलोग्राम या फर्टेरा 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। बारिश के बाद खुला मौसम देखते हुए धान की फसल में निंदाई-गुड़ाई द्वारा निंदा नियंत्रण की सलाह भी दी गई है। शीघ्र पकने वाली धान की फसल पुष्पन अवस्था में है यदि उनमें 50 प्रतिशत पुष्पन हो चुका है तो नत्रजन की त्रिकीय किश्त का छिड़काव करने के लिए भी कहा गया है। विगत दिनों हुई भारी वर्षा को देखते हुए किसानों को धान खेत के मेड़ों को बांधकर रखने तथा आवश्यकता से अधिक पानी को खेत से बाहर निकालने की सलाह भी जारी की गई है।

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