आकाशवाणी कालीमंदिर के आगे , डीजीपी साहब के बंगले के पीछे , नाले के पास, उड़िया बस्ती, चर्चा ये है, कि रवि साहू गैंग का वर्चस्व पूरे रायपुर शहर में फ़ैल गया
रायपुर। राजधानी में सट्टे का खुलेआम कारोबार चल रहा है। जिसे जनता से रिश्ता के संवाददाता ने अपने कैमरे में कैद किया। इस वीडियो में लोग तो नहीं थे। मगर उनके अड्डों में सट्टा काटने की रसीद और सट्टा नंबर की पेज मिली। सिविल लाइन थाना पुलिस के नाक के नीचे से ये सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है. आकाशवाणी कालीमंदिर के आगे , डीजीपी साहब के बंगले के पीछे , नाले के पास रवि साहू गैंग के गुर्गे खुलेआम महिलाओं और बच्चो को मिलाकर सट्टा-पट्टी काटते और अवैध कारोबार को संचालित करते है. जब जनता से रिश्ता के मीडिया कर्मी कैमरे के साथ मौके वारदात पर पहुंची तो सटोरिए डरकर अपना सट्टा काटने वाला रसीद, सट्टा नंबर लिखने वाला पन्ना छोड़कर वहां से भाग निकले। राजधानी में नशा और सट्टा-जुआ का कारोबार पूरी तरह उफान पर है, ऐसे अवैध कारोबार करने वाले मुख्य संचालक और असामाजिक तत्व अपने अड्डों में ना रहकर शहर के बाहर से अपने भरोसेमंद गुर्गों की मदद से इसका संचालन कर रहे है। कालीबाड़ी में रवि साहू गैंग के गुर्गे अब एक बार फिर से सक्रिय हो चुके है। ग्राहकों को सट्टा खिलाना और गांजा पिलाना उनका पुराना पेशा था। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी ये सटोरिए अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे है। और अपने अवैध कारोबार को फैलाने के लिए इस हद तक गिर गए है कि बच्चों और बुजुर्गों तक को नहीं छोड़ा। अपराध की दुनिया आये दिन बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से इस दुनिया में अपराध करने वालों की संख्या बढ़ने लगी है।
रवि के गुर्गे सक्रिय
शहर खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। खुलेआम चले रहे इस कारोबार पर न तो पुलिस की नजर है और ना ही वह इस पर लगाम कसने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि यह कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी का नामी सटोरिया जो कालीबाड़ी, नेहरू नगर, गाँधी नगर में अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए है। जिसकी वजह से रवि अभी शहर के बाहर घूम रहा है। मगर उसके गुर्गे शहर में उसकी कुर्सी के आड़ में उसके गुर्गे अपना कारोबार शुरू कर दिए है। वही रवि के गुर्गों ने अपना कारोबार चालू किया और उसके नाम का फायदा उठाते हुए महिलाओं और बच्चों को भी इस काले धंधे में उतार लिया है।
छुटभैय्या नेता बने सटोरियों के गॉड फादर
रवि साहू की गैंग में नए सदस्यों को जोड़ा गया है, ये ऐसे हिस्ट्रीशीटर है जो जेल से जमानत में या पैरोल में छूटे हुए है उन आरोपियों को गैंग में शामिल किया गया है। और अपने सट्टे के कारोबार में रवि साहू ने इजाफा भी किया है। पुलिस और अपराधियों की लुकाछिपी का खेल सालों से चला आ रहा है। वही अनिल आलू का सट्टा कारोबार भी अपनी चरम सीमा पर है 11 साल पहले अनिल आलू सट्टा में गिरफ्तार हुआ उसके बाद से पुलिस उसे आज तक पकड़ नहीं पाई है। ये लुकाछिपी का पूरा खेल छुटभैय्या नेताओं के इशारे से चल रहा है। लेकिन पुलिस ने साल 2020 में नशे पर अपना शिकंजा भी कसा था मगर 2021 में नशे का भी कारोबार बढ़ते जा रहा है।
सट्टेबाजों का शहर में बढ़ा आतंक
पुलिस तो समाज से इस नशे और सट्टे के कारोबार का पूरा इलाज करना चाहती है। और इस बीमारी को तो जड़ से मिटाना ही पुलिस का मकसद है मगर जमानती धाराओं से तो पुलिस भी परेशान है। कमजोर धाराओं के चलते थाने से ही जमानत पर छोडऩ़ा पड़ता है। राजधानी में सट्टे के कारोबारियों ने सट्टा खिलाने का एक बड़ा ही नया और नायब तरीका ढूंढ निकाला है, अब सट्टेबाज सट्टा-पट्टी नहीं काट रहे बल्कि ऑनलाइन एप पर पैसों का लेन-देन कर सट्टा खिला रहे है। आईपीएल सीजन का रोमांच प्रारंभ होते ही सट्टा कारोबार चलते रहता है। साथ ही मैच में लगने वाले सट्टा व्यापार भी चरम सीमा पर है। शहर की पुलिस भी कोई कसर नहीं छोडऩा चाह रही है। रायपुर शहर में आए दिन सट्टेबाज और जुआरी पकड़े जा रहे है मगर उसके बाद भी ये लोग अपने अवैध कारोबार को बंद नहीं कर रहे है। शहर में आए दिन सट्टा खिलाने के आरोप दर्जनों को पुलिस गिरफ़्तार कर रही है मगर इनकी गिरफ़्तारी का कोई खास असर रायपुर में नहीं दिख रहा है उसका एक ही कारण है ऑनलाइन एप्लीकेशन के जरिए सट्टा खिलाया जाता है।
सट्टा कारोबार में 10 लाख तो शो मनी
सट्टा कारोबार जिले के आसपास के क्षेत्र में फल फूल रहा है। राजधानी में सट्टा खाईवालों की फौज खड़ी हो गई है। सूत्र बताते हैं कि शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां शाम होते ही महफिल सज जाती है। माना जा रहा है कि राजधानी में रोजाना लाखों रुपये का सट्टा और जुआ खेला जा रहा है। सूत्रों की मानें तो राजधानी में कई ऐसी जगहों में जुआ संचालित हो रहा है, जहां पांच से 10 लाख रुपये शो मनी रखी गई है। सटोरियों को लाइन देने वालों को यह जानकारी पहले से होती है। खाईवाल तीन सेशन में बांटकर दांव लेते हैं। पहला सेशन एक से छह ओवर में कितना रन बनेगा। दूसरा 12 ओवर और तीसरा 20 ओवर में टीम के कितने रन बन सकते हैं। इसके अलावा हर गेंद, हर ओवर, बल्लेबाज, गेंदबाज के पर दांव लिया जाता है।