छत्तीसगढ़

जहरीले डंक सहने होते हैं हर पल, चंदन होना भी कहां आसान है...

Nilmani Pal
1 Sep 2023 5:55 AM GMT
जहरीले डंक सहने होते हैं हर पल, चंदन होना भी कहां आसान है...
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

डेगू से भी जहरीला

बारिश के मौसम में कई प्रकार की बीमारियां लोगों को अपने चपेट में लेती है। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में इस समय डेंगू का कहर जारी है। रायपुर और भिलाई से लगातार डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। इसी बीच राजधानी रायपुर से एक चौंकाने वाली खबर है कि डेंगू से संक्रमित दो लोगों की मौत हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि रात-रात भर चौक चौराहों में चुनावी चर्चा कर काटने वाले मच्छरों से ही डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। नहीं तो राजधानी के लोग इतने जहरीले है कि काटने वाले मच्छरों को भी संक्रमित करने की क्षमता रखते हंै। किसी ने ठीक ही कहा है कि जहरीले डंक सहने होते हैं हर पल, चंदन होना भी कहां आसान है।

इसे कहते है जियो और जीने दो

प्रदेश में छाए हुए महादेव आनलाइन सट्टे के संचालकों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। महादेव ऑनलाइन सट्टा एप के मुख्य सरगना सौरभ चंद्राकर एवं रवि उत्पल को श्रीलंका से गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपित दुर्ग के रहने वाले हैं। लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है, इन आरोपियों की एयरपोर्ट पर निगरानी की जाएगी, जिससे देश से बाहर जाने या किसी दूसरे देश में मौजूदगी का पता चलते ही गिरफ्तार किया जा सके। जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजधानी में जिन छुटभैया नेताओं के संरक्षण में महादेव एप चल रहा है उसे तो जीवन दान दे दिया गया है। इसे कहते है जियो और जीने दो।

मिली-जुली सरकार

महादेव एप्प को भाजपा की केंद्र सरकार और यूपी की योगी सरकार का संरक्षण है ऐसा प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का मानना है और उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में ईडी द्वारा महादेव एप्प को लेकर की गयी कार्यवाही भाजपाई हुक्मरानों को बचाने तथा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से की गयी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेस का संचार विभाग पुलिस के खुफिया विभाग का भी काम कर रहा है। सुशील आनंद शुक्ला को कैसे मालूम कि महादेव एप योगी सरकार चला रहा है। सुशील कांग्रेस के साथ -साथ भाजपा का भी काम देखने लगे है। इसलिए तो योगी सरकार से मिली जानकारी का बयान जारी कर रहे है।

बाघ बनने की फितरत

छत्तीसगढ़ के साल्हेवारा के जंगल से शिकारियों से वन विभाग ने एक बाघ की खाल बरामद किया है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में में 46 बाघ थे। 2018 में 19 रह गए। इस साल राज्य के टाइगर रिज़र्व में केवल 7 बाघ बचे। वैसे 2018 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले बाघों की संख्या दोगुनी करने का वादा किया था। वहीं मध्य प्रदेश से भी दो बाघ लाने का प्रस्ताव भी था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव में सबसे ज्यादा खाल की जरूरत पड़ती है। इसलिए शिकारी भी मौके पर बाघ का शिकार कर नेताओं को बाघ का खाल उपलब्ध करा रहे है। ताकि वोट के लिए चेहरा बदलने के लिए ज्यादा मशक्कत करना न पड़े।

रोका-छेका मंत्रालय बने

कोरोना ने आपदा में अवसर तलाशना सिखा दिया है। अवसर तो बड़े लोगों को ही मिल रहा है आम जनता तो सिर्फ तमाशा देख रही है। बड़े-बड़े अस्पताल वाले अब डेंगू के नाम पर लूट मार मचा रखे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सामान्य मौत को भी डेंगू बताकर आयुष्मान कार्ड के दो लाख वसूल कर मौत को अंजाम तक ले जा रहे है लेकिन भला हो सरकार के विभाग के जो समय रहते रोका-छेका अभियान चलाकर छेक लिया है। जनता में खुसुर-फुुसुर है कि सरकार को अब रोका-छेका मंत्रालय बना देना चाहिए ।

शराब कोचियों की मांग

अवैध शराब पर महासमुंद पुलिस ने बड़ी कार्यवाही की है। सिघोडा पुलिस ने 400 पेटी शराब पकड़ी है। दोनों आरोपी ट्रक में छुपाकर भारी मात्रा में शराब ला रहे थे। इस पर पुलिस की टीम ने महासमुंद जिले के सभी चेकिंग पाइंट पर तथा संभावित जगहों पर बल तैनात कर दो-तीन दिनों से लगातार दिन व रात में अवैध शराब तस्करी की पता तलाश करने में लगी हुई थी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोचिया भी अब आंदोलन करने वाले हैं कि उन्हें सरकारी कर्मचारी माना जाए। क्योंकि हम भी सरकारी माल बेचते हंै।

पहले आतंक फिर आत्मसमर्पण

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दो नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सली देवा और एर्रा ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। नक्सली देवा मिलिशिया प्लाटून का सदस्य है तथा नक्सली एर्रा मिलिशिया सदस्य है। जनता में खसुर-फुसुर है कि नक्सली दंपत्ति मुख्यधारा से जुडऩे से पहले आतंक मचाते है फिर आत्मसमर्पण करते है।

ये तो भागते भूत है लंगोट भी नहीं पहनते है

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेजी से शुरू हो गई हैं। जिन लोगों के नाम अभी मतदाता के तौर पर जुड़ जाएंगे। वे इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकेंगे। राजनीतिक दलों से सुझाव मिले है, कि चुनाव प्रचार सामग्री वाहनों की संख्या बढ़ाई जाए। सुरक्षा व्यवस्था के हिसाब से होगा। मैनिफेस्टो में वादा करना पार्टी का अधिकार है, लेकिन यह मतदाता का भी अधिकार है की वो ये जाने की कहा और कैसे पूरा होगा, लेकिन इस पर अभी प्रक्रिया जारी है, सभी राजनीतिक दलों से चर्चा जारी है। राजनीतिक दलों के लिए ऐप बनाया गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जनता तो सिर्फ इंतजार करती है कि कहां-कहां साड़ी कपड़ा कांवडिय़ा ड्रेस और नकद नारायण मिल रहा है वही नाम जोडऩे के लिए पूरा जोर लगा देता है। क्योंकि सभी को मालूम है कि ये तो भागते भूत है लंगोट भी नहीं पहनते है।

कैसे हड़ताल किया जाए

छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर में 4 दिन तक चली कार्यशाला में भाग लेने वाले शिक्षकों ने नई शिक्षण पद्धतियों को लागू करने के बारे में अपना उत्साह व्यक्त किया। कार्यशाला में शिक्षक नवीन शिक्षण पद्धतियों से अवगत हुए एवं जाना कि किस प्रकार से मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों के लिए विज्ञान की गतिविधियों एवं प्रयोगों को सिखाने एवं समझाने के लिए अधिक सुलभ एवं आकर्षक बनाया जा सकता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि शिक्षक कार्यशाला में आंदोलन के नए तरीके सिखने आए थे ताकि यहां से जाने के बाद कैसे हड़ताल किया जाए।

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