बिलासपुर bilaspur news। उच्च न्यायालय के जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बेंच ने आदेश दिया है कि जिन 26 लोगों को पदोन्नति मिली है, उसी तिथि से अन्य बचे हुए पात्र सहायक प्राध्यापकों की समीक्षा डीपीसी (रिव्यू डीपीसी) 90 दिनों के भीतर पूरी की जाए। छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापकों की वर्षों से लंबित पदोन्नति का मामला अब उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद हल हो सकता है। राज्य में भर्ती और पदोन्नति के नियमों के अनुसार, विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) द्वारा हर वर्ष पदोन्नति दी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस देरी के चलते 30 से 35 वर्षों से सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब उन्हें प्रोफेसर पद पर 90 दिन के भीतर पदोन्नत किया जाएगा। chhattisgarh news
chhattisgarh छत्तीसगढ़ के राज्य गठन के बाद वर्ष 2006 में सहायक प्राध्यापकों को पदोन्नति दी गई थी, जिसमें 380 में से 369 प्राध्यापक पदोन्नत हुए थे। इसके बाद से लगातार पदोन्नति प्रक्रिया लंबित रही। 2010 में इस संबंध में सहायक प्राध्यापक उच्च न्यायालय पहुंचे, जहां से उन्हें 1990 के नियम के तहत पदोन्नति देने का आदेश मिला। लेकिन 2016 में जब पदोन्नति हुई, तो सिर्फ 476 में से 26 सहायक प्राध्यापकों को ही इसका लाभ मिला।
इस असमानता के खिलाफ 66 सहायक प्राध्यापकों ने 11 प्रकरण दायर किए, जिन पर सुनवाई करते हुए ताजा आदेश आया है। इस आदेश से प्रदेश के लगभग 450 सहायक प्राध्यापकों को पदोन्नति मिलने की उम्मीद है, जिससे प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में प्राध्यापक और प्राचार्य की कमी पूरी हो सकेगी।
इस समय प्रदेश में प्रोफेसर के 682 पद स्वीकृत हैं। बिलासपुर जिले के 17 शासकीय कॉलेजों में प्रोफेसर के 48 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से सभी पद खाली हैं। इसके अलावा, प्रदेश में सहायक प्राध्यापक के 5315 स्वीकृत पद हैं, जिनमें 2325 कार्यरत हैं, जबकि 2990 पद अभी भी खाली हैं। इसी प्रकार, प्राचार्य के 281 यूजी कॉलेजों में सिर्फ 13 नियमित प्राचार्य कार्यरत हैं, जबकि 268 पद खाली हैं। पीजी कॉलेजों में प्राचार्य के 54 स्वीकृत पदों में से 20 ही कार्यरत हैं। खेल अधिकारी और ग्रंथपाल के भी पद खाली हैं।