कांकेर। विवाह एक पवित्र बंधन होता है, जिसमें वर-वधु सात जन्मों के अटूट बंधन में बंधते है. विवाह की यादों को डिजिटल युग में लोग अधिकतर वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी या किसी अन्य माध्यम से संजोकर रखते हैं पर हम आपको बस्तर में विवाह के बाद होने वाली एक ऐसी रिवाज के बारे में बताएंगे, जो आपने इससे पहले कभी सुना है न ही देखा होगा.
जी हां हम बात कर रहे हैं आदिवासी बाहुल उत्तर बस्तर कांकेर जिले के काकबरस गांव की, जो जिला मुख्यालय से लगभग 140 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जंगलों से घिरा हुआ है. यहां के ग्रामीण आदिवासी परंपरा के अनुसार शादी विवाह के संपन्न होने के बाद लकड़ी का बड़ा सा स्मृति चिन्ह बनाकर अपने घरों के सामने गड़ा देते हैं. ऐसा ही काकबरस गांव के एक आंचला परिवार के लोग विवाह की स्मृति चिन्ह के रूप में अपने घर के बाहर एक स्तंभ लगाए हुए हैं, ताकि उस स्मारक को उनकी आने वाली पीढ़ी देख सके.
वहीं काकबरस के स्थानीय ग्रामीण दशरथ आंचला बताते हैं कि उनका विवाह पिछले साल मई के महीने में संपन्न हुआ था. इसके बाद उनके घर में बाहर एक स्मारक लगाया गया है, ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी इसे देख सके व अपने रीति रिवाजों को न भूले. दशरथ ने बताया कि ऐसा स्तंभ उनके घर के बाहर हर पीढ़ी का लगा हुआ है, जिसमें उनके पिता, चाचा, दादा व अन्य शामिल हैं और इसे सिर्फ गोंड जाति के आंचला गोत्र के लोग ही ऐसा करते हैं.