बिलासपुर में अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ का एक दिवसीय सम्मलेन हुआ संपन्न
बिलासपुर। अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ का एक दिवसीय सम्मलेन एवं सेमिनार रविवार को गोंडवाना भवन अशोक नगर बिलासपुर में हुई। इसमें छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से लोग पहुंचे थे। परिसंघ के जिला अध्यक्ष चंद्रप्रकाश जांगड़े ने कहा, बैठक में निजी क्षेत्र में आरक्षण, पदोन्नतियों में, न्याय पालिका व सेना में आरक्षण के अलावा सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती व ठेकेदारी प्रथा खत्म करने जैसे मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने कहा की दलितों और पिछडो के लगभग 55 हजार पद खाली थे जिसे सामान्य वर्ग के लोगो से भर दिया गया है, अगर ऐसा ही होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लगभग सभी सरकारी नौकरियों से दलित और पिछड़े बाहर हो जायेंगे। कुछ सदस्यों ने दलितों के उत्पीडऩ के खिलाफ जंग, सोशल मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग आदि पर भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर दिल्ली से आये परिसंघ के राष्ट्रिय महासचिव डॉ. ओम सुधा ने कहा कि परिसंघ के राष्ट्रीय अध्य्क्ष डॉ. उदित राज जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे उन्होंने दलितों और पिछडो के उत्थान के लिए सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर भाजपा के लोकसभा सांसद पद को भी ठुकराते हुए समाजसेवा में लगे हुए हैं।
उनका मकसद ही दलितों और पिछड़े वर्गों को समाज में उचित स्थान दिलाना है। उन्होंने सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ बोलते हुए कहा की के केंद्र सरकार सीधे तौर पर आरक्षण को ख़त्म नहीं कर पर रही है तो उसे दूर करने के प्रकार के हथकंडे अपना रही है, निजीकरण भी उसी का हिस्सा है। उन्होंने परिसंघ के सदस्यों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगो से आव्हान किया है कि अब तो जागो अपने अधिकार के लिए। केंद्र की सरकार निजीकरण के बहाने एक एक कर सभी सरकारी उपक्रमों को बेच रही है। साथ ही खरीदने वाले भी उन्ही के आसपास और खास दोस्त लोग ही हैं। केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती की दलित वर्ग के लोगो का उत्थान हो दलित वर्ग हमेश दबे कुचले ही रहे ये सरकार की मंशा है। क्योकि सरकार में मनुवादी सोच वालो का कब्ज़ा है। मनुवादी किसी भी सूरत में नहीं चाहते की दलित और पिछड़ा वर्ग मुख्यधारा में आये। उन्होंने कहा की मै केंद्र सरकार से पूछना चाहता हु कि क्या दलितों को सम्मान जनक ढंग से जीने का अधिकार नहीं है।क्या दलित होना गुनाह है। सरकार के संरक्षण में दलितों पर खुले आम अत्याचार हो रहे हैं सरकार आंख कान बंद करके बैठी है। अगर दलित मुछे रखता है तो हत्या कर दी जाती है, वह घोड़ी चढ़े तो हत्या कर दी जाती है क्या दलितों की जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है। गुजरात में अभी हाल में ही गरबा देखने गए दलित परिवार की पिटाई कर दी गई थी पिछले दिनों भी अहमदाबाद के पास गांव में एक दलित परिवार को मंदिर दर्शन करने जाना भरी पड़ गया उच्च वर्ग के लोगों ने दलित परिवार को पीटपीट कर लहूलुहान कर दिया। पुलिस हुए गुजरात की सरकार खामोश बैठी है। देश में हो रहे मॉबब्लीचिंग और अलप संख्यको का उत्पीड़न वे दलित और पिछड़े वर्गों को डराने के लिए कर रहे है| उन्होंने आगे कहा की देश में हिन्दू मुस्लिम करने में भी केंद्र की मोदी सरकार पीछे नहीं है , अगर मुस्लिमो से लडाना होता है तो हमें हिन्दू बोला जाता है और जब अधिकार और समानता की बात आती है तो हमें दरकिनार कर दिया जाता है। उस वक्त दलितों और पिछडो की याद नहीं आती। उस वक्त हम हिन्दू नहीं रहते दलित हो जाते हैं। हमें अपने समाज को संगठित और शिक्षित करना जरुरी है अन्यथा ये मनुवादी सोच वाली सरकार हमारा उपयोग सिर्फ मुस्लिमो से लड़ाने के लिए करेगी। दलितों और पिछडो की तरक्की इनसे देखी नहीं जा रही है। वास्तव में देखा जाये तो हम हिन्दू हैं ही नहीं बल्कि हम बौद्ध हैं जो भगवान गौतम बुद्ध और बाबा साहब के बताये मार्ग पर चलते हैं। बाबा साहब के अथक प्रयासों का प्रतिफल है कि आज दलित और पिछड़ा वर्ग हर क्षेत्र में आगे आ रहा है निजीकरण के नाम पर सभी संस्थानों को अपने चहेते लोगो को बेचा जा रहा है जो एक प्रकार से आरक्षण को ख़त्म करने की ही कवायद है। निजीकरण होने से बिना किसी परेशानी के आरक्षण ख़त्म हो जायेगा। दलितों को सदियों पुरानी जिल्लत की जिंदगी जीने फिर से मजबूर होना पड़ेगा। अभी भी वक्त है दलितों और पिछड़ो को जगाना होगा वर्ना देर हो चुकी होगी। डॉ. ओम सुधा ने आगे कहा कि मनुवादियो का संघटन भाजपा है जो किसी कीमत पर आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। सीधे तौर पर आरक्षण ख़त्म नहीं कर पाने के कारण ये निजीकरण का सहारा ले रही है। जब पूर्ण तरीके से निजीकरण हो जाएगी तब इनका असली रूप और असली एजेंडा सामने आएगा जो ये चाहते हैं। सरकार का एक ही एजेंडा एलपीजी का था यानि लिबराइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन। आरक्षण को ख़त्म करना ही इनका मुख्य उद्देशय था जो एलपीजी के माध्यम से ही ख़त्म किया जा सकता था। आज किसानो का हाल किसी से छुपा नहीं है किसानो को आतंकवादी तक कहा जा रहा है उनके आंदोलन को कुचलने कर तरीके का हथकंडा अपनाया जा तरह है। हमें अपने ताकत को समझना होगा और उसी ताकत के दम पर हम अपने अधिकारों के लिए लड़ सकेंगे। मनुवादी हरहाल में नहीं चाहते की दलित और पिछड़े वर्ग के लोग उनके बराबर बैठें। इस अवसर पर अध्य्क्ष अनिल मेश्राम , जनसेवक पप्पू फरिश्ता, सेवानिवृत आईएएस रात्रे जी , जागेशवर लहरे, हर्ष मेश्राम,डॉ.लक्षमण भारती सहित पुरे छत्तीसगढ़ से परिसंघ के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद थे।