छत्तीसगढ़

पशुधन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित

Admin2
2 Nov 2020 11:40 AM GMT
पशुधन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
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राजधानी रायपुर में स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर द्वारा ''व्यावहारिक पशुधन पालन-पोषण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता'' पर दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने किया। कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने कार्यशाला के उद्देश्यों की सराहना करते हुए प्रतिभागियों से कहा कि कृषकों के जीवन में पशुधन अत्यधिक महत्व रखता है तथा पशुपालन कृषि की सहायक क्रिया है। विश्व मंे सबसे अधिक पशुधन भारत में है, जिससे किसानों को आय अर्जित होती है। डॉ. पाटिल ने कहा कि कृषकों को पशुपालन हेतु ऐसे मॉडलों की जानकारी देनी चाहिए जिससे उन्हें अधिक आय प्राप्त हो सके, क्योंकि आज भी बस्तर संभाग के ग्रामीण इलाकों मे पशुओं को डेयरी व्यवसाय की दृष्टि से नहीं पाला जाता। डॉ. पाटिल ने कृषि महाविद्यालय, नारायणपुर की इस अभिनव पहल की सराहना करते हुए कार्यशाला के आयोजन की प्रशंसा की। इस ऑनलाइन कार्यशाला में लगभग 750 कृषक, विद्यार्थी एवं वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक शिक्षण डॉ. एम.पी. ठाकुर ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि जिस उददेश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है वह निश्चित विद्यार्थीयों एवं कृषकों के लिए लाभदायी होगा। उन्हांेने कृषि में पशुधन के महत्वों की जानकारी देते हुए कहा कि भारत में पशुधन प्रथम स्थान पर है तथा कृषकों के आय का यह मुख्य साधन है। एकीकृत कृषि प्रणाली से अपने खेतों में पशुधन, सुअर, मुर्गी, गाय, भैंस बत्तख, मछली पालन आदि करके किसान वर्ष भर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ. आर.के. बाजपेयी ने प्रतिभागी पशुपालकों को विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों से अवाहन किया कि राज्य में चल रही विभिन्न योजना ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर के अधिष्ठाता डॉ. रत्ना नशीने ने बताया कि पशुधन कृषकों के लिए आय का महत्वपूर्ण साधन है। किसनों को कृषि से लाभ न होने पर भी यह उनके लिए आय का स्त्रोत होता है। उन्होंने प्रतिभागियों को पशुओं की पोषण और स्वच्छता की जानकारी दी।

इस कार्यशाला में कुल 12 सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें पशुपालन के विभिन्न विषयों जैसे पशुधन का भारत एवं ग्रामीण अर्थव्यवास्था में महत्व, मुर्गीयों एवं पशुओं में होने वाली बिमारी तथा पशुधन में होने वाली बिमारियों से बचाव तथा नियंत्रण, दूधारू पशुओं का प्रबंधन, घरेलु मुर्गी पालन, एवं भारतीय कुक्कुट उद्योग में बैक्यार्ड एवं व्यावसायिक पोल्ट्री पर विस्तृत जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी गयी।

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